SEBA Class 10 Hindi Chapter 3 नीलकंठ

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नीलकंठ

गद्यांश

अभ्यासमाলা

बोध एवं विचार:

प्रश्नन 1. सही विकप का चयन करो:

(क) नीलकंठ पाठ में महादेवी वर्मा की कौन–सी विशेषता परिलक्षित हुई है?

(अ) जीव–जतुओ के प्रति प्रेम।

(आ) मनुष्य के प्रति सहानुति।

(इ) पक्षीयो के प्रति प्रेम। 

(ई) राष्ट्रीय पशुओ के प्रति प्रेम।

उतर: (अ) जीव–जतुओ के प्रति प्रेम।

(ख) महादेवी जी ने मोर–मोरनी के जोड़े के लिए कितनी कीमत चुकई?

(अ) पाँच रुपए।

(आ) सात रूपए।

(इ) तीस रूपए।

(ई) पैतीस হৃपए।

उतर: (ई) पैतीस रुपए।

(ग) विदेशी महिलाओं ने नीलकंठ कों क्या उपाधि दी थी? 

(अ) परफैक्ट जेंटिলमैन।

(आ) किंग ऑफ द जंगल।

(इ) ब्यूटीफूল वर्ड।

(ई) स्वीत एंड हैडशम परसन। 

उतर: (अ) परफैक्ट जेंटिলमैन।

(घ) महादेवी वर्मा ने अपनी पालतू–बिल्ली का नाम क्या रखा था?

(अ) चित्रा। 

(आ) राधा।

(इ) कुब्जा।

(ई) कजली।

उतर: (अ) चित्रा। 

(ड) नोलकठ और राधा की सबसे प्रिय  ऋतु थी?

(अ) ग्रोम ऋतु।

(आ) वर्षा ऋतु।

(इ) शीत ऋतु।

(ई) वत ऋ। 

उतर: (आ) वर्षा ऋतु।

S.L. No.CONTENTS
गद्यांश
पाठ – 1नींव की ईंट
पाठ – 2छोटा जादूगर
पाठ – 3नीलकंठ
पाठ – 4भोलाराम का जीव
पाठ – 5सड़क की बात
पाठ – 6चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
पद्यांश
पाठ – 7साखी
पाठ – 8पद–त्रय
पाठ – 9जो बीत गयी
पाठ – 10कलम और तलवार
पाठ – 11कायर मत बन
पाठ – 12मृत्तिका
रचना

प्रशन 2. अति संक्षिप्त उतर दो:

(क) मोर–मोरनी के जोड़े को लेकर पहुँचने पर सब लोग महादेवी जी से क्या कहने ल?

उत्तर: घर पहुँचने पर सब लोग महादेवी जी को कहने लगे, “तीतर है, मोर कहकर ठग लिया है”।

(ख) महादेवी जी के अनुसार नीलकंठ को कैसा वृक्ष अधिक भाता था?

उत्तर: महादेवी जी के अनुसार नीलकंठ फलों के वृक्षों से अधिक उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाता था। इस वृक्षों में से आम के वृक्ष तथा अशोक का नाम उल्लेखनीय है।

(ग) नीलकंठ को राधा और कुब्जा में किसे अधिक प्यार था और क्यों?

उत्तर: नीलकंठ को राधा से अधिक प्यार था। क्योंकि राधा और कुब्जा में से राधा के पास नीलकंठ की सहचारिणी होने का अधिक गुण है– जिनमें से उसकी लंबी धूपछाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखों की श्यामस्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि का उल्लेख किया जा सकता जो कि कुब्जा में कमी है। कुवजा बहुत झगड़ालू थी–इसलिए नीलकंठ को उसकी प्रति प्यार की कमी थी।

(घ) मृत्यु के बाद नीलकंठ का संस्कार महादेवी जी ने कैसे किया? 

उत्तर: महादेवी जी ने नीलकंठ के देह अपने शाल मे लपेटकर उसे गंगा में प्रवाहित कर दिया।

प्रशन 3. संक्षेप में उतर दो:

(क) बड़े मियाँ ने मोर के बच्चे दूसरो को न देकर महादेवी जी को ही क्यों देना चाहता था?

उत्तर: महादेवी जी ने बड़े मियाँ को मोर के बने के लिये पुछा था। शंकरगड़ से चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया है, एक मोर है, एक मोरनी। मोर के पंजों से दवा बनती है, सो ऐसे ही लोग खरीदने आते है, बड़े मियाँ के सिने में भी दिल है, इसलिए उन्होने नही दिया। और उपर से महादेवी जी को जीव जन्तुओं के प्रति प्रेम है, इसलिए बड़े मिया मोर के बच्चे को महादेवी जी को ही देना चाहता था।

(ख) महादेवी जी ने मोर और मोरनी के क्या नाम रखें और क्यो?

उत्तर: नीलाम ग्रीवा के कारण मोर का नाम रखा गया नीलकंठ और उसकी छाया के समान रहने के कारण मोरनी का नामकरण हुआ राधा।

(ग) लेखिका के अनुसार कार्तिकेय ने मयूर को अपना वाहन क्यो चुना होगा? मयूर की विशेशताओं के आधार पर उत्तर दो?

उत्तर: कार्तिकेय ने अपने युद्ध–वाहन के लिए मयूर को क्यों चुना होगा, यह उस पक्षी का रूप और स्वभाव देखकर समझ मे आ जाता है।

मयूर कलाप्रिय वीर पक्षी है, हिंसक–मात्र नही। इसी से उसे बाज चील आदि की श्रेणी में नही रखा जा सकता, जिनका जीवन ही क्रुर कर्म है।

(घ) नीलकंठ के रूप–रंग का वर्णन अपने शब्दों में करो। इस दृष्टि से राधा कहाँ तक भिन्न थी?

उत्तर: मोर के सिर की कलगी और सघन, उँची तथा चमकीली हो गई। चीच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखो मे ईदनील की नीलाभ ह्युति झलकने लगी। लंबी नील–हरित ग्रीवा की हर भंगिमा मे छूपछाँही तरंगे उठने–गिरने लगो दक्षिण–वाम दोनों पंखी में सलेटी और सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगी। पूँछ लंबी हुई और उसके पंखी पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग उद्दीत हो उठा। यह थे नीलकंठ कि विशेषताये। उसके साथ राधा कि विशेषता कुछ इस प्रकार थी–राधा का विकास निलकंठ के समान तो नही हुआ, परंतु अपनी लबी धूपछाँही गरदन, हवा मे चंचल कलगी, पंखो की श्यामश्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी।

(ङ) बारिश में भोगकर नृत्य करने के बाद नीलकंठ और राधा पंखों को कैसे सूखाते?

उत्तर: वर्षा के थम जाने पर वह दाहिने पंखे पर दाहिना पंख और बाएँ पर बायाँ पंख फैलाकर सुखाता। कभी कभी वे दोनो एक दूसरे के पंखी से टपकने वाली बूँदो की चीज से पी–पी कर पंखो का गीलापन दूर करते रहते।

(च) नीलकंठ और राधा के नृत्य का वर्णन अपने शब्दों में करो?

उत्तर: नीलकंठ और राधा के सबसे प्रिय ऋतुओं में से वर्षा सबसे प्रिय थी। इसीसे हमे ज्ञात होता है कि वर्षा के समय मोर के नृत्य हो सबसे विख्यात और हम सबका प्रिय है। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे। मेघ के गर्जन के ताल पर ही उसके तन्मय नृत्य का आरंभ होता। और फिर मेघ जितना अधिक गरजता, बिजली जितनी अधिक चमकती, बूँदो की रिम–झिमाहट जितनी तीब्र होता जाती नीलकंठ के नृत्य का वेग उतना ही अधिक बड़ता जाता।

(छ) वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय हो जाता था, क्यों?

उत्तर: वसंत ऋतु वृक्षों में से नये नये पत्ते निकलने लगते हैं, डालीओ से कली खिलने लगते है। आम के वृक्ष सुनहली मंजरियो से लद जाते है, अशोक के वृक्ष लाल पल्लवों से ढँक जाते है। नीलकंठ को वैसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष अधिक आकर्षित करता है। इसलिए इस ऋतु मे नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहन अनय हो जाता था।

(ज) जाली के बड़े घर में रहनेवाले वाले जीव–जंतुओं के आचरण वर्णन करो? 

उत्तर: नीलकंठ बहुत शीघ्रही चिड़ियाघर के निवासी जीव–जंतुओ का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया। सबेरे ही वह सब खरगोश कबुतर आदि की सेना एकत्र कर उस ओर ले जाता जहाँ दाना दिया जाता है। खरगोश के छोटे छोटे बच्चो का साथ भी खेलता था उनके कान पकड़कर उठाता था। इस प्रकार हमे ज्ञात होता है कि जाली घर में रहनेवाली जीव जन्तुओ का आचरण बहुत ही सुन्दर थी।

(झ) नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप के चंगुल से किस तरह बचाया?

उत्तर: नीलकंठ दूर ऊपर झूले में सो रहा था जब साप आया। उसी के चौकन्ने कानो ने उस मंद स्वर की व्यथा पहचानी और वह पूँछ–पंख समेटकर सर से एक झपटे में नीचे आ गया। 

उसने साँप को फन के पास पंजो से दबाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते हो खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया। इसी प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप के चंगुल से बचाया।

(ञ) लेखिका को नीलकंठ की कौन–कौन सी चैष्ठाएँ बहुत भाती थी?

उत्तर: लेखिका महादेवी वर्मा को नीलकंठ जैसा एक कलाप्रिय वीर पक्षी के कुछ विशेष रूप और स्वभाव ने आकृष्ट किया था। इनमें से चिड़ियाघर के निवासी जीव–जन्तुओं का सेनापति और संरक्षक बनना, स्वोरगोश, कबुतर आदि सेना को एकत्र कर उन्हे लक्ष्य तक पहुचाना, दंड देने के समान प्रेम रखना, पंखों का सतरंगी मंडलाकार छावा वानकर नियमित रुप से नृत्य की भंगिमा में खड़ हो जाना, लेखिका के हथेली पर से चुने चुने को नुकीली पैनी चोंच द्वारा कोमलता से उठाकर खाना आदि उल्लेखनीय है ।

प्रशन 4. सम्यक् उत्तर दो:

(क) नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में वर्णन करो?

उत्तर: मयूर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं को निम्नप्रकार अंकित किया गया है ।

जब नीलकंठ बड़ा होने लगा तब उसका दिनचची भी बदल गया। वह किसी की ओर गरदन ऊँची कर देखता था। वह विशेष भंगिमा के साथ दाना चुगता था, पानी पीता था– कभी किसी आहट हो तो वह टेढ़ी कर सुनने लगता था। कुछ महीने बाद वह खरगोश कबुतर आदि जीव–जन्तुओं का सेनापति और संरक्षक बनकर उन्हें दाना देने की जगह ले जाता। किसी ने कुछ गड़बड़ की तो तीखे चंचु–प्रहार से दंड देता। दंडविधान के समान ही वह सबका प्यार भी दिया था।

नीलकंठ जीव–जन्तुओं का प्रहरी जैसा था। वह शिशु खरगोश को साँप के मुह से बचाया था। साँप को दो खण्ड करने के बाद वह शिशु खरगोश के पास जाकर उसे पंखों के नीचे रखा और ताप दिया था। नीलकंठ का ऐसा मानवीय कर्म देखे विना अनुभव किया नहीं जाता।

नीलकंठ महसूच करता था कि किस प्रकार कृतज्ञता की स्वीकार किया जा सकता। वह लेखिका महादेवी वर्मा जी को उनके पालन– पोषण के कारण कृतज्ञता के रुपये पंखों का सातरंगी मंडलाकार छाता बान कर नित्य की भंगिमा में खड़ा हो जाता था। यह देख विदेशी महिलाओं ने भी उसे परफेक्ट जेटलमेन’ की उपाधी दी थी। 

इसके अलावा नीलकंठ में कलाप्रियता, संगीतमयता, दुख–कातरता इत्यादी गुण पाया जाता है जो मानवीकरण का एक सजीव चित्र हमें दिखाई देता है।

(ख) कुब्जा और राधा के आचरण में क्या अंतर परिलक्षित होते हैं? क्यों?

उत्तर: कुब्जा और राधा दोनो मोरनी है। दोनों के आचरणों में– अनेक अंतर परिलक्षित होते है। नोचे दोनों के अंतर को दिखाया गया है।

राधाकुब्जा
1. राधा मंथर गति से चलने–वाले मोरनी थी। उनकी आचरण में मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण है। वह मोर नीलकंठ की छाया के समान रहती थी।1. कुब्जा का आचरण राधा का समान नही था। वह नाम के अनुरूप कुबड़ी भी थी।
2. शिशु खरगोश कं ऊपर–चली साँप के आक्रमणों के बारे में राधा को भी पता मिल गयी थी; लेकिन वह नीलकंठ को मदद देने की आवश्यकता महसूच नहीं करता। तथापि वह अपनी मंद केका से इस घटना की सूचना दी थी।2. कुब्जा वहुत बड़ी क्रोधी और चंचल थी। नीलकंठ और राधा के मेल को देख वह आगबबुल हो गयी थी। चोंच से मार–मारकर राधाकी कलगीनोच डाली, पंख नोच डाले।
3. राधा की नृत्य में छंद रहता था। वह नृत्यमग्न नीलकंठ की दाहिनी और के पंख को छूती हुई बाहें और निकल आती थी और बाँए पंख को स्पर्श कर दाहिनी ओर।3. नीलकंठ के प्रति कुब्जा का प्यार भी कम न था, पर नीलकंठ उससे दूर भागता था।
4. बर्षा ऋतुमें नीलकंठ के पंखों में लगी बुँदो की राधा अपने चोंच से पी–पी कर पंखों का गीलापन दूरकर मोर को योग्य सहसारिणी होनेका प्रमाण देती थी।4. कुब्जा किसी को नीलकंठ के पास आना नही चाहती थी। किसी भी जीव–जन्तु से वह मित्रता करना भी नहीं चाहती थी। वह इतनी झगड़ालु और हिंसुक थी कि उसकी डर से राधा अपने दिए दो अंडे को पंखों में छिपाए रखती थी। किसीसे पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार–मार कर राधा को ढकेल दिया था और फिर अंडे फोड़कर पैरों से छितरा दिए थे।

(ग) मयूर कलाप्रिय वीर पक्षी है, हिंसक मात्र नहीं–इस कथन का आशाय समझाकर लिखो?

उत्तर: सभी प्रकार के जीव–जन्तुओ या पशु–पक्षीओं का वीच रूप–स्वभाव और आचरण में अंतर देखा जाता है। चारित्रिक विशेषता के कारण एक दुसरों से श्रेष्ठ बनजाता है। बाज, चील जैसे हिंस्र पक्षीओं की तरह मयूरो का जीवन नहीं है। बाज, चीलो का जीवन हिंस्रता और क्रूरता से भरा हुआ है। पर हिंस्रता रहने हुए भी जो कलाप्रियता, सुन्दरता, और वीरत्व मयूरों में है– इससे वे अपने को मनुष्य के पूज्य–श्रेणी तक पहुंचाता है।

पुराणे जमाने से ही लोग मयूरों के साथ सम्बंध वरते आये । कार्त्तिकय ने मयूरो को आपना युद्ध का वाहन चुना था बाज और चील को नहीं। मयूर अपने नृत्य द्वारा लोगों का मन मोहलेते है। एक ही समय में वह वैरीओ के साथ वीरता से बदला ले सकता है। मयूर सौन्दर्य का भी अनुरागी है। वह फलों का नहीं पुष्पित और पल्लवित वृक्ष को ही अधिक थाने है। तदुपरांत बर्षाकालिन मेघ के गर्जन के ताल पर नाचने लगाते है और केका का स्वर भी मंद्र से मंद्रतर होता है। मयूरों के इतने गुणों के साथ कहाँ होता है बाज चील जैसे प्राणीओं का मेल। 

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान:

1. निम्नलिखत शब्दो के सन्धि–विच्छेद करो:

नवांगक – नव + आगंतुक – नवगक।

मंडलाकार – मंडल + आकार – मण्डलाकार।

निशचेष्ट – निः + चेष्ट – निशचेष्ट।

आनंदोत्सव – आनंद + उत्सव – आनंदोस्तव।

विस्मयाभिभूत – विस्मय + अभिभूत – विस्मयाभिभूत।

आविर्भूत – आवि + मूत – आविर्भूत।

मेघाच्छन – मेघ + आच्छत्र – मेघाच्छत्र।

उद्दीप्त – उत् + दीप्त – उद्दीप्त।

2. निम्नलिखित समस्तपदों का विग्रह करते हुए समास का नाम भी बताओ:

पक्षी–शावक, करुण–कथा, लय–ताल, धूप–छाँह, श्याम–शवेत, चंचु–प्रहार, नीलकंठ, आर्तक्रंदन, युद्धवाहन।

उत्तर: 

समस्त पदसमास विग्रहसमासो का नाम
(i) पक्षी – शावकपक्षी – का शवकसम्बंध तत्पुरुष
(ii) करुण – कथाजो कथा करुण हैकर्मधारय
(iii) लय – ताललय और तालद्वन्द्व (समाहांर द्वन्द्व)
(iv) धूप – छाँहधूप और छाँहइतरेतर द्वण्ड
(v) श्याम – शवेतश्याम और शवेतइतरेतर द्वण्ड
(vi) चंचु-प्रहार प्रहारचंचु से (के द्वारा)करण तत्पुरुष
(vii) नीलकंठनीली कंठकर्मधारय (विशेषण पूर्वपद)

3. निम्नलिखित शब्दों से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करो:

स्वाभाविक – स्वभाव + इक्।

दुर्बलता – दुर्बल + ता। 

रिमझिमाहट – रिमझिम + आहट।

पुष्पित – पुष्प + इत।

चमत्कारिक – चमत्कार + इक्।

क्रोधित – क्रोध + इत।

मानवीकरण – मानवी + करण।

विदेशी – विदेश + ई।

सुनहला – सुनहल + आ।

परिणामत – परिणाम + अत।

4. उठना, जाना, डालना, लेना क्रियाओं से बनने वाली संयुक्त क्रियाओं से चार वाक्य बनाओ:

उठना – हमे आपना सेहत बनाने के लिये सुबह जल्दी उठना चाहिये। 

जाना – मुझे कल फुटबल खेलने के लिये दिल्ली जाना है।

डालना – दुध में इतना पानी मत डालो।

लेना – हमारे बीच लेना–देना, तो लगा ही रहेगा।

5. निम्नलिखित वाक्यों में उदाहरणों के अनुसार यथास्थान उपयुक्त विराम चिह्न लगाओ:

(क) उन्हें रोककर पूछा मोर के बच्चे हैं कहाँ?

उत्तर: उन्हें रोककर पूछा, “मोर के बच्चे है कहाँ?

(ख) सब जीव–जंतु भागकर इधर–उधर छिप गए?

उत्तर: सब जीव–जंतु भागकर इधर–उधर छिप गए।

(ग) चोंच से मार–मारकर उसने राधा की कलगी नोच डाली पंख नोच डाले?

उत्तर: चोंच से मार–मारकर उसने राधा की कलगी नोच डाली, पंख नोच डाले।

(घ) न उसे कोई बीमारी हुई न उसके शरीर पर किसी चोट का चिह्न मिला?

उत्तर: न उसे कोई बीमारी हुई, न उसके शरीर पर किसी चोट का चिह्न मिला।

(ङ) मयूर को बाज चील आदि की श्रेणी में नही रखा जा सकता जिनका जीवन ही क्रूर कर्म है?

उत्तर: मयूर को बाज, चील आदि की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जिनका जीवन ही क्रूर कर्म है।

योयता विस्तार:

1. रेखाचित्र क्या? रेखाचित्र की विशेषताएँ क्या– क्या? उनकी जानकारी प्राप्त करो?

उतर: खोद करो।

2. अपने परिवार, मित्रों अथवा अपने आस–पड़ोस द्वारा पालित किसी पशु या पक्षी के रूप–रंग, स्वभाव, व्यवहार तथा क्रियाकलापों का अवलोकन करो और उसके आधार पर उसका शब्द–चित्र खींची?

उतर: खोद करो।

3. जीव–जंतु के विषय में लिखे गए अन्य लेखकों की साहित्यिक रचनाएँ खोजकर पढ़ो और ऐसी ही रचनाएँ खुद भी लिखने की कोशिश करो?

उत्तर: खोद करो।

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