SEBA Class 8 Hindi Chapter 10 गोकुल लीला

Join Roy Library Telegram Groups

SEBA Class 8 Hindi Chapter 10 गोकुल लीला Question Answer in Hindi Medium Students will find the very useful for exam preparation. SEBA Board Class 8 Hindi Question Answer The experts of Roy Library provide SEBA Class 8 Hindi Chapter 10 गोकुल लीला for every textbook question Answer to help students understand and learn the language quickly. SEBA Class 8 Hindi Chapter 10 गोकुल लीला by Roy Library helps students understand the literature lessons in the textbook. SEBA Class 8 Hindi Chapter 10 गोकुल लीला The sole purpose of the solutions is to assist students in learning the language easily.

SEBA Class 8 Hindi Chapter 10 गोकुल लीला

NCERT Solution for Class 8 Hindi, CBSE Solution for Class 8 Hindi, gives you a better knowledge of all the chapters. SEBA Class 8th Hindi Notes He experts have made attempts to make the solutions interesting, and students understand the concepts quickly. 8th Standard Hindi Notes, will be able to solve all the doubts of the students. SEBA Class 8 Hindi Textbook Solution pdf, provided are as per the Latest Curriculum and covers all the questions from the are present on Roy Library’s website in a systematic order.

गोकुल लीला

अभ्यास–माला

बोध एवं विचार: 

(a) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो।

1. दोनों पदीं में से तुम्हें कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर: कवि सुरदास जी का ‘गोकुल लीला’ के दोनों पदों में से मुझे प्रथम पद अच्छा लगा। क्योंकि -शिशु कृष्ण नंदन की आंगन से घुटनी का बल और किलकारी करने का दृश्य बहुत आनंदं मिला। आँगन में बार-बार अपनी पढ़छाई की देखकर उसे पकड़ने के लिए आये बढ़ना चलता है। जब कृष्ण किलकारी करते हुए हँसता है तब दूध के दो दाँत निकल पड़ते है। कवि सुरदास कल्पना करता है कि नंद के आँगन की स्वर्णिम-भूमि पर कृष्ण का हाथ और चरणों की छाया देखकर ऐसा लगता है कि पृथ्वी प्रत्येक चरण और हाथ को प्रतिमा बनाकर उसके लिए कमलासन सजा दी है।

कृष्ण की बाल-लीला अवस्था को देखकर यशीदा को अत्यंत शुख मिला रहा है और बह नदं को बार-बार बुलाती है। फिर वह कृष्ण को गोद में उठा लेती है-आँचल से ठककर दुध पिलाने लगती है।

कबि सुरदास जी के द्वारा रचित पदों में से ‘गोकुल लीला’ प्रथम पद का वर्णन अति मधुर है। एक माँ होकर अपनी संतानों को किस तरह प्यार से गौद में उठा लेती है और यह मनोरम दृश्य पदों में मिलता है। इसलिए मुझे प्रथम पंद को स्वीकार किया। 

2. दुसरे पद को पढ़कर बताओ कि तुम्हारे अनुसार उस समय कृष्ण की उम्र क्या रही होगी?

उत्तर: दुसरे पद को पढ़कर यह मालुम होता है कि उस समय कृष्ण की उम्र आट-नौ की उम्र रही होगी।

3. पहले पद में घुटनों के बल चलनेवालो कृष्ण का जो वर्णन किया है उसे अपनी हिन्दी में प्रस्तुत करो।

उत्तर: पहली पद मो घुटनों के बल चलनेवाला कृष्ण को जो वर्णन किया गया है, वह एक मनोरम दृश्यं प्रकट की।

अत्परं- कृष्ण अपनी किलकारी करते हुए देखकर बहुत आनन्द मिला है। नदं का आँगन स्वर्णिम और मणियों से जड़ा हुआ है। कृष्ण आँगन में अपनी पड़छाई को देखकर उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ना का दृश्य बहुत चमकप्रद है। कभी कभी अपनी छाया को देखता है और कभी पकड़ना चाहता, अपनी पड़छाई को बार बार देखता है। कवि सुरदास कल्पना करते हे कि नंद के आँगन की स्वर्णिम भूमि पर कृष्ण के हाथ और चरणों की छाया जेसी कोई चरण और कमलासन सजा रही है। कृष्ण की इस बाल-अवस्था देखकर यशोदा को अत्येंत सुख मिला रहा हैं और नंद को बार-बार बुलाती हैं। फिर बह कृष्ण को गोद में उठा लेती है और आँचल से ठककर दुध पिलाने लगती है।

4. मक्खन चुराकर भी कृष्ण अपनी चतुराई से कैसे माँ का मन मोह लेते है–उसका वर्णन अपने शब्दों में करो।

उत्तर: शिशु-कृष्ण माँ से कहता है कि-माँ, मैंने मक्खन नहीं खाया। ये सारी मेरे पीछे पड़ गए और मेरे मुह में मक्खन लपेट दिया। माँ, तुम खुद देख लो मक्खन के वर्तन सिकहरे पर ऊँचे लटकाकर रखे गए है। मेरे ये नन्हे-नन्हे हाथ से कैसे उनतक पहुँच पाते। इस समय में कृष्ण को एक उपाय सूझा, उसने अपने मुँह से दधि पींछकर दोना पीछे छुपा दिया। इस भोलेपन को देखकर माता ने हाथ से छड़ी फैकं दी। कवि सुरदास जी ने इस चतुराई को सुन्दर रूप में प्रकट किया है।

5. सही उत्तर में निशान लगाओ: 

(क) श्रीकृष्ण छूटनों के बल चलते हुए-

(अ) रो रहा था।

(आ) हँस रहा था।

(इ) किलकारी कर रहा था।

(ई) कुछ वोल रहा था।

उत्तर: (इ) किलकारी कर रहा था।

(ख) नंद का आँगन-

(अ) मणियों से जड़ा हुआ था।

(आ) मिट्टी से लीपा हुआ था।

(इ) सचमरमर का बना था।

(ई) ईट का बना हुआ था।

उत्तर: (अ) मणियें से जड़ा हुआ था।

(ग) कृष्ण के मुहँ पर मक्खन लगा हुआ था, कर्यों कि-

(अ) ग्वाय बालकों ने उसके मुहँ पर मक्खन लगा दिया था।

(आ) खिलाते समय माँ के हाथों से मक्खन लगा था।

(इ) वह मक्खन चुराकर खा रहा था।

(ई) उसके साथ और भी बच्चे थे, जिनके कारण चोरी करना संभव नहीं था।

उत्तर: (इ) वह मक्खन चुराकर खा रहा था।

6. उत्तर दो:

(क) नंद के आगँन में कृष्ण किसका प्रतिबिंब पकड़ने के लिए दौड़ता था?

उत्तर: नन्द के आँगन में कृष्ण अपने परछाई को पकड़ने के लिए दौड़ता था।

(ख) कृष्ण के झूठ पकड़े जाने पर यशोदा ने क्या किया?

उत्तर: कृष्ण के झूठ पकड़े जाने पर यशोदा ने पीढने के लिए हाथ में छड़ी लिया और कृष्ण के चतुराई से यशोदा ने हाथ से छड़ी फेंक दी और मुस्कुरा कर उसे गले से लगा लिया।

(ग) यशोदा बार-बार नंद को क्यों बुलाती है?

उत्तर: कृष्ण की इस बाल-अवस्था देखकर यशोदा को अत्यंत सुख मिल रहा है और वह नंद को बार-बार बुलाती है।

(घ) माता यशोदा बालक कृष्ण को किस तरह दूध पिलाती है?

उत्तर: वह कृष्ण को गोद में उठा लेती है और आँचल से ढककर दूध पिलाती है। 

(ङ) किलकारी मारकर हँसते हुए कृष्ण का मुख कैसा दिखाता है?

उत्तर: जब कृष्ण किलकारी करते हुए हँसता है तब दूध के दो दाँत निकल पड़ते हैं।

(च) ‘मैया मैं नहिं माखन खायौ’-इसके समर्थन में कृष्ण क्या दिखाता है?

उत्तर: शिशु कृष्ण माँ से कहता है कि हे, माँ मैंने मक्खन नहीं खाया। ये सभी साथी मेरे पीछे पड़ गए और मेरे मुँह में मक्खन लपेट दिया। तुम खूद देख लो मक्खन के वर्तन सिकहरे पर ऊँचे लटकाकर रखे गए हैं। मेरे ये नन्हे-नन्हे हाथ से कैसे पहुँच पाते।

(छ) बालक कृष्ण ने माखन-चोरी के आरोप से बचने के लिए क्या चालाकी की?

उत्तर: बालक-कृष्ण ने मक्खन चोरी के आरोय में बचने के लिए कृष्ण माँ से कहना है कि हे माँ, मौंने मक्खन नहीं खाया। मेरे सभी साथी पीछे पड़ गए और मेरे मुहँ में मक्खन लपेंट दिया। माँ तुम खूद देख लो मक्खन के वर्तन सिकहरे पर ऊँचे लढकाकर रखे गए है। मेरे ये नन्हे-नन्हे हाथों से किसतरह पहुँच पाते। इस समय में बाल-कृष्ण को एक उपाय सूझा, उसने मुहँ से दधि पोछकर दोना पीछे छुपा लिया। बाल कृष्ण के इस भोलेपन को देखकर यशोदा ने हाथ से छड़ी फेंक दी।

(ज) क्या बालक कृष्ण माखन चोरी के आरोप से बच गया? यदि नहीं तो माता यशोदा ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया?

उत्तर: वालक कृष्ण माँ से कहता है कि है माँ, मैंने मक्खन नहीं खाया। ये सभी साथी मेरे पीछे पड़ गए और मेरे मुहँ में मक्खन लपेट दिया। यदि माँ तुम विश्वास न हो तो खूद जाकर देख लो, और मक्खन के वर्तन सिकहरे पर ऊँचें लटकाकर रखे गए है। मेरे ये नन्हे-नन्हे हाथ से कैसे पहुँच पाते। इसी समय में चतुर कृष्णने अपने मुहँ से दथि पोछकर दोना पीछे छुपा लिया। इस कृष्ण के नादान रूप को देखकर यशोदा के हाथ से छड़ी फेंक दी और मुस्कुरा कर उसे गले लगा लिया।

(झ) छुटनों के बल चलते हुए बालक कृष्ण के रूप सौन्दर्य का अपने शब्दो में वर्णन करो।

उत्तर: कवि सुरदास जी कल्पना करता है कि भगवान शिशु कृष्ण के रूप सौन्दर्य अन्यंत गभीर है। वह पदों में उल्लेख किया है-शिशु कृष्ण किलकारी करते हुए नंद के आंगन में घुटनों के बल चल रहा है। नंद का आँगन स्वर्णिम-भूमि मणियों से जड़ा हुआ है। बाल- कृष्ण अपनी पड़छाई को देखकर उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़ता है। कभी कभी वह अपनी छाया के देखता रहता है और कभी कभी उसे हाथों से पकड़ना चाहता है। जब कृष्ण किलकारी करते हुए हँसता रहता है तब दूधके केची दाँत निकल पड़ते हैं। पड़छाई को वह बार- बार देखता है। कवि के कल्पनानुसार ही ऐसा मालुम होता है कि पृथ्वी प्रत्येक चरण और हाथ की प्रतिमा बनाकर उसके लिए कमलासन सजा है। इन पदों में बाल-कृष्ण का सौन्दर्य अति अनोखा और विरल सौन्दर्य का अधिकारी बना है।

S.L. No.CONTENTS
1भारत हमको जान से प्यारा हौ
2कश्मीरी सेब
3मैडम मेरी क्यूरी
4जलाशय के किनारे कुहरी थीं
5उससे न कहना
6भारतीय संगीत की एक झलक
7पहली बूँद
8भारत दर्शन
9जैसे को तैसा
10गोकुल लीला
11भारत की भाषिक एकता
12बाढ़ का मुकाबला
13मेरा नया बचपन
14मैं हूँ महाबाहु ब्रह्मपुत्र

 

ब्याकरण ज्ञान 

भाषा अध्ययन 

1. अब निम्नलिखित शब्द-युग्मों के अतंर जानने की कोशिश करो। 

अन्न – खाद्य।

अन्य – दूसरा।

नीर – पानी।

नीड़ – घोसला।

अणु – कण।

अनु: – उपसर्ग, पीछे।

आदि – आरंभ, मुला, प्रथम।

आदी – अभ्यास रहना।

चिर – रोज, हमेशा, दीर्घ।

चोर – कपड़ा।

कुल – वंश, जाति

कूल – तीर, किनारा।

बात – बात-चीत।

वात – वायु, वायु देवता।

सुत – पुत्र।

सूत – सूर्य, सारथी।

जलद – वर्षाकाल।

जलज – पानी में रहनेवाला।

दिन – तिथि, तारीख, रोज।

दीन – गरीब, धर्म।

पानी – जल।

पाणि – हाथ, रक्त।

2. कृष्ण शब्द का पाँच पर्यायवाची शब्द लिखो।

उत्तर: कृष्ण-परमेश्वर, ईश्वर, भगवान, जनाधिप, कान्ह।

शब्दार्थ: 

शब्द – अर्थ

किलकत – किलकारी मारते हैं।

कान्ह – कृष्ण।

छुटुरूवनि – छुटनें के बल।

मणिमय – मणि जड़ित।

कनक – सोना, स्वर्ण।

नंद – कृष्ण के पिता नदंराय जी।

बिबं – छाया।

धावत – दौड़ता है।

निरखि – देखकर।

हरि – श्रीकृष्ण, भगवान।

कर – हाथ।

दतियाँ – दाँत।

प्रतिपद – प्रत्येक पद (पैर)।

प्रतिमनि – प्रतिमा, मूर्ति।

बसुधा – धरती, पृथ्वी।

ढाकि – ढककर।

सूर – कवि सूरदास।

सखा – मित्र।

सींके – सिकिया, सिकहर, जिस पर दही या मक्खन के मटके छत से लटका कर रखे जाते हैं।

भाजन – पात्र।

बुद्धि – चालाकी, बुद्धिमानी।

दोना – पत्तों से बना हुया पात्र, जिसमे दही मक्खन या मिठाई राखकर खाते है।

पीठि-दूरायी – पीछे छुपा लिया।

डारि-साँटि – छड़ी फेककर।

स्यामहिं – कृष्ण को।

कंठ – गला, ग्रीवा।

मोद – आनंद।

सिव – शिव, शंकर।

बिरंचि – ब्रह्मा।

We Hope the given SEBA Class 8 Hindi With Answer will help you. If you Have any Regarding, Class 8th Standard Hindi textbook pdf, drop a comment below and We will get back to you at the earliest.

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Scroll to Top