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SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 4 पथ की पहचान
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पथ की पहचान
पद्य खंड |
अभ्यास -माला
बोध एवं विचार:
1. सही विकल्प का चयन कीजिए:
(क) जीवन पथ पर आगे बढ़ने से पहले हमें किसकी पहचान कर लेनी चाहिए
(i) सुभार्ग।
(ii) मंजिल।
(iii) शक्ति।
(iv) धन-दौलत।
उत्तर: (i) सुमार्ग।
(ख) ‘कंटको को इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले’। यहाँ कंटक किसका प्रतीक है?
(i) काँटे।
(ii) सुख।
(iii) बाधाएँ।
(iv) जंगल।
उत्तर: (iii) बाधाएँ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:
(क) ‘पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।’ इसमें ‘बटोही’ किसे कहा गया है?
उत्तरः इसमें ‘बटोही’ मनष्य को कहा गया है।
(ख) किसकी कहानी पुस्तकों में भी नहीं मिलती?
उत्तरः जीवन पथ पर चलने वाले पूर्वज की कहानी पुस्तकों में भी नहीं मिलती।
(ग) स्वप्न देखने का अधिकार किसे है?
उत्तरः स्वप्न देखने का अधिकार सबको है।
(घ) कवि ने पथिक को किस पर मुग्ध होने से मना किया है?
उत्तरः कवि ने पथिक को स्वप्नों पर मुग्ध होने से मना किया है।
(ङ) ‘पाँव का दिल’ कौन चीर देता है?
उत्तरः ‘पाँव का दिल’ काँटा चीर देता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:
(क) कवि ने किसकी कहानी पुस्तकों में नहीं छपने की बात की है?
उत्तरः कवि ने हमारे पहले जीवन पथ पर चलने वाले पथिकों की जीवन कहानी पुस्तकों में नहीं छपने की बात की है।
(ख) पथ की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तरः पथ की पहचान पूर्व धीड़े गए पैरों की निशानी से की जा सकती है।
(ग) हमारे किन पूर्वजों का सुथश किन रूपों में अभी भी कायम है?
उत्तरः हमारे पहले जीवन पथ पर चलने वाले पूर्वजों का सुथश पुस्तकों में तथा उनके दवारा छोड़े गए पैरों की निशानी के रूप में अभी भी कायम है।
(घ) यात्रा सरल बनाने के लिए कवि ने क्या सुझाव दिया है?
उत्तरः असंभव को संभव करके, एक उद्देश्य लेकर जीवन पथ पर आगे बढ़ने से यात्रा सरल बनता है।
(ङ) यात्रा में क्या-क्या अनिश्चित है?
उत्तरः यात्रा में सफलता मिलेगी या असफलता मिलेगी इसके वारे में अनिश्चित है।
(च) कवि ने स्वप्न पर मुग्ध होने की मनाही क्यों की है?
उत्तरः कवि ने स्वप्न पर मुग्ध होने की मनाही किया है, क्योंकि अगर हम स्वप्न देखकर हकीकत को भूल जाते हैं और जीवन के मुख्य उद्देश्य पथ पर हटकर कल्पनाविलास में डूब जाते है।
(छ) ‘पूर्व की पहचान’ कविता से क्या सीख मिलती है? अपने शब्द मं लिखिए।
उत्तरः ‘पथ की पहचान’ कविता से हमें यही सीख मिलती है कि हमें अपनी जीवन पथ पर चलने के लिए सुमार्ग का पहचान करना बहुत जरूरी है। मार्ग में हमें सफलता और विफलता दोनों का आमना सामना होना पड़े तो भी साहस, मेहनत, लगन, अनुभव एवं शुद्ध संकल्प से आगे बढ़ना चाहिए। हमें जीवन पथ पर मिलने वाले बाधाओं से सबक लेकर सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए।
4. आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) यह निशानी मूक होकर
भी बहुत कुछ बोलती है।
उत्तरः इन पंक्तियों में यह बताया गया है कि जीवन पथ पर चलने वालें हमारे कुछ पूर्वज अपने पैरों की निशानी छीड़ जाते है जो मूक होकर भी हमें बहुत कुछ सीख देती है, जिससे हम अपने लिए खोजे जाने वाले पथ के बारे में कुछ पता कर सकते है।
(ख) स्वप्न पर ही मुग्ध मात हो,
सत्य का भी ज्ञान कर ली।
उत्तरः इन पंक्तियों का आशय यह कि हमें स्वप्न देखने का अधिकार है, लेकिन उसमें मुग्ध होकर हमारे जीवन के अछली उद्देश्य से हट जना भी उचित नहीं है। स्वप्न के साथ साथ हमें सत्य का भी ज्ञान होना चाहिए। हमेशा, यह याद रखना चाहिए कि साहस, मेहनत, लगन, अनुभव एवं शुद्ध संकल्प के ब्दारा ही हम अपने स्वप्नों को साकार कर सकते है।
(ग) रास्ते का एक काँटा
पाँव का दिल चीर देता।
उत्तरः इन पंक्तियों का आशय यह है कि जीवन मार्ग में हमारे सामने अनेक बाधाएँ आएँगी हमें इन बाधाओं (काँटा) का सामना सावधानी से करना चहिए, नहीं तो हमारे पाँव चीर दे सकता है येकाँटा (बाधाएँ)।
S.L No. | CONTENTS |
(GROUP – A) काव्य खंड | |
Chapter – 1 | पद |
Chapter – 2 | भजन |
Chapter – 3 | ब्रज की संध्या |
Chapter – 4 | पथ की पहचान |
Chapter – 5 | शक्ति और क्षमा |
Chapter – 6 | गांधीजी के जन्मदिन |
Chapter – 7 | ओ गंगा बहती हो क्यों |
गद्य खंड | |
Chapter – 8 | पंच परमेश्वर |
Chapter – 9 | खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक |
Chapter – 10 | गिल्लू |
Chapter – 11 | दुख |
Chapter – 12 | जीवन-संग्राम |
Chapter – 13 | अंधविश्वास की छोटें |
Chapter – 14 | पर्वी का देश भारत |
(GROUP – B) काव्य खंड | |
Chapter – 15 | बरगीत |
Chapter – 16 | मुक्ति की आकांक्षा |
गद्य खंड | |
Chapter – 17 | वे भूले नहीं जा सकते |
Chapter – 18 | पिंपलांत्रीः एक आदर्श गाँव |
भाषा एवं व्याकारण:
1. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए:
बटोही, पग, नदी, पर्वत, जंगल, आँख
उत्तरः बटोही — राही, पथिक।
पग — कदम, डग।
नदी — सरिता, तटिनी, तरंगिनी।
पर्वत — गिरि, पहाड़, रौल।
जंगल — वन, कानन, अरव्य।
आँख — नेत्र, लोचन, नयन।
2. निम्नलिखित संज्ञा-शब्दों के विशेषण-रूप लिखिए:
राह, यात्रा, बाट, सफलता, मुख, भूत, दिन, हृदय
उत्तरः राह — राही।
यात्रा — यात्री।
बाट — बटोही।
सफलता — सफल।
मुख — मौखिक।
भूत — भौतिक।
दिन — दैनिक।
हृदय — हृदयवान।
3. निम्नलिखित शब्दों का विलोमा शब्द लिखिए:
असंभव, ज्ञात, भूक, बुरा, सरल, विश्वास, अनिश्चित, सफलता, सत्य, स्वर्ग, ज्ञान, सम्मान
उत्तरः असंभव — संभव।
ज्ञात — अज्ञात।
भूक — वाचाल।
बुरा — अच्छा।
सरल — कठिन, कुटिल।
विश्वास — अविश्वास।
सफलता — असफलता।
सत्य — असत्य।
स्वर्ग — नरक, मर्त्य।
ज्ञान — अज्ञान।
सन्मान — असन्मान।
निश्चित — अनिश्चित।
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:
1. ‘पथ की पहचान’ कविता का कवि कौन है?
उत्तरः ‘पथ की पहचान’ कविता का कवि हरिवंश राय ‘वच्चन’ है।
2. हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तरः हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
3. हविवंश राय बच्चन जी का स्वर्गवास कब हुआ है?
उत्तरः हरिवंश राय बच्चन जी का स्वर्गवास 18 जनवरी, 2003 को हुआ था।
4. हरिवंश राय बच्चन जी का प्रसिद्ध रचनाएँ क्या-क्या है?
उत्तरः हरिवंश राय बच्चन जी का प्रसिद्ध रचनाएँ है – मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा-निमंत्रण, एग्कांत-संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, खादी के फूल, मिलन यामिनी आदि प्रसिद्ध काव्यग्रंथ हैं।
5. हरिवंश राय बच्चन जी का आत्मकथा मूलक पुस्तकें क्या-क्या हैं?
उत्तरः हरिवंश राय बच्चन जी का पुस्तकों हैं – क्या भूलूँ क्या याद करूँ नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दराद्बार से सोपान तक।
6. हरिवंश राय बच्चन जी को शिक्षा कहाँ से प्राप्त हुई थी?
उत्तरः हरिवंश राय बच्चन जी इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला तथा गवर्नमेंट कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा काशी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
7. अपने जीवन मार्ग में आने वाले बाधाएँ की सामना हम कैसे कर सकते है?
उत्तर: अपने जीवन मार्ग में हमारे सामने अनेक बाधाएँ आएंगी। हमें इनका सामना हिम्मत एवं सुझबुझ के साथ करना होगा।
8. हम अपने स्वप्नों को कैसे साकार कर सकते हैं?
उत्तरः जीवन में स्वप्न देखने (कल्पना करने) का सबकों अधिकार है। लेकिन साहस, मेहनत, लगन, अनुभव एवं शुद्ध संकल्प के द्वारा ही उन स्वप्नों को साकार कर सकते हैं।
9. हरिवंश राय बच्चन जी कब और कहाँ अपना कर्मजीवन का आरंभ किया था?
उत्तरः सन 1941 से 1952 तक हरिवंश राय बच्चन जी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के व्याख्यात रहे। फिर हो वर्षों तक इंग्लैंड में शोधकार्य संपन्न कर भारत लौटे। वह कुछ दिनों तक आकाशवाणी इलाहाबाद विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ तथा राजसभा के सदस्य भी रहे।
10. रिक्त स्थानों को पूर्ति कीजिए:
(क) ______________ में है नहीं
छापी गई _______________
हाल _______________
हैन _________________
उत्तरः पुस्तक में है नहीं
छापी गई इसकी कहानी,
हाल इसका ज्ञात होता
है न औरों की जबानी,
(ख) कौन _____________
मिलेंगे ______________
____________ भी, रुकेगा
तून, _____________
उत्तरः कौन सहसा छूट जाएँगे
मिलेंगे कौन सहसा
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा
तू न, ऐसी आन कर ले।
(ग) हर _____________
____________ ले इस पर पड़ा है,
तू _____________
चित्त _____________
उत्तरः हर सफल पंथी यही
विश्वास ले इस पर पड़ा है,
तू इसी पर आज अपने
चित्त का अवधान कर ले।
(घ) है ____________
है अनिश्चित, ____________
____________ मिलेंगे,
उत्तर: है अनिश्चित, किस जगह पर
सरित, गिरि, गहवर मिलेंगे
है अनिश्चित, किस जगह पर
बास, वल सुंदर मिलेंगे,
(ङ) आँख में हो ___________
____________ टिके हों,
कंटकों ____________
___________ ले
उत्तरः आँख में ही स्वर्ग लेकिन
पाँव पृथ्वी पर टिके हों,
कंटकों की इस अनोखी
सीख का सम्मान कर ले।
11. हम अपने जीवन में किससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए?
उत्तरः जीवन पथ पर आने वाले बाधाओं से सीख लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए।
12. रक्त की एक बूँद गिरने पर क्या होती है?
उत्तरः रक्त की एक बूँद गिरने पर एक दुनिया डूब जाती है।
13. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
(क) पुस्तकों में ____________ औरों की जवानी।
उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग-१’ के अंतर्गत छायावादी कवि ‘हरिवंश राय बच्चन’ जी द्वारा रचित कविता पथ की पहचान से ली गई है।
संदर्भ: जीवन पथ पर चलने वाले हमारे पूर्वजों के बारे में बताने के लिए कवि प्रस्तुत पंक्तियों का अवतारण किया है।
व्याख्या: प्रस्तुत कविता में कवि जीवन पथ पर चलने वाले पथिक को संबोधित करते हुए सबको अपन लिए सुमार्ग का पहचान करने को कहा है। लेकिन दुःख की बात यह है कि पूर्व चलने वाले, उन बटोही को आत्मत्याग तथा बलिदानों के बारे में पुस्तकों में, छापी नहीं गई। और हमें उन लोगों के बारे में कहानी भी ज्ञात नहीं है। परंतु हम इसे अपने जीवन में पथ चलते समय अनदेखा नहीं कर सकते न ही उसे भूला पाते। हम उन लोगों की पैरों के निसानी को अनुसरन करके जीवन पथ के सुमार्ग पहचान सकते है।
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