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SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 7 लोहे का स्वाद
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लोहे का स्वाद
अम्यास-माला
काव्य खंड |
बोध एवं विचार
1. सही विकल्प का चयन कीजिए:
(क) ‘लोहे का स्वाद’ कविता में किस प्रक्रिया की ओर संकेत किया गया है?
(i) शब्दों के कविता बनने की।
(ii) खून का रंग देखने की।
(iii) घोड़ा के मुँह में लगाम लगाने की।
(iv) लोहे का स्वाद चखने की।
उत्तर : (i) शब्दों के कविता बनने की।
(ख) लोहे का स्वाद किसे पता होता है?
(i) कवि को।
(ii) पाठक को।
(iii) लोहार को।
(iv) घोड़े को।
उत्तर: (iv) घोड़े को।
(ग) ‘रोटी और संसद’ कविता में देश की किस व्यवस्था पर व्यंग्य किया गया है?
(i) सांस्कृतिक।
(ii) राजनीतिक।
(iii) आर्थिक।
(iv) सामाजिक।
उत्तरः (ii) राजनीतिक।
(घ) देश की राजनीतिक व्यवस्था किस चीज से खिलवाड़ करती है?
(i) जनता की कलम से।
(ii) जनता के रुपये-पैसे से।
(iii) जनता की रोटी से।
(iv) जनता के प्रतिनिधि से।
उत्तर: (ii) जनता के रुपये-पैसे से।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:
(क) कवि ने किसे पढ़ने की बात की है?
उत्तरः कवि ने अक्षरों में फँसे आदमी को पढ़ने की बात की है।
(ख) कविता में ‘लोहार’ किसका प्रतीक है?
उत्तरः कविता में ‘लोहार’ पीड़ा न सहने वाले का प्रतीक है।
(ग) कविता में ‘घोड़ा’ किसका प्रतीक है?
उत्तरः कविता में ‘घोड़ा’ पीड़ा सहन करने वाले का प्रतीक है।
(घ) शोषण का दर्द कौन जानता है?
उत्तरः शोषण का दर्द पीड़ा सहन करने वाला ही जानता है।
(ङ) कविता के अनुसार रोटी कौन बेलता है?
उत्तरः कविता के अनुसार देश का गरीब आदमी रोटी बेलता है।
(च) कविता के सांकेतिक अनुसार रोटी कौन खाता है?
उत्तरः कविता के सांकेतिक अनुसार अमीर आदमी रोटी खाता है।
(छ) कविता में तीसरा आदमी कौन है?
उत्तरः कविता में तीसरा आदमी देश की संसदीय प्रणाली है।
(ज) तीसरा आदमी रोटी के साथ क्या करता है?
उत्तरः तीसरा आदमी रोटी से खेलता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:
(क) शब्द किस तरह कविता बनते हैं?
उत्तरः शब्दों के साथ भावों के अनमोल मिलन से कविता बनते हैं।
(ख) अक्षरों के बीच गिरे हुए आदमी को कैसे पढ़ा जा सकता है?
उत्तरः अक्षरों के बीच गिरे हुए आदमी की मनोबस्था को पढ़ा जा सकता है।
(ग) वास्तव में लोहे का स्वाद कौन और किस रूप में जानता है?
उत्तरः वास्तव में लोहे का स्वाद पीड़ित व्यक्ति शोषित रूप में जानता है।
(घ) कविता में रोटी किसका प्रतीक है? इसका मानव जीवन में क्या महत्व है?
उत्तरः कविता में रोटी आम आदमी के मेहनत का प्रतीक है। अगर आम आदमी मेहनत करना बंद कर दे तो अमीर व्यक्ति को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। लेकिन एक आम आदमी केवल अपने परिवार के बारे में ही सोच कर कार्य में लगा रहता है, जिसका लाभ अमीर व्यक्ति उठाते हैं।
(ङ) कविता में सांकेतिक तीसरे आदमी के बारे में सही जानकारी कौन और कैसे दे सकता है?
उत्तरः कविता में सांकेतिक तीसरे व्यक्ति के बारे में संसदीय प्रणाली बता सकती है, क्योंकि संसद में जनता के आम मुद्दों को इतना बढ़ा दिया जाता है ताकि उसे सुधारा न जा सके।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर लिखिए:
(क) ‘लोहे का स्वाद’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तरः ‘लोहे का स्वाद’ कविता में शब्दों के कविता बनने की प्रक्रिया में गिरे हुए आदमी से जुड़ने की बात की गई है। यहाँ कविता की आवाज न देखकर मिट्टी में गिरे हुए खून का रंग देखने की बात पर विशेष जोर दिया गया है। यहाँ सांकेतिक उक्ति का प्रयोग देखा जाता है।
(ख) ‘लोहे का स्वाद’ कविता के माध्यम से कवि प्रकारंतर से क्या कहना चाहते हैं?
उत्तरः ‘लोहे का स्वाद’ कविता के माध्यम से कवि पीड़ित व्यक्ति की दशा पर प्रकाश डालना चाहते हैं।
(ग) ‘रोटी और संसद’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः ‘रोटी और संसद’ कविता का मूलभाव आम आदमी की जरूरत और संसदीय प्रणाली और लुटेरों की मिली भगत के बारे में बताया गया है। जहाँ पर साधारण व्यक्ति की जरूरतों को नजर अंदाज किया गया है।
(घ) कविता का शीर्षक ‘रोटी और संसद’ कितना सार्थक है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तरः ‘रोटी और संसद’ कविता में देश की राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य किया गया है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में संसद की मौनता, आँखे होकर भी अंधा होना बहुत बड़ी विडंबना है। मेहनत करने वाली का पसीना पानी सा बहाया जा रहा है, उसका खून चूसा जा रहा है, पेट भरन के बाद रोटी से अमीर खेलता है दूसरी तरफ गरीब पीड़ित घरों का आक्रोश बनता है।
S.L No. | CONTENTS |
(GROUP – A) काव्य खंड | |
Chapter – 1 | पद-युग्म |
Chapter – 2 | वन – मार्ग में |
Chapter – 3 | किरणों का खेल |
Chapter – 4 | तोड़ती पत्थर |
Chapter – 5 | यह दंतुरित मुसकान |
Chapter – 6 | ऐ मेरे वतन के लोगो |
Chapter – 7 | लोहे का स्वाद |
गद्य खंड | |
Chapter – 8 | आत्म निर्भरता |
Chapter – 9 | नमक का दारोगा |
Chapter – 10 | अफसर |
Chapter – 11 | न्याय |
Chapter – 12 | वन-भ्रमण |
Chapter – 13 | तीर्थ-यात्रा |
Chapter – 14 | इंटरनेट की खट्टे-मीठे अनुभव |
(GROUP – B) काव्य खंड | |
Chapter – 15 | बरगीत |
Chapter – 16 | कदम मिलाकर चलना होगा |
गद्य खंड | |
Chapter – 17 | अमीर खुसरु की भारत भक्ति |
Chapter – 18 | अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल |
5. आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) ‘अक्षरों के बीच गिरे हुए आदमी को पढ़ो।’
उत्तरः इसमें शब्दों के कविता बनने की प्रक्रिया में गिरे हुए आदमी से जुड़ने की बात की गई है। यहाँ कविता की आवाज न देखकर मिट्टी में गिरे हुए खून का रंग देखने की बात पर विशेष जोर दिया गया है। यह बी सांकेतिक उक्ति है कि लोहे का स्वाद, उसके खिंचावा का दर्द, लोहार नहीं जानता।
(ख) ‘मेरे देश की संसद मौन है।’
उत्तरः इस उक्ति में कवि ने संसद से केवल प्रश्न ही नहीं पूछते उस पर प्रहार भी करते है। कवि इस कविता में देश की राजनीतिक समाज व्यवस्था पर व्यंग किया है। रोटी मनुष्य के जीने की प्राथमिक जरूरत है। परंतु गंदी राजनीति के कारण नेता जनता की इस मूलभूत आवश्यकता की नजरअंदाज करती है। लोगों की भूल समस्या का ध्यान नहीं देता। जिसमें उन्हें ज्यादा बोलने की जरूरत है वहा वे मौन है।
6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
(क) लोहे का स्वाद ………………… लगाम है।
उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक अंबर भाग-२ के अंतर्गत ‘लोहे के स्वाद’ पाठ से लिया गया है।
कवि धूमिल’यहाँ कहना चाहते है कि जिस पीड़ा को जिसने न भोगाले उसके बारे मे नहीं जानते।
व्याख्या: क्य कभी तुमने लोहे की आवाज सुनी है या फिर मिट्टी में गिरी खून की आवाज सूनी है? लोहे का स्वाद लोहार नहीं जानता इसलिए लोहार से लोहे का स्वाद के बारे में पूछना व्यर्थ है। लोहे के स्वाद के बारे में पुछा जाए तो हमें छोड़े से पूछना चाहिए क्योंकि घोड़े को लगाम का स्वाद पता है। उसके मुँह पर लगाम लगा हुआ रहता है।
(ख) एक तीसरा ………………. खलता है।
उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक अंबर भाग-२ के अंतर्गत लोहे के स्वाद पाठ से लिया गया है। इस पंक्ति में कवि पीड़ित व्यक्ति की दशा पर प्रकाश डालना चाहते है।
व्याख्या: कविता में सांकेतिक तीसरे व्यक्ति के बारे में कहा गया है, क्योंकि सांकेतिक व्यक्ति संसदीय प्रणाली में संसद में जनता के आम मुद्दों को इतना बड़ा दिया जाता है कि उसको सुधारा न जा सके।
भाषा एवं व्याकरण
1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
आवाज, आदमी, मिट्टी, खून, घोड़ा
उत्तरः आवाज – स्वर, ध्वनि।
मिट्टी – भूमि, मृत्तिका।
घोड़ा – घोटक, हथ।
आदमी – नर, मानव।
खून – लहू, रक्त।
2. ‘लोहार’ एक व्यवसायवाचक शब्द है। लोहे का कार्य करने वाले व्यक्ति लोहार कहलाते हैं। कुछ ऐसे व्यवसायवाचक शब्द भी हैं, जिनके अंत में ‘कार’ प्रत्यय जुड़ा होता है। जैसे- चित्रकार। इसी तरह आप दस व्यवसायवाचक शब्द एवं उनके कार्यों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तरः (क) नाटककार।
(ख) आयताकार।
(ग) बर्गाकार।
(घ) उपकार।
(ङ) छायाकार।
(च) पत्रकार।
(छ) चित्रकार।
(ज) कलाकार।
(झ) अधिकार।
(ञ) अंधकार।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो।
(क) धूमिल जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तरः धूमिल जी का जन्म 9 नवंबर, 1936 को वाराणसी जनपद के खेवली गाँव में हुआ था।
(ख) धूमिल जी का प्रकृत नाम क्या है?
उत्तरः धूमिल जी का प्रकृत नाम सुदामा पाण्डेय है।
(ग) धूमिल जी के काव्यकृतियों के नाम लिखो।
उत्तर: ‘संसद से सड़क तक’, ‘कल सुनना मुझे’, सुदामा पाण्डे का पजातंत्र।
(घ) लोहे का स्वाद किसको पता होता है?
उत्तरः लोहे का स्वाद घोड़े को पता होता है।
(ङ) लगाम का अर्थ क्या है?
उत्तरः घोड़े के मुँह में लगाई जाने वाली रस्सी को लगाम कहते है।
(च) कौन मौन है?
उत्तरः देश का संसद मौन है।
2. ‘धूमिल’ जी के व्यक्तिगत जीवन पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः हिंदी साहित्य जगत में धूमिल नाम से प्रसिद्ध कवि सुदामा पाण्डेय का जन्म ९ नवंबर, १९३६ को वाराणसी जनपद के खेवली गाँव में हुआ था। पिता का नाम पं. शिवनायक पाण्डेय और माँ का नाम रसवंती देवी था। उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। धूमिल की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के निकटवर्ती विद्यालय में तथा मिडिल और हाईस्कूल की शिक्षा गाँव से तीन किलोमीटर दूर स्थित हरहुआ बाजार के काशी इंटर कॉलेज में हुई। आठवीं कक्षा में सर्वप्रथम आने के कारण मिलनेवाली छात्रवृत्ति से धूमिल ने आगे की पढ़ाई की और 1953 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की। बाद में धूमिल ने हरिचंद्र इंटर कॉलेज, वाराणसी में विज्ञान विषय में प्रवेश लिया, लेकिन पैसे के अभाव मे पढ़ाई बीच में छोड़ रोजी-रोटी की तलाश में कलकत्ता (कोलकाता) चले गे। धूमिल ने वहाँ कुछ दिनों तक लोहा ढेने का काम किया। फिर एक लकड़ी व्यापारी के यहाँ नौकरी की, परंतु वहाँ उनका मन नहीं लगा और वे पुनः वाराणसी आ गए वहीं के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में 1958 में विद्युत डिप्लोमा प्राप्त कर वहीं पर विद्युत अनुदेशक के पद पर नियुक्त हो गए और जीवन पर्यंत उसी पद पर कुशलतापूर्वक कार्य करते रहे। 10 फरवरी, 1975 को ब्रेन ट्यूमर से उनकी असामयिक मृत्यु हो गई।
3. धूमिल जी इस कविता के माध्यम से क्या कहना चाहते है?
उत्तरः जिन पंक्तियों को धूमिल ने आज से 40 वर्ष पहले ही लिख दिया था, आज वही पंक्तियाँ पूरे समाज के लिए कही ज्वलंत प्रश्न के रूप में हैं, तो कही पूरी राजनीतिक व्यवस्था की विदपता का आईना है। लोकतंत्र की विसंगतियों का इतना बड़ा शब्द चित्र खींचता बिना गहरे चिंतन एवं यथार्तान्तभव के असंभव था। तत्कालीन समाज व्यवस्था एवं धर्म के आडंबर को चुनौती दी तो धूमिल लोकतंत्र से मोहभंग पर कविता करते हुए सीधे संसद से प्रश्न करते रहे ‘एक आदमी रोती खाना है। एक आदमी रोटी बेलता है। एक तीसरा आदमी भी है। जो न रोटी बेलता है…. मेरे देश की संसद मौन है। आज की राजनीतिक व्यवस्था जनता की रोटी से खिलबाड़ करती है। रोटी मनुष्य के जीने की प्राथमिक जरूरत है। इसे प्राप्त करने में मनुष्य एड़ी-चोटी का जोर लगाता है, खून-पसीना एक कर देता है, परंतु मंदी राजनीति जनता की इस मूलभूत आवश्यकता को भी नजरअंदाज करती है।
4. धूमिल जी की काव्य-शैली पर प्रकाश डालो।
उत्तरः धूमिल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व में एकरूपता दिखाई पड़ती है। उनकी कथनी-करनी या अंदर-बाहर में किसी तरह का अलगाव नहीं था। उनकी कविताओं में सर्वत्र शोषण एवं उत्पीड़न के विरुद्ध मानवीय मुक्ति का पक्ष महत्वपूर्ण है। भाषा एवं शैली की दृष्टि से चालू भाषा और बिना लाग-लपेट के कहते का कौशल धूमिल की काव्य-शैली का प्रमुख आकर्षण है। ‘संसद से सड़क तक’, ‘कल सुनना मुझे, तथा ‘सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र इनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ है।
5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
(क) शब्द किस……………….. लगाम है।
उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘अबर भाग-२’ से ली गई हैं। इस कविता का नाम है लोहे का स्वाद।
व्याख्या: कवि धूमिल जी कहते हैं कि शब्द-शब्द जुड़ने से कविता किस तरह बनती है उसे देखो। जिस पीड़न को जिसने न भोगा हो उसके बारे में वही जानता है। क्या कभी तुमने लोहे की आवाज सुनी है या फिर मिट्टी पर गिरे खून का रंग सुना है। लोहे का स्वाद लोहार नहीं जानता है लोहे का स्वाद घोड़े से पूछो जिसके मुँह में लगाम लगी हुई है।
(ख) एक आदमी………………… मौन है।
उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत वंक्तियाँ हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ से ली गई हैं। इस कविता का नाम ‘रोटी और सांसद’ है जो धूमिल जी द्वारा लिखी गई हैं।
व्याख्या: ‘धूमिल’ द्वारा लिखित ‘रोटी और सांसद’ छोटी कविता है पर इसकी चर्चा हमेशा होती है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में संसद की मौनता, आँखें होकर भी अंधा होना बहुत बड़ी विडंबना है। देश के भीतर लूट मची है और लूटेरों को राजनीतिक सहयोग है, अर्थात संविधान और संसदीय प्रणाली में अवैध और वैद्य बनाने का गौरखद्धंधा शुरू है- चुपचाप। मेहनत करने का पसीना पानी -सा बहाया जा रहा है, उसका खुन चूसा जा रहा है। पेट भरने के बाद रोटी से खेलना है अमीर कवि ने हमेसा देखा है और दूसरी तरफ गरीब पीड़ित घरों का आक्रोश भी अतः धूमिल जी का मन विद्रोह कर उठता है।
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