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SEBA Class 10 Hindi Chapter 6 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
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चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
गद्यांश
अभ्यासमाলা
बोध एवं विचार:
1. सही विकल्प का चयन करो:
(क) पत्र को ऊर्दू में क्या कहा जाता है?
(अ) खत।
(आ) चिट्ठी।
(इ) कागद।
(ई) लेख।
उतर: (अ) खत।
(ख) पत्र लेखन है?
(अ) एक तरीका।
(आ) एक व्यवस्था।
(इ) एक कला।
(ई) एक रचना।
उतर: (इ) एक कলা।
(ग) विशव डाक संघ ने पत्र लेखन की प्रतियोगिता शुरु की–
(अ) सन् 1970 से।
(आ) सन् 1971 से।
(इ) सन् 1972 से।
(ई) सना 1973 से।
उत्तर: (इ) सन 1972 से।
(च) महात्मा गाँधी के पास दुनियाभर से तमाम पत्र किस पते पर आते थे?
(अ) मोहनदास करमचन्द गाँधी–भारत।
(आ) महात्मा गाँधी–भारत।
(इ) बापूजी–इन्डिया।
(ई) महात्मा गाँधी–इन्डिया।
उत्तर: (ई) महात्मा गाँधी–इंडिया।
(ङ) तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल किसकी है?
(अ) रेल विभाग।
(आ) डाक विभाग।
(इ) शिक्षा विभाग।
(ई) गृह विभाग।
उत्तर: (इ) डाक विभाग।
S.L. No. | CONTENTS |
गद्यांश | |
पाठ – 1 | नींव की ईंट |
पाठ – 2 | छोटा जादूगर |
पाठ – 3 | नीलकंठ |
पाठ – 4 | भोलाराम का जीव |
पाठ – 5 | सड़क की बात |
पाठ – 6 | चिट्ठियों की अनूठी दुनिया |
पद्यांश | |
पाठ – 7 | साखी |
पाठ – 8 | पद–त्रय |
पाठ – 9 | जो बीत गयी |
पाठ – 10 | कलम और तलवार |
पाठ – 11 | कायर मत बन |
पाठ – 12 | मृत्तिका |
रचना |
2. संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) पत्र ऐसा क्या काम कर सकता है, जो संचार का आधुनिकतम साधन भी नही कर सकता?
उत्तर: पत्र मानसिक रूप से एक व्यक्ति को संतोष दे सकते है। पत्र हमेशा नया सिलसिला शुरू कर सकते है–राजनीति, साहित्य, कला के क्षेत्र में नई नई घटनाओं को भी पत्र के माध्यम से ही दे सकते है। जो आधुनिकत साधनो ने नहीं दे सकते भी है।
(ख) चिट्ठियों की तेजी अन्य किन साधनों के कारण बाधा प्राप्त हुई ई?
उत्तर: चिट्ठियों की तेजी आज मोवाईल, फैक्स, वोयारलेच, राडर आदि जैसे नयी नयी माध्यमों के कारण बाधा प्राप्त हुई है। दूनीया इन्हें बदलदिया लेकिन चिट्ठि का प्रयोग भी मान्य और से बढ़ते गया।
(ग) पत्र जैसा संतोष फोन या एस. एम. एस. का संदेश क्यों नहीं दे सकता?
उत्तर: पत्रको लोग सहेज कर रख सकते है लेकिन एस.एम.एस. ऐैसा नहीं कर सकता। एस.एम.एच जल्दी ही भूल जाने का सम्भावना है। पत्र में लोग मन की सच्ची भावनाओ का प्रकट करने का सुविधा है। एस.एम. एस. में नहीं।
(घ) गाँधीजी के पास देश–दुनिया से आये पत्रों का जवाब वे किस प्रकार देते?
उत्तर: गाँधीजी ने जैसे ही कोई पत्र मिले तो जितना हो सके जल्दी ही उत्तर देने के लिए लग जाते थे। पत्र का जवाब खुद ही देते थे। लिखते लिखते जब थक जाते तो दूसरे हाथ जैसे वाएँ हाथ भी इस्तेमाल करते थे। गाँधीजी–दोनो हाथों से लिख सकते थे।
(ङ) कैसे लोग अब भी बहुत ही उत्सुकता से पत्रों का इंतजार करते है?
उत्तर: मोवाइल, फेक्स आदि साधन होते हुए भी शहरों के लोग, झोपड़ीयों के लोग, दुर्गम जंगलों के गाँव, पाहाड़ी इलाके के, रेगिस्थान के तथा समुद्र तट के मच्छूवारें तक एक ही पत्र पाने के लिए बड़ी उत्सुकता से आज भी इन्तजार करते रहते हैं।
3. उत्तर दो:
(क) पत्र को खत, कागद, उत्तरम, लेख इयादि कहा जाता है। इन शब्दो से संबंधित भाषाओं के नाम बाताओ?
उत्तरः पत्रों का भाव सब जगह में एक ही होता है। लेकिन जगह जगह पर अलग अलग भाषा में इसका नाम अलग अलग से पुकारे जाते है। जैसे–उर्दू में पत्रकों खत, संस्कृत में पत्र, कन्नड़ मे कागद, तेलुगु में उत्तरम, जाबु और लेख और तामिल में कडिद नाम से पूकारे जाते है।
(ख) पाठ के अनुसार भारत में रोज कितनी चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती और इससे क्या साबित होता?
उत्तर: पाठ के अनुसार होज करोडों चिट्ठियाँ डाक में डाली–जाती है। इससे यह साबित हुआ कि आज मोवाइल, फैक्स, इन्तरनेट आदि होते हुए भी पत्रों का आदर कम नहीं हुआ। विशेष रूप से तमाम सरकारी विभागों में इसका व्यवहार बढ़ते ही गया। मणिअडीर, टेलिग्राम आदि जैसे साधन आज भी डाक के माध्यम से ही बरकरार रहे है।
(ग) क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई–मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर: वास्तव में कभी चिट्टियों की जगह फेक्स, ई–मेल, टेलिफोन तथा मोबाइल नहीं ले सकते है। क्योंकि फेक्स, ई–मेल, मोवाइल आदि का काम के साथ चिट्ठी का काम अलग है। चिट्ठियाँ से लोग जी संतोष प्राप्त करते है यह बाकी आधुनीक कोई साधन नही दे सकते है। देश के तमाम घटनाओं का विवरण चिट्ठियों से ही विस्तार से दे सकते हैं, फेक्स से नहीं या अभ्य साधनों से। ऐसे ही अनेक कारणों से कभी फैक्स, ई–मेल, टेलिफोन या मोवाइल चिट्ठियों के जगह आ पहुँच नही पाएंगे।
(घ) किनके पत्रों से यह पता चलता है कि आजादी की लड़ाई बहुत ही मजवती से लड़ी गयी थी?
उत्तर: भारत में आजादी के महासंग्राम के दिनों में जो अंग्रेज अफसरों ने अपने परिवार परिजनों के लिए चिट्टि भेजा था। आगे चलकर यह चिट्ठी बड़ी महत्वपूर्ण बन गयी है। इन पत्रोंसे यह साबित हुआ कि भारत में आजादी की लड़ाई कितनी मजबुती से लड़ी गयी थी।
(ङ) संचार के कुछ आधुनिक साधनों के नाम उल्लेख करो?
उत्तर: पहले दुनीया में जो पत्रों का राज था, यह बदल कर आज नये नये आधुनिक साधन यहाँ पर आगया। जैसे–साधारण लागों के हाथों में मोबाइल फोन। मोबाइल आज बंद होगा तो दुनीया बंद होगा। फेक्स के द्वारा लिखित रूप में निर्दिष्ट पता पर भेज दे सकते है। इस प्रकार ईमेल, इन्टरनेट, रडार जैसे साधनों से दुनीया छोटा कर दिया। तो भी पत्र आज बरकारार रहे है।
4. सम्यक् उत्तर दो:
(क) पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या–क्या प्रयास हुए?
उत्तर: ‘पत्र’ देखने में एक साधारण सी लगती है, लेकिन यह साधारण पत्र दूनीया का तमाम साहित्य, राजनीति, आदि सभी क्षेत्रों जितनी सिलसिला शुरु किया उसके साथ आजका आधुनिकतम साधन तुलना ही नहीं। यह भी सत्य कि पत्र के साथ आधुनीकतम बैज्ञानीकों के आविष्कार में काफी प्रतियोगिता बढ़ी है। हाजारों सालो से पुराना पत्र व्यवस्था पर आज मोबाईल, फैक्स, ईमेल, इन्टरनेट, रेडार आये है। लेकिन पत्र लेखन आज भी बरकरार ही है। पीछली शताब्दी में पत्र लेखन एक कला के रूप में विकशित हुआ था। डाक व्यवस्था के सूधार के साथ पत्र व्यावस्था विकाश में भी सुधार लाया है। इस व्यवस्था में स्कुली पाठ्यक्रम में पत्र लेखन शामिल करके विकास के प्रयास किए गये। भारत के अलवा विश्व के कई देशों में यह प्रयास शुरु हुआ था। सफल भी हुए थे। विश्व डाक संघ ने और एक कदम आगे बढ़कर १९७२ सन से १६ बर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित किए थे। नये आधूनिक साधनों के तेज विकाश तथा अन्य कारणों से पत्रों की दूनीया में वाधाएँ आयी तो भी सरकारी व्यवस्था तथा व्यापरिक व्यवस्था में पत्र का व्यावहार लगातार बढ़ती रहती है।
(ख) वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज से कम नही है–कैसे?
उत्तर: वास्तब में पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं। क्यों कि किसी पत्र से उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, साहित्य तथा लिखनेवाले के व्यक्तिगत मनोदशा की लेखजोखा मिलती है। इसमें सुमित्रानन्दन पँत जी के दो सौपत्र बच्चन के नाम नीरला अर्थात सूर्यकांत त्रिपाठी जी के भी पत्र हमको मिलते है। इसमें प्रेमचंद जी भी पीछे नहीं है उन्हें नये लेखकोंकों को प्रेरक जबाब देते थे तथा पत्रों के जबाब में वेबहुत तत्पर रहते थे। जिससे नये लेखक को प्रेरणा मिलती है। प० नेहरु, महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टेगोर आदि के पत्र देश के प्रेरणा ही नही महान दस्तावेज है, दलिल है, जिसे देश के नये पीढ़ियों को प्रेरणा देते आये है। महात्मा गांधी और रवीन्द्रनाथ जी के बीज सन १९१५ से १९४१ तक जितनी पत्र का आदान प्रदान हुआ ये सब संग्रिहित रूप में प्रकाशित हुआ। जिससे देश के लिए नये तत्थों और उनकी मनोदशा का लेखा जोखा मिलता है। इस प्रकार किसी देश के लिए, किसी परिवार के लिए पुरुखों के पत्रों का संग्रह एकप्रकार दस्तावेज के रूप में माना जाता है।
(ग) भारतीय डाकघरों की बहु आयामी भूमिका पर आलोकपात करो?
उत्तर: भारतीय जन जीवन के लिए भारतीय डाक सेवा देवदुत जैसे। देश के तमाम सरकारी विभागों में से भारतीय डाक विभाग महत्वपूर्ण है, कियोंकि देश के प्रायः जनता इससे सम्पर्क में आया हैं। डाक विभाग के कृपा से शहरों के इमारतों में रहने वालों से झोपड़ी में रहने वालों तक डाक सेवा का प्रभाव पड़ा हुआ है। आज डाक व्यवस्था में पत्रों की ही आदान–प्रदान नहीं करते अन्य व्यवस्था जैसे पार्सल, रेकारी डिपोजित, सेविंस आदि अनेक अर्थसंबंधी कार्य कर रहे है। डाक विभाग अपने कार्यक्रम देश विदेश तक फैले है। दूर अगम्य इलाकों में डाक विभाग के ही कृपा “मणिअर्दर” से चुल्हे जलाते है। वहाँ डाक के कृपा “मणिअदर से चुल्हे जलाते है। वहाँ डाक के डाकिया को देवदूत के रूप में मानते है। इसप्रकार से देखा जाता है कि भारतीय डाकघरों की भूमिका बहुत ही प्रभावित है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान:
1. केवल पत्र’ कहने से सामान्यतः चिट्ठियों के बारे में ही समझा जाता है। परंतु अन्य शब्दों के साथ संयोग से पत्र का अर्थ बदल जाता है, जैसे समाचार पत्र। अब पत्र शब्द के योग से बनने वाले पाँच शब्द লিखो?
उतर: प्रशनपत्र, निमंत्रण पत्र, आवेदन पत्र, इस्ताफा पत्र, प्रेम पत्र।
2. व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग चे बना है। ‘इक’ प्रत्यय चे बनने बाले पाँच शब्द पुस्तक से खोजकर লিखो?
उत्तर: टेलिफोन + इक = टेलिफोनिक।
व्यवहार + इक = व्यवहारिक।
संस्कृत + इक = कृति।
राचनीति + इक = राजनीतिक।
समाज + इक = सामाजिक।
3. दो स्वरों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते है, जैसे–रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते है। संधियाँ चार प्रकार की मानी गई है– दीर्घ, गुण, वृद्दि और यण।
ह्रस्व याद दीर्घ अ, इ, उ के साथ हस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते है, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते है, जैसे–संग्रह + आलय = संग्राहालय, महा + आत्मा = महात्मा। इस प्रकार के दस उदाहरण खाजेकर लिखो और अपने शिक्षक को दिखाओ।
उत्तर: गिरि + इन्द्र = गिरीन्द।
भानु + उदय = भानूदय।
पितृ + ऋण = पितृण।
मही + इन्द्र = महीन्द्र।
भौजन + आलय = भोजनालय।
महा + आशय = महाशय।
शिव + आलय = शिवालय।
अन्न + अभाव = अन्नाभाव।
विद्या + आर्थी = विद्यार्थी।
विद्या + आलय = विद्यालय।
योग्यता विस्तार:
1. पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए उपाय सुझाते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखो?
उत्तर: प्रिय मित्र,
गुवाहाटी
दिनांक…
नमस्ते,
बहुत दिनों से तुमहारा कोई पत्र नहीं मिला। क्यों? अच्छे तो हो ना? मैं एैसे तो ठीक हूँ। लेकिन आज बहुत दिनों से एक बात पर चिंता कर रहा हँ कि चारों ओर जितनी पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है इसको रोकने में हम किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं? मैंने एक सोध करता हूँ कि पहले पुरे घटनाओं को समाचार पत्रों में देकर सरकार को आकर्षित करना है। फिर इस पर नियम जारी करके लोगो को सचेत करके कम से कम प्रदूषण यानी पर्यावरण रोकने में कौशिश कर सकता हूँ। इसमें विद्यार्थीयों ने सहयोग दे सकते है। विशेष रूप से विद्यालय के आस पास के पर्यावरण तो रोक सकते है।
ठीक है। मेरे भावना अगर ठीक तो जल्दी उत्तर भैजिएगा। परामर्श के लिए इन्तजार करता हूँ ।
आपको मित्र
दीनेश
2. पुस्तकालय में खोजकर जवाहरलाल नेहरु द्वारा इंदिरा गांधी को लिखे गये पत्रों का संग्रह ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम पढ़ो और उन पत्रों में वर्णित विविध विषयों का ज्ञान प्राप्त करके मित्रो के साथ चर्चा करो?
उत्तर: खुद करो।
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