SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 5 शक्ति और क्षमा

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SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 5 शक्ति और क्षमा

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शक्ति और क्षमा

पद्य खंड

अभ्यास -माला

बोध एवं विचार:

1. सही उत्तर चुनिए:

(क) ‘नर-व्याघ्न’ की आख्या किसे दी गई है?

(i) सुयोधन की।

(ii) दुःसासन की।

(iii) धृतराष्टक की।

(iv) शकुनि की।

उत्तर: (i) सुयोर्धन की।

(ख) क्षमा वही भुजंग कर सकता है, जिसके पास –

(i) धन हो।

(ii) शस्त्रास्त्र हो।

(iii) शक्ति हो।

(iv) विष हो।

उत्तरः (iii) शक्ति हो।

(ग) केवल विनम्रता को _________ समझ लिया जाता है।

(i) वीरता।

(ii) मित्रता।

(iii) कायरता।

(iv) सहनशीलता।

उत्तर: (iii) कायरता।

(घ) तीन दिवस तक कौन पंथ माँगते रहे?

(i) दुर्योधन।

(ii) पाण्डव।

(iii) कौरब।

(iv) श्रीराम।

उत्तर: (iv) श्रीराम।

(ङ) प्रस्तुत कविता वस्तुतः युधिष्ठिर के प्रति कहा गया कथन है। यह किसका कथन है?

(i) पाण्डु का।

(ii) भीष्म का।

(iii) श्रीकृष्ण का।

(iv) कुन्ती का।

उत्तर: (ii) भीष्म का।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) पाण्डव कौरवों से अपनी बात क्यों नहीं मनवा पा रहे थे?

उत्तर: पाण्डव कौरव से अपनी बात विनम्रता से कह रहे थे, जिसके कारण वे अपनी बात मनवा नहीं पा रहे थे।

(ख) श्रीराम के अनुनय का समुद्र पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: श्रीराम के अनुनय का समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

(ग) समुद्र की उपेक्षा पर श्री राम ने क्या किया?

उत्तरः समुद्र की उपेक्षा करने पर श्रीराम ने धनुष-वाण लेकर अपना रौद्र रूप दिखाया।

(घ) कविता के आधार पर बताइए कि वास्तविक वीरता क्या है?

उत्तर: सहनशील एवं विनम्र दोनों के साथ-साथ व्यक्ति को साहसी और शक्तिशाली होना चाहिए, वही वास्तविक वीरता है।

(ङ) श्रीराम समुद्र से किस बात के लिए अनुनय कर रहे थे?

उत्तर: श्रीराम समुद्र से सिंधु किनारे जाने के लिए पथ माँगते हुए अनुनय कर रहे थे।

(च) पठित कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर: इस कविता का प्रतिपाद्य यह है कि व्यक्ति को सहनशील एवं विनम्र होने के साथ-साथ साहसी एवं शक्तिशाली भी होना चाहिए।

3. निम्नलिखित पंक्तियों का सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) क्षमा शोभती उस भुजंग को,

जिसके पास गरल हो

उसको क्या, जो दंतहीन,

विषरहित, विनीत, सरल हो।

उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक की कविता ‘शक्ति और क्षमा’ से ली गई हैं। इसके कवि हैं- रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

प्रसंग: यहाँ विषरहित और विषधर साँपों की तुलना बलवान और दुर्बल व्यक्ति से की गई है।

व्याख्या: कवि कहता है कि अक्सर लोगों की विनम्रता को कुछ लोग दुर्बलता समक्ष बैठते हैं। जबकि शक्ति के साथ होने पर यही विनम्रता एक गुण बन जाती है। आगे तुलनात्मक दृष्टि से कवि कहता है कि जिस सर्प के पास विष हो, वह सर्प शोभायमान है। उससे लोग डरे-डरे रहेंगे क्योंकि कभी भी वह आक्रमण कर सकता है। वह सर्प जो दंतहीन है अथवा विषरहित है, उससे कोई नहीं डरता। क्योंकि काट भी लिया तो मरने का डर नहीं । उसी प्रकार, केवल विनम्र होने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि उसके साथ-साथ व्यक्ति को पराक्रमी और शक्तिशाली भी होना चाहिए।

विशेष: ‘विषरहित’, ‘दंतहीन’- शब्दों में आए प्रत्यय ‘रहित’ व ‘हीन’ न होने के भाव के लिए है।

(ख) सहनशीलता, क्षमा, दया को,

तभी पूजता जग है।

बल का दर्प चमकता उसके,

पीछे जब जगमग है।

उत्तरः संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक की कविता ‘शक्ति और क्षमा’ से ली गई है। इसके कवि हैं- रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

प्रसंग: यहाँ व्यक्ति को कैसा होकर जीना चाहिए ताकि जग उसे पूजे, उसी का वर्णन है।

व्याख्या: कवि कहता है कि यह संसार सहनशील, क्षमाशील या दयावान व्यक्ति को ऐसे ही नहीं पूजता, यदि उसमें शक्ति या बल हो, तो वह डरकर भी पूजने लगता है। व्यक्ति केवल सहनशील हो या क्षमाशील तो उसको लोग दुर्बल या कमजोर मानते हैं। परंतु साथ-साथ उसमें शक्ति भी है, तो लोग उससे डरने लगते हैं। तब उसके बल का दर्प चमकने लगता है और उसके पीछे जगत-संसार जगमग करता है। इसलिए व्यक्ति को सहनशील गुण रहने के साथ-साथ शक्तिशाली और बलवान भी होना चाहिए।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद
Chapter – 2भजन
Chapter – 3ब्रज की संध्या
Chapter – 4पथ की पहचान
Chapter – 5शक्ति और क्षमा
Chapter – 6गांधीजी के जन्मदिन
Chapter – 7ओ गंगा बहती हो क्यों
गद्य खंड
Chapter – 8पंच परमेश्वर
Chapter – 9खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक
Chapter – 10गिल्लू
Chapter – 11दुख
Chapter – 12जीवन-संग्राम
Chapter – 13अंधविश्वास की छोटें
Chapter – 14पर्वी का देश भारत
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16मुक्ति की आकांक्षा
गद्य खंड
Chapter – 17वे भूले नहीं जा सकते
Chapter – 18पिंपलांत्रीः एक आदर्श गाँव

भाषा एवं व्याकारण:

1. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

क्षमा, विनीत, गरल, ग्रहण, कायर।

उत्तर: शब्द — विलोम

क्षमा — क्रोध

गरल — सुधा

कायर — निडर

विनती — दंभ

ग्रहण — त्याग

2. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए:

रिपु, भुजंग, नाद, रघुपति, सागर, देह।

उत्तर: रिपु — दुश्मन, शत्रु।

भुजंग — विषधर, अहि, व्याल।

नाद — आवाज, शब्द, सुर।

रघुपति — राम, विष्णु, देव।

सागर — जलधि, समुद्र, पारावार।

देह — शरीर, अवयव, काया।

3. निम्नलिखित को एक शब्द में प्रकाशित कीजिए:

(i) जिसके दांत न हो।

उत्तरः निर्दन्त, दन्तहीन।

(ii) जो विष से रहित हो।

उत्तरः विषहीन।

(iii) जिसमें शक्ति हो।

उत्तर: शक्तिशाली।

(iv) जिसमें धीरज न हो।

उत्तरः अधीर।

(v) जो सहन कर सकता हो।

उत्तरः सहनशील।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:

1. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए।

उत्तर: राष्ट्रीयता भावनाओं के मुखर गायक कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म मुंगरे जिले के सिमरिया गाँव में सन 1908 में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण पाठशाला में हुई। पाटना विश्वविद्यालय से सन 1933 में बी.ए. की डिग्री हासिल की थी। एक उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य से लेकर उप-रेजिस्टार, युद्ध प्रचार विभाग के उप निर्देशक, मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति, भारत सरकार के शिक्षा सलाहकार आदि पदों पर आपने कार्य किया। ‘दिनकर’ जी को राष्ट्रीय सेवाओं के लिए ‘पद्मभुषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। ‘उर्वशी’ महाकाव्य पर आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था। दिनकर की सबसे बड़ी विशेषता है अपने देश और युग-सत्य को प्रति जागरूकता। ‘दिनकर’ एक विचारक तथा गतिशील कवि थे। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी को राष्ट्रकवि के रूप में माना जाता है।

‘दिनकर’ जी को ओज के कवि माने जाते हैं। ‘रेणुका’, ‘हुँकार’, ‘रसवंती’, ‘सामधेनी’, ‘नील कुसुम’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘उर्वशी’, ‘रश्मिरथी’, ‘परशुराम की प्रीताक्षा’, ‘चक्रवाल’ आदि उनकी काव्य कृतियाँ हैं। उनकी भाषा सरल एवं स्पष्ट है।

2. प्रस्तुत कविता में मनुष्य के किन गुणों के बारे में उल्लेख है?

उत्तर: प्रस्तुत कविता में मनुष्य के क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल, साहसिकता, शक्ति आदि गुणों के बारे में उल्लेख है।

3. रामधारी सिंह जी की हम कौन से नाम से जानते है?

उत्तर: रामधारी सिंह जी को हम ‘दिनकर’ नाम से जानते है।

4. ‘दिनकर’ जी की जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म सन 1908 को बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था।

5. रामधारी सिंह दिनकर जी की काव्य कृतियाँ के नाम लिखिए।

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की प्रमुख काव्य कृतियाँ है – ‘रेणुका’, ‘हुँकार’, ‘रसवंती’, ‘सम्मधेनी’, ‘नील कुसुम’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘उर्वशी’, ‘रश्मिरथी’, ‘परशुराम की प्रीताक्षा’, ‘चक्रवाल’ आदि।

6. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी को कौन कौन सी पुरस्कार प्राप्त हुआ था?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी को उसका रचना ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार और ‘उर्वशी’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किए गए थे।

7. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की मृत्यु कब हुआ था?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की मृत्यु सन 1974 में हुआ था।

8. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी को कहाँ कहाँ से शिक्षा प्राप्त हुई थी?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी को बिहार के मुंगेर के सिमरिया गाँव के ग्रामीण विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से सन 1933 में उन्होंने बी.ए. आनर्स की डिग्री प्राप्त की।

9. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कर्म जीवन के बारे में लिखो।

उत्तर: रामधारी सिंह दिनकर जी ने एक उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य के अपने कर्म जीवन का प्रारंभ करके रजिस्ट्रार, उप निर्देशक, मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष, भागलपुर विश्वविद्यालय उपकुलपति तथा भारत सरकार के शिक्षा सलाहकार आदि पदों पर उन्होंने कार्य किया। बाद में वे राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए।

10. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कैसे कवि थे?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ राष्ट्रीय भावनाओं के मुखर एक विचारक तथा प्रगतिशील कवि थे। वे उसे ओज के कवि माने जाते हैं।

11. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के कविता के भाषा कैसी थी?

उत्तर: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के कविता के भाषा सरल एवं स्पष्ट है।

12. प्रस्तुत कविता ‘शक्ति और क्षमा’ कहाँ से ली गई हैं?

उत्तर: प्रस्तुत कविता शक्ति और क्षमा रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी के काव्य कृति ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के तृतीय सर्ग से लिया गया है।

13. सहनशीलता, क्षमा, दया के साथ-साथ मनुष्य को और कौन सी गुण होनी चाहिए?

उत्तर: सहनशीलता, क्षमा, दया के साथ-साथ मनुष्य को बल का दर्प और साहसिकता की गुण भी होना जरूरी है।

14. कितने दिनों तक श्रीरामजी ने समुद्र को अनुनय-विनय किया था?

उत्तर: तीन दिनों तक श्रीरामजी ने समुद्र को अनुनय-विनय किया था।

15. समुद्र ने श्रीरामजी को कब कैसे अपना मार्ग छोड़ दिया?

उत्तर: श्रीराम ने तीन दिनों तक समुद्र को सेतु बनाने के लिए अनुनय-विनय किया, पर उसका कोई असर न हुआ। पर धनुष-वाण लेकर जब उन्होंने अपना रौद्र रूप दिखाया तो समुद्र ‘त्राहिमाम’ ‘त्राहिमाम’ कहते हुए उसकी शरण में आ गया और तुरंत उसने श्रीराम को मार्ग दे दिया।

16. प्रस्तुत कविता में किसका कथन व्यक्त किया?

उत्तर: प्रस्तुत कविता में महाभारत की लड़ाई के विनाशकारी परिणामों से अपने को हारे हुए मानने वाले युधिष्ठिर के प्रति शरशय्या में पड़े हुए पितामह भीष्म का यह कथन है।

17. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(क) सहनशीलता, क्षमा _____________

_______________ जग है।

________________ चमकता उसके,

पीछे जब _______________ है।

उत्तर: सहनशीलता, क्षमा, दया को

तभी पूजता जग है।

बल का दर्प चमकता उसके,

पीछे जब जगमग है।

(ख) क्षमा ______________ उस _____________ को,

जिसके पास ______________ हो।

उसको क्या, जो ______________,

________________ सरल हो।

उत्तर: क्षमा शोभती उस भुजंग को,

जिसके पास गरल हो।

उसको क्या, जो दंतहीन,

विषरहित, विनीत सरल हो।

(ग) क्षमा, दया ______________ मनोबल

सबका लिया ______________

परनर-व्याघ्र, _______________ तुमसे,

कहो, कहाँ ________________?

उत्तर: क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल,

सबका लिया सहारा।

पर नर-व्याघ्र, सुयोधन, तुमसे,

कहो, कहाँ कब हारा?

(घ) ________________ तक पंथ माँगते,

रघपुति सिंधु किनारे।

_______________ छंद

उत्तर: तीन दिवस तक पंथ माँगाते,

रघुपति सिंघु किनारे

बैठे पढ़ते रहे छंद,

अनुनय के प्यारे प्यारे।

(ङ) ______________ हो रिपु समक्ष,

तुम हुए ________________ जितना ही।

_______________ ने तुमको,

कायरसमझा _________________।

उत्तर: क्षमाशील हो रिपु समक्ष,

तुम हुए विनत जितना ही।

दुष्ट कौरवों ने तुमको,

कायर समझ, उतना ही।

18. प्रस्तुत कविता किसके कथन पर आधारित है?

उत्तर: प्रस्तुत कविता महाभारत की लड़ाई के विनाशकारी परिणामों से अपने को हारे हुए मानने वाले युधिष्ठिर के प्रति शरशय्या में पड़े हुए पितामह भीष्म का यह कथन पर आधारित

19. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) तीन दिवस _______________ प्यारे प्यारे।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक की कविता ‘शक्ति और क्षमा’ से ली गई हैं। इसके कवि हैं रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में श्रीरामजी के द्वारा समुद्र देवता को की गई अनुनय विनय के बारे में वर्णन की गई है।

व्याख्या: कवि कहता है कि अक्सर लोगों की विनम्रता की कुछ लोग दुर्बलता समझ बैठते हैं। जबकि शक्ति के साथ होने पर यही विनम्रता एक गुण बन जाती है। तीन दिनों तक श्रीराम के अनुनय विनय का समुद्र पर कोई असर न हुआ। पर जब धनुष-वाण लेकर उन्होंने अपना रौद्र रूप दिखाया तो समुद्र ‘त्राहिमाम्’, ‘त्राहिमाम्’ कहते हुए उनकी शरण में आ गया और तुरंत उसने श्रीराम को मार्ग दे दिया। सच बात तो यह है कि शौर्य में ही विनय की दीप्ति रहती है। इस प्रकार श्रीराम की तरह व्यक्ति को सहनशली होने के साथ-साथ व्यक्ति को साहसी और शक्तिशाली भी होना चाहिए।

(ख) ‘क्षमाशाली हो ______________ समझा उतना ही।’

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक की कविता ‘शक्ति और क्षमा’ से ली गई हैं। इसके कवि हैं रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

संदर्भ: इन पंक्तियों में व्यक्ति को विनम्रता के साथ साथ शक्तिशाली होने की सीख दी गई है। दुश्मनों को क्षमा देने से वह कायर समझ बैठता है।

व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश महाभारत की लड़ाई के विनाशकारी परिणामों से अपने को हारे हुए मानने वाले युधिष्ठिर के प्रति शरशय्या में पड़े हुए पितामह भीष्म का यह कथन है। यह काव्यांश विनय एवं साहस की सीख से परिपूर्ण है। दुश्मनों को क्षमा देने से वह कायर समझ बैठता है। क्षमा करने पर दुष्ट कौरवों ने पांडवों को कमजोर समझकर वार करना चाहा लेकिन उनको पांडवों के पराक्रम के बारे में आंदाज नहीं था। निडर रहकर अपने पथ पर चलने वालों को हमेशा लोग पूजते है। इस प्रकार सहनशील एवं विनम्र होने के साथ-साथ व्यक्ति को साहसी एवं शक्तिशाली भी होना चाहिए।

20. कविता में साँप के बारे में क्या कहा है?

उत्तर: कविता में कवि तुलनात्मक दृष्टि से कहता है कि जिस सर्प के पास विष हो, वह सर्प शोभायमान है। उससे लोग डरे डरे रहेंगे क्योंकि कबी भी वह आक्रमण कर सकता है। वह सर्प जो दंतहीन है अथवा विषरहित है, उससे कोई नहीं डरता। क्योंकि कांट भी लिया तो मरने का डर नहीं।

21. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:

दीप्ति, दर्प, मूड, बल

उत्तर: दीप्तिः प्रकाश, चमक।

मूढ़: मूर्ख, अनपढ़।

दर्प: अहंकार, घमंड।

बल: शक्ति, पराक्रम।

22. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

पीछे, विजय, सरल, हार, मूढ़, दुर्बल, बंधन, संधि

उत्तर: पीछे — आगे।

विजय — पराजय।

सरल — जटिल, कठिन।

हार — जीत।

मूढ़ — पंडित।

दुर्बल — सबल।

बंधन — मोक्ष।

संधि — विग्रह।

23. निम्नलिखित समानार्थी प्रतीत होनेवाले सूक्ष्म अंतर वाले शब्दों के अंतरलिखिए:

(क) करुणा, दया, कृपा, सहानुभूति, संवेदना।

उत्तर: करुणा — दूसरों के दुख से पिघल जाना।

दया — दूसरों का दुख दूर करने की इच्छा।

कृपा — अपने से छोटों को कुछ विशेष दे डालने की इच्छा।

सहानुभूति — दूसरों के लिए दुख का औपचारिक भाव।

संवेदना — दूसरों के लिए अधिक दुख का भाव।

(ख) प्रार्थना, अनुरोध, आवेदन, निवेदन।

उत्तर: प्रार्थना — बड़ों से विशेष याचना।

अनुरोध — सामान्य आग्रह।

आवेदन — लिखित याचना।

निवेदन — नम्रतापूर्वक याचना करना।

(ग) पूजा, अर्चना।

उत्तर: पूजा — किसी सामग्री के बिना पूजा करना।

अर्चना — सभी सामग्री जैसे-दीप, धूप आदि से पूजा करना।

(घ) शर, सर।

उत्तर: शर — वाण।

सर — तालाब।

(ङ) अभिमान, गौरव, घमंड, अंहकार

उत्तर: अभिमान — अपनी क्षमता के कारण अपने को बड़ा समझना।

गौरव — अपने महत्व का वास्तविक ज्ञान।

घमंड — व्यर्थ शेखी बघारना।

अहंकार — मिथ्या घमंड।

(च) विष, विश।

उत्तर: विष — जहर, गरल।

विश — कमल की डंडी।

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