Class 11 Hindi MIL Chapter 18 हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

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Class 11 Hindi MIL Chapter 18 हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

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हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

आरोह: काव्य खंड

प्रश्नोत्तर:

1. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रिया बाधक होती हैं- इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए। 

उत्तर: लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं। ये ईश्वर भक्ति में बाधक होती है हमारे शरीर की निम्नलिखित इंद्रियों को- क्रोध, लोभ, मद, मोह, अहंकार इन्हें अगर नियंत्रण नहीं किया गया तो ये ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में बाधक बनती हैं। ये इंद्रियाँ भक्ति मार्ग से विचलित करती रहती हैं। जिससे मनुष्य माया- मोह सांसरिक आवरण में पड़कर ईश्वर भक्ति को भूल जाता है।

2. ओ चराचर। मत चूक अवसर – इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: इस पंक्ति में कवियत्री जड़ और चेतन जगत को संबोधित करती हुई कहती है कि ईश्वर प्राप्ति के लिए मिले किसी अवसर को गवाना नहीं चाहिए।

3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।

उत्तर: यहाँ ईश्वर के लिए ‘जूही के फूल’ दृष्टांत का प्रयोग किया गया है।

‘जूही के फूल’ बहुत ही कोमल होता है, और इसे प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। दूसरी तरफ ईश्वर भी दया और करूणा के सागर माने जाते हैं। अत: वे भी बहुत कोमल होते हैं।

S.L No.CONTENTS
गद्य खंड
Chapter – 1नमक का दारोगा
Chapter – 2मियाँ नसीरुद्दीन
Chapter – 3अपू के साथ ढाई साल
Chapter – 4विदाई-संभाषण
Chapter – 5गलता लोहा
Chapter – 6स्पीति में बारिस
Chapter – 7रजनी
Chapter – 8जामुन का पेड़
Chapter – 9भारत – माता
Chapter – 10आत्मा का ताप
काव्य खंड
Chapter – 11हम तौ एक एक करि जाना
Chapter – 12मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
Chapter – 13पथिक
Chapter – 14वे आँखें
Chapter – 15घर की याद
Chapter – 16चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
Chapter – 17गज़ल
Chapter – 18हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
Chapter – 19सबसे खतरनाक
Chapter – 20आओ, मिलकर बचाएँ
वितान
Chapter – 21भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ – लता मंगेशकर
Chapter – 22राजस्थान की रजत बूँदें
Chapter – 23आलो-आंधारि

4. अपना घर से क्या तात्पर्य हैं ? इसे भूलने की बात क्यों कही गई हैं? 

उत्तर: अपना घर अर्थात् अपना अस्तित्व स्व या अहंकार की भावना।

कवियत्री अपने आस्तित्व स्व या अहंकार को भूलने की बात करती है, क्योंकि जब ये भावनाएँ शरीर में रहेंगे तब तक मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति नहीं होगी।

5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

उत्तर: कवयित्री जो चन्नमल्लिकार्जुन की भक्त है, वे हर भौतिक वस्तु से अपनी झोली खाली रखना चाहती हैं। वे ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती हैं, जिससे उनका स्व या अंहकार पूरी तरह से नष्ट हो जाएँ।

कवयित्री ने यहाँ अपने अराध्य देव को जूही की फूल से संबोधित किया है। वह कहती है, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर मुझसे इसप्रकार भीख मँगवायें जिससे मैं अपना अस्तित्व, अपना घर द्वार सबकुछ भूल जाउ। भीख के लिए जब झोली फैलाऊँ तो भीख भी न मिले। अगर कोई हाथ भी बढ़ाये देने के लिए तो वह नीचे गिर जाए। और अगर मैं नीचे झुककर उस वस्तु को उठाने की कोशिश करूँ भी तो कोई कुत्ता आ जाएँ और उसे झपटकर मुझसे छीन ले जाये। किसी भी तरह वस्तु मुझे न मिले। तभी उनके अंदर का अंहकार पूरी तरह से नष्ट हो जायेगी।

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