SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 9 खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक

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SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 9 खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक

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खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक

गद्य खंड

अभ्यास -माला

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) ‘खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शौक’ किस प्रकार को रचना है?

(i) कहानी।

(ii) संस्परण।

(iii) रेखाचित्र।

(iv) व्यंयात्मक लेख।

उत्तर: (iv) व्यंयात्मक लेख।

(ख) पुराने हनुमान मंदिर का जीर्नोद्बार किसके द्वारा हुआ है?

(i) लेखक।

(ii) सेठ हीरामल।

(iii) मंदिर के पुजारी।

(iv) वित्तमंत्री।

उत्तर: (ii) सेठ हीरामल।

(ग) लेखक को श्यामलाल जी का फोन नंबर कहाँ से प्राप्त हुआ?

(i) सेठ हीरामल।

(ii) टेलीफोन बुथ से।

(iii) मंदिर के पुजारी से।

(iv) टेलीफोन डायरेक्टरी से।

उत्तर: (iv) टेलीफोन डायरेक्टरी से।

(घ) ‘तुरंत दान महाकल्याण’ की नसीहत लेखक को किसने दी?

(i) सेठ हीरामल ने।

(ii) मंदिर के पुजारी ने।

(iii) लेखक के दोस्तों ने।

(iv) लेखक के घरवालों ने।

उत्तर: (iv) लेखक के घरवालों ने।

2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) ‘खाना-खिलाना’ किसका प्रिय शौक है?

उत्तर: ‘खाना खिलाना’ हिंदुस्तानियों का प्रिय शौक है।

(ख) लेखक किस बात पर अपने दोस्तों से कन्नी काट जाता है?

उत्तर: लेखक के पुत्र के जन्म पर जब उनके दोस्त उनसे खिलाने की पार्टी देने को कहते तो लेखक कन्नी काट जाते।

(ग) लेखक किस कार्यक्रम को सेठ हीरामल जी से स्पॉन्सर कराना चाहता है?

उत्तर: लेखक अपने पुत्र-जन्म समारोह कार्यक्रम को सेठ हीरामल जी से स्पॉन्सर कराना चाहते हैं।

(घ) लेखक अपने अनूठे और मौलिक आइडिया को किसे बेचना चाहता है?

उत्तर: लेखक अपने अनूठे और मौलिक आइडिया को सेठ हीरामल जी को बेचना चाहता है।

(ङ) लेखक अपने पुत्र के जन्मोत्सव कार्यक्रम की ‘होर्डिंग’ पर क्या लिखवाना चाहता है?

उत्तरः सेठ हीरामल जी के सौजन्य से लिखवाना चाहता है।

(च) सेठ हीरामल किन लोगों से अच्छी तरह बातचीत करते है?

उत्तरः सेठ हीरामल आला अफसर तथा नेता से अच्छी तरह बातचीत करते हैं।

(छ) लेखक को सेठ हीरामल से बात करने के लिए किसका स्वॉग भरना पड़ा?

उत्तरः लेखक को सेठ हीरामल से बात करने के लिए नेता का स्वॉग भरना पड़ा।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) हमारे समाज में किन-किन अवसरों पर सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है?

उत्तरः हमारे समाज में बच्चे के जन्म, शादी-विवाह, बड़े-बुजुर्गों की मृत्यु, जन्मदिन तथा त्योहारों पर सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।

(ख) लेखक की पत्नी ने क्या सुझाव दिया?

उत्तरः लेखक की पत्नी ने यह सुझाव दिया कि घर का पहला कुल-दीपक है। जन्मोत्सव तो मनाना ही पड़ेगा उधार लेना पड़े तो ले लो।

(ग) लेखक के अनुसार बड़े लोग कहाँ-कहां पाए जाते हैं?

उत्तरः लेखक के अनुसार बड़े लोग पूजा में, बोर्ड की मीटिंग में अथवा किसी स्वामी के दरबार में पाए जाते हैं।

(घ) लेखक ने सेठ हीरामल के सामने क्या प्रस्ताव रखा?

उत्तरः लेखक ने सेठ हीरामल के सामने अपने पुत्र के जन्मोत्सव की पार्टी का ‘स्पान्सर’ बनाने का प्रस्ताव रखा।

(ङ) लेखक अपनी किस युक्ति को ‘थ्री इन-वन’ कहता है और क्यों?

उत्तरः लेखक ने अपने पुत्र के जन्म-समारोह को सेठ हीरामल जी से स्पॉन्सर कराना चाहता है। वे भोजस्थल पर ‘सेठ हीरामल के सौजन्य से’ की होर्डिंग लगाने को भी तैयार है। इस युक्ति को लेखक ‘थ्री-इन वन’ कहता है, क्योंकि इस एक कार्यक्रम से लेखक के तीन उद्देश्य पूरे हो जाएँगे। इससे उनकी पत्नी का अरमान सेठ जी का दान और लेखक का कल्याण पूरा हो जाएगा।

(च) सेठ हीरामल किन शर्तों पर लेखक की मदद करना चाहते है?

उत्तरः सेठ हीरामल लेखक की मदद इस शर्त पर करना चाहते है जो उनके लिए कार्य करे। सेठ हीरामल का सिद्धांत इस हाथ ले, उस हाथ से दे का है।

(छ) लेखक ने ‘हलुआ-संस्कृति’ किसे कहा है?

उत्तरः लेखक ने मुक्त में खाना खिलाकर अपनी लोकप्रियता बटोरने को हलुआ संस्कृति’ कहा है।

(ज) लेखक को पुजारी के साथ हमदर्दी क्यों जतानी पड़ी?

उत्तरः लेखक सेठ हीरामल से मिलकर अपना काम निकालना चाहते थे और पुजारी सेठ जी के स्वभाव एवं उसकी गतिविधियों से पूरा वाकिफ थे। लेखक को सेठ हीरामल की पूरी जानकारी केवल पुजारी ही दे सकता था इसलिए लेखक को पुजारी के साथ हमदर्दी जतानी पड़ी।

(झ) पुजारी ने सेठ हीरामल की किन-किन चारित्रिक विशेषताओं का बरवात किया?

उत्तरः पुजारी ने सेठ हीरामल की चारित्रिक विशेषताएँ बताते हुए कहा कि –

(क) सेठ हीरामल केवल नाम का ही हीरा है।

(ख) वह सबसे बड़ा कंजूस आदमी है।

(ग) सेठ हीरामत सिर्फ बड़े अफसरों अथवा नेताओं से ही बात करता है।

(घ) उसका सिद्धांत ‘इस हाथ ले उस हाथ दे’ का है।

(ञ) लेखक ने चवन्नी मानसिकता का नमूना किसे कहा है और क्यों?

उत्तर: उधार लेकर मौज करना हिंदुस्तानियों की आदत बन गई है। हमारी साँस और जिंदगी दोनों उधार से चलती है, यदि उधार लेकर बच्चे का जन्मोत्सव मनाया जाए तो उसमें हल्ला मचाने की आवश्यकता नहीं हैं। इतने बड़े देश में पचास-साठ करोड़ के छोटे-मोटे घोटाले से देश पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। औसतन प्रति व्यक्ति चवन्नी-अछन्नी भी नहीं पड़ती। ऐसी मानसिकता को लेखक चवन्नी मानसिकता का नमूना कहा है।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद
Chapter – 2भजन
Chapter – 3ब्रज की संध्या
Chapter – 4पथ की पहचान
Chapter – 5शक्ति और क्षमा
Chapter – 6गांधीजी के जन्मदिन
Chapter – 7ओ गंगा बहती हो क्यों
गद्य खंड
Chapter – 8पंच परमेश्वर
Chapter – 9खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक
Chapter – 10गिल्लू
Chapter – 11दुख
Chapter – 12जीवन-संग्राम
Chapter – 13अंधविश्वास की छोटें
Chapter – 14पर्वी का देश भारत
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16मुक्ति की आकांक्षा
गद्य खंड
Chapter – 17वे भूले नहीं जा सकते
Chapter – 18पिंपलांत्रीः एक आदर्श गाँव

4. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर दीजिए:

(क) लेखक ने सेठ हीरामल से मिलने के लिए क्या-क्या प्रयास किए? उनके प्रयास असफल कैसे हो गए।

उत्तरः लेखक ने सेठ हीरामल से मिलने के लिए छह-सात बार दूरभाष पर पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन हर बार उनके निजी सहायकों ने लेखक को उनसे मिलने से रोक दिया। फिर लेखक ने टेलीफोन डायरेक्टरी से हीरामल जी की कंपनी के महाप्रबंधक श्यामलाल जी का नबंर डायल किया तो शमशान से उत्तर आया। इस पर भी लेखक ने हिम्मत नहीं हारी और हीरामल जी के मंदिर के पुजारी से हीरामल जी से मिलने का उपाय सोचा और लेखक पुजारी से सेठ जी की आहतें जानकर नेता बनकर उनसे मिले।

(ख) ‘उनका हलुआ-हमाम सिर्फ खालिस और असली नंगों के लिए हैं’ – इस कथन में असली नंगे’ किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तरः सेठ या नेता किसी को मुप्त में नहीं खिलाते है। वे या तो नाम के लिए खिलाते हैं अथवा काम निकालने के लिए। इस तरह की मुफ्त का खाना समाज के असली नंगों के लिए ही होता है। ये असली नंगे समाज के वैसे लोगों के लिए होता है जो वास्तव में गरीब या कंगाल होते हैं। दूसरी ओर इस प्रकार की मुफत सुविधाओं का लाभ बड़े-बड़े अफसरा अथवा सुविधा संपन्न लोगों के लिए भी होता है। समाज के तीसरे वर्ग अर्थात मध्यमवर्ग के लिए इन सुविधाओं का कोई लाभ नहीं मिलता।

(ग) ‘इस पाठ में एक ओर मध्यवर्गीय मानसिकता को उभारा गया है, तो दूसरी ओर आज की भ्रष्ट राजनीति पर करारी चोट की गई है। इस बात से क्या आप सहमत है? यदि हाँ तो अपना विचार प्रकट कीजिए।

उत्तरः समाज प्राय: तीन वर्गों में बँटा होता है- उच्च वर्ग मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग। उच्च वर्ग समाज का सबसे सुविधा संपन्न पूँजीपति वर्ग होता है। मध्यम वर्ग बीच का वर्ग होता है, जिसे अधिक सुविधाएँ प्राप्त नहीं होती हैं। सेठ साहुकार की मुफ्त में खिलाने की योजना मध्यम वर्ग वालों के नहीं है। मध्यम वर्ग के लोग अपनी हैसियत के अनुसार खाने-खिलाने का शौक रखते हैं। मध्यम वर्ग के लोगों को कर्ज में भी डूबना पड़ता है। मध्यम वर्ग उदार लेकर समारोह करेंगे तो अवश्य देश से जुड़ेंगे। मैं इस बात से पूर्णत: सहमत हूँ।

(घ) आज की उधार की राष्ट्रनीति से क्या तात्पर्य है? उधार लेकर समारोह करने को उचित ठहराने के लिए लेखक क्या – क्या तर्क देता है?

उत्तरः उधार लेकर उत्सव-समारोह करना भी एक प्रकार की देशभक्ति है। आज समाज का मध्यम वर्ग आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। मध्यम वर्ग के लोग उत्सव समारोह करने में भी सक्षम नहीं है। इसलिए वह उधार लेकर ऐसे आयोजन करता है। लेखक की नजर में उधार लेकर समारोह करने से हम देश और समाज से जुड़ेंगे। बहुत से लोग है जो उधार लेकर बड़े-बड़े महलों में रहते है। चमचमाती कारों और हवाई जहाजों में घूमते है। लोगों की साँस और जिंदगी उधार की है। यदि हम भी ऐसा करते हैं तो क्या गलत हैं।

(ङ) ‘हम उधार लेकर समारोह करेंगे तो देश से जुड़ेंगे। लेखक ऐसा सोचकर खुश क्यों होता है?

उत्तर: लेखक ऐसा सोचकर खुश इसलिए होता है, क्योंकि आज देश का हर वर्ग उधार लेकर अपना चला रहा है। देशवासी उधार लेकर ऊँचे-ऊँचे महलों में रह रहे है और चमचमाती कारों में घूम रहे हैं तथा हवाई जहाजों में सफर कर रहे हैं। उधार लेना हमारी संस्कृति बन गई है। प्रत्येक भारतीय पर पंद्रह-बीस हजार का कर्ज चढ़ गया है फिर भी हम सीना तानकर घूम रहे हैं।

5. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) इसमें ऐसे-ऐसे नबंर होते हैं, जो हवाला की मशहूर डायरी सा सिर्फ सच का संकेत भर देते हैं।

उत्तरः ये पंक्तियाँ ‘खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शौक’ नामक व्यंग्य लेखक की हैं। इसके लेखक गोपाल चतुर्वेदी है। इसमें लेखक द्वारा टेलीफोन डायरेक्टरी की विशेषताएँ बताई गई है। इन पंक्तियों का आशय यह है कि सेठ हीरामल से मिलने में असफल होने के बाद लेखक ने टेलीफोन डायरेक्टरी का सहारा लिया। इसमें ऐसे-ऐसे नबंर होते हैं, जिससे सिर्फ लोगों के नामों की जानकारी होती है। हवाला कांड में जिस प्रकार एक डायरी में डी.के.एल के जैसे संकेत लिखे हुए थे ठीक उसी प्रकार टेलीफोन डायरेक्टरी में लोगों के नाम के संकेत होते हैं।

(ख) हमारा खाना-खिलाना विवशता का एक ऐसा दश्चक्र है, जो सिर्फ उधार से चलता है।

उत्तरः इसमें लेखक ने बताया है कि मध्यम वर्ग के लोगों की यह औकात नहीं होती कि वे अपने पैसे से समारोह करें। वे खाने-खिलाने का समारोह उधार लेकर करते हैं। आशय यह है कि मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती, जिससे वे खाने-खिलाने का समारोह आयोजित कर सकें। इस कार्य के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ता है। यदि वे जन्मदिन का समारोह नहीं आयोजित करेंगे तो समाज में उनकी बदनामी होगी। इसलिए वे विवश होकर उधार लेकर ऐसा आयोजन करते हैं।

(ग) हमारी बाजारू साख हमारी अमोरी का सबूत है।

उत्तरः इस पंक्ति का आशय यह है कि हम भारत के लोग कर्ज लेकर सान की जिंदगी बिता रहे हैं। उधार लेकर समारोह कर रहे हैं। कर्ज लेकर चमचमाती करों में ता ऊँची-ऊँची बंग्लों में रह रहे हैं। बनावटी साख हमारी अमीरा दर्शा रही है। लगता है कि हम कर्ज लेकर अमीर बन गए हैं।

(घ) पैसा पैसे को खींचता है और हलुआ हलुए को।

उत्तरः इस पंक्ति का आशय यह है कि आज समाज में जिसके पास दौलत है, वहीं दौलत कमा रहा है। जिसके पास खाने पीने के भरपूर साधन है, उसी के पास विलासिता की चीने पहुँच रही है। कहने का अर्थ यह है कि अमीर और भी अमीर बनते जा रहे हैं और निम्न वर्ग के लोगों की स्थिति जैसे की तैसी बनी हुई है। सेठ हीरामल जैसे पूँजीपति लाख रुपये खर्च करके करोड़ों कमा रहे हैं और सुविधा संपन्न लोगों को ही सारी सुविधाएँ मिल रही है।

6. किसने किससे और किस प्रसंग में कहा है?

(क) घर का पहला कुल दीपक है। कुछ तो करना ही पड़ेगा।

उत्तरः लेखक की पत्नी ने लेखक से उस समय कहा जब उनके पहले पत्र के जन्म के अवसर पर उनके मित्र सामूहिक भोज खिलाने को कह रहे थे।

(ख) बेकारी भुगतने से तो पुजारी होना बेहतर है।

उत्तरः लेखक ने पुजारी से उस समय कहा जब लेखक पुजारी से सेठ हीरामल से मिलने की बात कह रहे थे।

(ग) हम आपको चौबे जन्म-समारोह का ‘स्पान्सर’ बनाएँगे।

उत्तरः यह लेखक ने सेठ हीरामल से उस समय कहा जब लेखक सेठ हीरामल से मिलकर अपने पुत्र जन्म के समारोह को सेठ जी से प्रायोजित कराने की बात कर रहे थे।

(घ) हमारा फलसफा इस हाथ ले, उस हात दे का है?

उत्तरः यह बात सेठ हीरामल ने लेखक से कही जब सेठ हीरामल लेखक की बातों को अनसुना करके जा रहे थे।

भाषा एवं व्याकारण:

1. मुहावरा ऐसा वाक्यांश होता है, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी लाक्षणिक अर्थ का बोध कराता है। जैसे-रमेश झूठ बोलने में अपने दोस्त दीनेश के भी कान काटता है। यहाँ ‘काटना’ का मुख्य अर्थ है- किसी चीज को दाँत या औजार से काटना तथा ‘कान’ का मुख्य अर्थ है शरीर का एक अंग। किन्तु यहाँ ये दोनों शब्द एक साथ आकर अपने मुख्य या अभिधान का अर्थ छोड़कर एक विशेष लाक्षणिक अर्थ व्यक्त कर रहै हैं, जिसका अभिप्राय है ‘बढ़कर काम करना’। इसकी लाक्षणिक अर्थ को व्यक्त करने के कारण ‘कान काटना’ मुहावरा हो गया। पाठ में आए उन मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए। कन्नी काटना, कमर कसना, सिक्का जमाना, धता बताना, स्वर्ग सिधारना, मुरीद बनाना, सीधे मुँह बात करना, बगुला भगत।

उत्तरः कन्नी काटन: (बचकर निकलना) -सेठ जी रमेश को उधार देने से किन्नी काटने लग।

कमर कसना: (तैयार होना) – शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए।

सिक्का जमाना: (प्रभाव डालना या प्रभुत्व स्थापित करना) – दीपक ने नई कंपनी जाँइन करने के कुछ ही दिनों के भीतर उस कंपनी में अपना सिक्का जमा लिया।

धता बताना: (टाल देना) – मैं सहायता की आशा लेकर नेताजी के पास गया था, परंतु उन्होंने तो मुझे धता बता दिया।

स्वर्ग सिधारना: (मृत्यु को प्राप्त हो जाना) – सेठ रामलाल स्वर्ग सिधर गए।

मुरीद बनाना: (प्रशंसक बनाना) – धर्म गुरु गरीबों को ही अपना मुरीद बनाते हैं।

(सीधे मुँह बात करना): (अच्ची तरह बात करना) – नेताजी आम लोगों से सीधे मुँह बात नहीं करते।

बगुला भगत: (कपटी व्यक्ति) – साधुओं में आजकल ज्यादा बगुला भगत ही हैं।

2. हिंदी में प्रयुक्त होनेवाले निम्मलिखित शब्दों पर ध्यान दीजिए:

इफरात, मुफ्त, बाजारू, फलसफा, इज्जत, सिर्फ-इन शब्दों में प्रयुक्त कुछ अक्षरों के नीचे बिन्दी लगाई गई हैं। इस विन्दी को ‘नुक्ता’ कहा जाता है। वस्तुत, अरबी एवं फारसी भाषा के शब्दों का हिंदी में उसी रूप में प्रयोग करते हैं तो उनमें नुक्ता लगा देते हैं परंतु ध्यान रहे कि ये सिफ४ क, ख, ग, घ और फ अक्षरों के नीचे ही लगाते हैं।

अब निम्नलिखित अरबी, फासरी शब्दों के कुछ विशेष अक्षरों के नीचे नुक्ता लगाकर लिखने का अभ्यास कीजिए- कफन, स्वाहिश, फजल, जेलखाना, परहेज, इंतजाम, फकीर, नाजक, नजाकत, इजलास, दफ्तर, तारीख, दुक्म, खामोश, जागीर, गजल, कागज।

उत्तरः कफन — कफन।

फजल — फजल।

परहेज — परहेज।

फकीर — फकीर।

इजलास — इजलास।

ख्वाहिश — ख्वाहिश।

जेलखाना — जेलखाना।

इंतजाम — इंतजाम।

नाजुक — नाजुक।

नजाकनत — नजाकत।

3. निम्नलिखित शब्दों पर ध्यान दीजिए:

वित्तमंत्री, मध्यवर्ग, दारियादिल, रेलयात्रा, जन्मोत्सव – ये सभी शब्द दो शब्दों के योग से बने हुए शब्द हैं। जैसे – वित्तमंत्री = वित्त + मंत्री, मध्यवर्ग = मध्य + वर्ग आदि। इन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। इसी प्रकार पाठ से आप दस यौगिक शब्दों को लिखिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए। सालगिरह, टेलीफोन, नवयुवक, गद्देदार, भागदैड़, कुरसीधारों, गगनचुंबी, देशसेवक, दानवोरता, भोजस्थल, शुभचिंतक दूरभाष, आसपास।

उत्तरः सालगिरह — आज मदन जी की ७० वीं सालगिरह हैं।

टेलीफोन — आजकल टेलीफोन का ज्यादा प्रयोग नहीं होता हैं।

नवयुवक — वह नवयुवक देखने में बहुत सुंदर हैं।

गद्देदार — सेठ जी गद्देदार सोफेपर बैठ गए।

भागदौड़ — आज की भागदौड़ मेंकाम ठीक से नहीं कर पाया।

कुसरीधारी — कुरसीधारी लोग ही सारी सुविधाओं का लाभ लेते हैं।

गगनचुंबी — आजकल शहर में गगनचुंबी इमारतों की भरमार।

देशसेवक — आजकल के दुनिया में सच्चे देखसेवक देखने को नहीं मिलते हैं।

दानवीरता — सेठ जी की दानवीरता से लोग बहुत प्रसन्न हुए।

भोजस्थल — जयपुर के भोजस्थल पर अनेक लोग उपस्थित हुए।

शुभचिंतक — आप हमारे शुभचिंतक हैं।

दूरभाष — वे दूरभाष पर बातें कर रहे हैं।

आसपास — हमारे घर के आसपास बहुत सुंदर फूलवारी हैं।

4. नीचे दिए गए समस्त्र-पदों का विग्रह करते हुए समास का नाम भी लिखिए:

सत्यंग, यथाशक्ति, शाम-सवेरे, प्राणधातक, भलेमानस, देववाणी

उत्तरः सत्यंग — सत अर्थात सच्चे लोगों की संगत (तत्पुरुष समास)

यथाशक्ति — शक्ति के अनुसार (अव्ययीभाव समास)

शाम-सवेरे — शाम और सुबह (द्वन्द्व समास)

प्राणधातक — प्राण का धातक (तत्पुरुष समास)

भलेमानस — भला है जो मानस (कर्मधारय समास)

देववाणी — देवताओं की वाणी (तत्पुरुष समास)

योग्यता-विस्तार:

1. ‘मैने’ अपना जन्मदिन कैसे मनाया’ विषय परेक निबंध लिखिए।

उत्तरः प्रत्येक वर्ष २८ मई को मैं अपना जन्मदिन मनाता हूँ। इस दिन मेरे परिवार में उत्सव का दृश्य होता है। यह दिन उत्सव की ही भाँति बहुत धुमधाम से मनाया जाता है। मेरी खुसी में परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं। मेरे जन्मदिन पर माँ और पापा शानदार पार्टी का आयोजन करते हैं। इस बार मेरा जन्मदिन आया तो घर में पार्टी की तैयारियाँ होने लगीं। घर में एक शामियाना लगाया गया। माँ ने पड़ोसियों को दावत का न्यौता दिया। पिताजी ने मित्रों और निकट के पड़ोसियों को फोन पर आमंत्रित किया। मैने भी अपने मित्रों को घर आने को आमंत्रण दिया। खाना बनाने का प्रभार रसोइयों को सौंपा गया। आमंत्रित अतिथियों को खिलाने के लिए कुर्सियाँ और मेजे लँगवाई गई। घर को साफ कर विशेष सजावट की गई। केक के लिए दो दिन पहले ही आदेश दे दिए गए। तेरहवें जन्मदिन पर ईश्वर का आभार प्रकट करने में अपने माता-पिता के साथ मंदिर गया। घर पहुँचने के बाद शाम को पार्टी शुरू हो गई। मैने नए कपड़े पहने। इतने में मेरे सहपाठी और मित्र भी आ गए। घर में पड़ोस के बच्चों का जमावड़ा आरंभ हो गया। घर के बड़े कमरे में केक सजाया गया। मैं केक काटा तो लोगों ने समवेत स्वर मैं मुजे जन्मदिन की बधाई दी। इसके बाद मेहमानों को खाने के लिए बुलाया गया। सबने जी भर कर खाना खाया। मेहमानों को विदा करने के बाद घर के सदस्यों ने साथ बैठकर खाना खाया। इसके बाद पार्टी समाप्त हो गया। मैं भरपेट खाकर उपहारों को देखकर खुश होने लगा।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:

1. गोपाल चतुर्वेदी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी का जन्म लखनऊ, उतत्र प्रदेश में सन 1942 में हुआ था।

2. गोपाल चतुर्वेदी की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई?

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी की प्रारंभिक शिक्षा गोपाल और ग्वालियर में हुई।

3. गोपाल चतुर्वेदी ने भारतीय रेल के किस विभाग में नौकरी की?

उत्तर: गोपाल चतुर्वेदी ने भारतीय रेल के उच्च वित्तीय विभाग में नौकरी की।

4. गोपाल चतुर्वेदी सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त कब हुए?

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी सरकारी सेवा से सन 1998 में सेवानिवृत्त हुए।

5. गोपाल चतुर्वेदी ने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. कहाँ से किया।

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी ने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए इलाहाबाद से किया।

6. गोपाल चतुर्वेदी के व्यंग्य किन-किन पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं?

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी के व्यंग्य सरिता, इंडिया टुडे, नवभारत टाइमस और साहित्य अमृत जैसे पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं।

7. गोपाल चतुर्वेदी के कुछ व्यंग्य रचनाओं के नाम लिखिए।

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी के कुछ व्यंग्य रचनाएँ हैं – अफसर की मौत, दुम की वापसी, खंभों के खेल, फाइल पढ़ि पढ़ि, आजाद भारत में कालू, दाँत में फँसी कुरसी, गंगा से गटर तक, भारत और भैंस आदि।

8. गोपाल चतुर्वेदी द्वारा रचित काव्य पुस्तकें के नाम लिखिए।

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी द्बारा रचित दो काव्य पुस्तके हैं- कुछ तो हो, धूप की तलाश।

9. गोपाल चतुर्वेदी को किन-किन पुरस्कारों से नवाजा गया है?

उत्तरः गोपाल चतुर्वेदी को साहित्य अकादमी रेल विभाग के साहित्किक पुरस्कार से नवाजे गए हैं।

10. ‘खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शौक’ पाठ के लेखक कौन हैं?

उत्तरः खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शौक पाठ के लेखक हैं – गोपाल चतुर्वेदी ।

11. बच्चे के जन्म की खुशी में पार्टी के आयोजन के लिए लेखक की पत्नी ने लेखक को क्या सुझाव दिया?

उत्तरः लेखक की पत्नी ने उधार लेकर भी बच्चे का जन्मोत्सव मनाने का सुझाव दिया।

12. लेखक को श्यामलाल जी का फोन नबंर कहाँ से मिला?

उत्तरः लेखक को श्यामलाल जी का फोन नबंर टेलीफोन डायरेक्टरी से मिला।

13. श्यामलाल जी कौन थे?

उत्तरः स्यामलाल जी सेठ हीरामल जी को कंपनी के महाप्रबंधक थे।

14. श्यामलाल जी कितने वर्ष पहले स्वर्ग सिधार चुके हैं?

उत्तरः श्यामलाल जी दो वर्ष पहले स्वर्ग सिधार चुके हैं।

15. सेठ हीरामल से मिलने से पहले लेखक किससे मिला?

उत्तरः सेठ हीरामल से मिलने से पहले लेखक मंदिर के पुजारी से मिला।

16. लेखक ने किसका स्वॉग बनाकर सेठ हीरामल से मिला?

उत्तरः लेखक ने नेता का स्वॉग बनाकर सेठ हीरामल से मिला।

17. सेठ हीरामल जी मंदिर में परमार्थ का क्या काम करा रहे थे?

उत्तरः सेठ हीरामल जी मंदिर में गरीबों के लिए मुफत (फ्री) का भोज दे रहे थे।

18. सेठ हीरामल जी कहाँ बैठे थे?

उत्तरः सेठ हीरामल जी मंदिर के एक चबूतरे परेक ऊँची गद्देदार कुर्सी पर बैठे थे।

19. सेठ हीरामल जी से मिलकर लेखक को किस असलियत का पता चला?

उत्तरः सेठ हीरामल जी से मिलकर लेखक को हलुआ संस्कृति की असलियत का पता चला।

20. लेखक के अनुसार देशी अखबार और नासमझ लोग किस बात पर हल्ला मचा रहे हैं?

उत्तरः देशी अखबार और नासमझ लोग खाने-खिलाने के ‘फ्री’ आयोजन को लेकर हल्ला मचा रहे हैं।

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