SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 1 पद-युग्म

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SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 1 पद-युग्म

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पद-युग्म

अम्यास-माला

काव्य खंड

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए।

(क) ‘मोको कहाँ हुँढ़े बन्दे’- यहाँ ‘बन्दे’ शब्द का क्या अर्थ है?

(i) पुजारी।

(ii) दोस्त।

(iii) सेवक।

(iv) भगवान।

उत्तर: (iii) सेवक।

(ख) हिन्दुओं को कौन प्यारे होते हैं?

(i) खुदा।

(ii) राम।

(iii) तुर्क।

(iv) रहीम

उत्तर: (ii) राम

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:

(क) ‘मैं तो तेरे पास में’- यहाँ ‘मैं’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तर: यहाँ ‘मैं’ ईश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ है।

(ख) देवल या मस्जिद में कौन नहीं रहता?

उत्तर: भगवान राम को निर्गुण और निराकार मानते हुए उनके बारे में कहा गया है कि वे न ही देवल में रहते हैं तथा न ही मस्जिद में रहते हैं।

(ग) ‘खोजी’ कौन है?

उत्तर: ‘खोजी’ ईश्वर को ढूँढ़ने वाला मानव है।

(घ) तुकों को कौन प्यारे होते हैं?

उत्तर: तुकों को रहीम (अल्लाह) प्यारे होते हैं।

(ङ) ‘मेरी पुरी मवास में’-यहाँ ‘मेरी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तरः ‘मेरी पुरी मवास में ‘ – यहाँ ‘मेरी’ शब्द भगवान राम के लिए प्रयोग किया गया है।

(च) पीर-औलिया क्या पढ़ते हैं?

उत्तरः पीर-औलिया ‘कुरान शरीफ’ पढ़ते हैं।

(छ) पीर-औलिया अपना मुरीद (शिष्य) किसे बनाते हैं?

उत्तरः जो कुरान पढ़ते है उससे ज्ञान बाटते है।

(ज) ‘छाप तिलक अनुमाना’-यहाँ ‘छाप’ और ‘तिलक’ बाह्याडंबर के प्रतीक हैं या ज्ञान के?

उत्तर: ‘छाप तिलक अनुमान’- यहाँ ‘छाप’ और ‘तिलक’ ब्राह्माडंबर के प्रतीक हैं।

(झ) ‘आपस में दोउ लरि-लरि मुए’-यहाँ किनके बीच लड़ाई की बात की गई है?

उत्तरः ‘आपस में दोउ लरि-लरि मुए’ में हिंदू और मुसलमानों की लड़ाई की बात की गई है।

(ञ) कबीरदास ने ‘धर्म’ किसे कहा है?

उत्तरः कबीरदास ने ‘धार्मिक भेदभाव ‘ को धर्म कहा है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ खोजता है?

उत्तरः मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काशी, काबा या बाह्य आडंबरों में खोजता है।

(ख) मनुष्य ईश्वर को पाने के लिए किस तरह के कर्मकांड करता है?

उत्तरः मनुष्य ईश्वर का पाने के लिए पशुओं की बलि देता है तथा बाह्य आडंबरों पर विश्वास करता है।

(ग) कबीरदास रचित पद की किन पंक्तियों में बलि-विधान का संकेत मिलता है?

उत्तरः कबीरदास रचित पद की निम्नलिखित पंक्तियों में बलि विधान का संकेत है-

ना मैं बकरी ना मैं भेंड़ी, ना मैं छुरी गँड़ास में।

ना खाल में नहीं पोंछ में, ना हड्डी माँस में।

(घ) कबीरदास के अनुसार सच्चा खोजी ईश्वर को कैसे पा लेता है?

उत्तरः कबीरदास के अनुसार सच्चा खोजी पवित्र मन से की जाने वाली निर्मल भक्ति के बल पर ईश्वर को पा लेता है।

(ङ) ईश्वर का असली निवास स्थान कहाँ है?

उत्तरः ईश्वर का असली निवास स्थान मनुष्य के हृदय में है।

(च) संत कबीरदास ने जग को बौराया हुआ क्यों कहा है?

उत्तरः संत कबीरदास ने जग को बौराया हुआ कहा है, क्योंकि मनुष्य सत्य से भागता है तथा सत्य सुनते ही मारने को भागता है तथा भौतिक बस्तुओं की और भागता है।

(छ) ‘साँच कहौं तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना’ कवि ने यहाँ सच और झूठ की कौन-सी बातें कही हैं?

उत्तरः ‘साँस कहौं तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना’ में कवि ने यहाँ सच सुनते ही मारने के लिए आते है तथा झूठ पर विश्वास कर लेते हैं।

(ज) हिन्दू और मुस्लिम किन कारणों से आपस में लड़ते-मरते रहते हैं? उन्हें किस ‘मर्म’ पर ध्यान देने की आवश्यकता है?

उत्तरः हिन्दू और मुस्लिम धार्मिक बाह्याडंबरों पर आपस में लड़ते-मरते हैं। उन्हें पवित्र मन से निर्मल भक्ति करनी चाहिए, क्योंकि इसी के बल पर आत्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है।

(झ) कबीरदास के अनुसार कैसे गुरु-शिष्य अंतकाल में पछताते हैं? इस पछतावे का कारण क्या है?

उत्तरः कबीरदास के अनुसार जो गुरु अपने शिष्य को माला फेरना पीपल की पूजा करना, तिलक लगाना, तीर्थ जाना, टोपी पहन कर माला फेरना तथा धार्मिक बाह्याडंबरों पर विश्वास करना तथा इसकी शिक्षा देते हैं वे लोग अंत समय में पछताते हैं। इस पछतावे का कारण झूठा दिखावा ही है।

(ञ) धार्मिक बाह्याडंबरों का विरोध करते हुए कबीरदास ने किस पर ध्यान देने की बात कही है?

उत्तरः धार्मिक बाह्यडंबरों का विरोध करते हुए कबीरदास जी ने पवित्र मन से नि:स्वार्थ भाव से भक्ति करने की बात पर ध्यान देने की बात कही है।

4. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) ना तो कौनो क्रिया कर्म में ना ही जोग बैराग में।

उत्तरः कवि कबीरदास के अनुसार भगवान नहीं किसी याज-पूजा से मिलते है न ही संत वैराग्य रूप धारण करने से मिलते हैं।

(ख) खोजी होय तुरतै मिलिहौं, पल भर की तलास में।

उत्तरः कवि का आशय है कि अगर मनुष्य मुझे पवित्र या साफ मन से खोजेगा तो मैं उसे पल भर की तलाश में ही मिल जाऊँगा।

(ग) आतम मारि पखानहि पूजै, उनमें उहै जो ज्ञाना।

उत्तरः कवि का आशय यह है कि मनुष्य अपनी आत्मा को मार कर पत्थरों की पूजा करता है, जिससे उसे कोई ज्ञान प्राप्त नहीं होता, क्योंकि निर्जीव वस्तुओं से ज्ञान नहीं मिलता।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर दीजिए:

(क) कबीरदास के अनुसार हमें अपने आराध्य को कहाँ-कहाँ खोजने की आवश्यकता नहीं है?

उत्तरः कबीरदास के अनुसार हमे अपने आराध्य को धार्मिक बाह्याडंबरों में खोजने की जरूरत नहीं है।

(ख) संत कबीरदास द्वारा रचित द्वितीय पद में वर्णित बाह्याडंबरों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तरः लोगों को सत्य असत्य का ज्ञान नहीं है। हिन्दु समाज के लोग राम की पूजा करते है और उन्हें अपना बताते है उसी तरह मुसलमान रहमान को अपना बताते है। हिन्दु मुसलमान दोनों के समर्थक आपस में लड़ते रहते है। इनमें से कोई नहीं जानता की भगवान एक ही है। अंत में सभी को आत्मतत्व का सामना करना ही पड़ेगा।

(ग) संत कबीरदास ने ईश्वर-प्राप्ति का कौन-सा सहज उपाय बताया है?

उत्तरः संत कबीर ने पवित्रमन से निर्मल भक्ति कर ईश्वर-प्राप्ति का सहज उपाय बताया है।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद-युग्म
Chapter – 2वन – मार्ग में
Chapter – 3किरणों का खेल
Chapter – 4तोड़ती पत्थर
Chapter – 5यह दंतुरित मुसकान
Chapter – 6ऐ मेरे वतन के लोगो
Chapter – 7लोहे का स्वाद
गद्य खंड
Chapter – 8आत्म निर्भरता
Chapter – 9नमक का दारोगा
Chapter – 10अफसर
Chapter – 11न्याय
Chapter – 12वन-भ्रमण
Chapter – 13तीर्थ-यात्रा
Chapter – 14इंटरनेट की खट्टे-मीठे अनुभव
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16कदम मिलाकर चलना होगा
गद्य खंड
Chapter – 17अमीर खुसरु की भारत भक्ति
Chapter – 18अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

(क) ना मैं देबल ………….. सब साँसों की साँस में।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग -2’ में से कबीरदास द्वारा लिखि गई पद-युग्म से लिया गया है।

व्याख्या: उक्त पद्यांश में कबीरदास ने भगवान का गुणगान की है। उन्होंने कहा है कि भगवान सभी में है। अपने सास में भी वे मौजूद है। भगवान न ही किसी मंदिर या किसी मस्जिद में, न ही बलि, यज्ञ, तीर्थयात्रा में न ही किसी प्रकार की क्रिया या कर्म धर्म में भगवान है। अगर तुम सच्चे मन से खोज रहे हो तो मुझे जल्दी ही पा लोगे। हर मनुष्य की आकार और साँसों में तुम मुझे पा सकते हो।

(ख) संतों देखत ………………. सहज सामना॥

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग – २’ में से कबीरदास द्वारा लिखि गई पद-युग्म से लिया गया है।

व्याख्या: हे साधो, देखो यह संसार कैसा पागल हो गया है। यदि यहाँ सत्य बात कहें तो सासांरिक लोग सत्य का विरोध करते हैं और मारने दौड़ते हैं, परंतु झूठी बातों पर विश्वास कर लेते हैं। इन लोगों को सत्य-असत्य का ज्ञान नहीं है। हिंदू समाज के लोग राम की पूजा करते हैं तथा उन्हें अपना बताते हैं। इसी प्रकार मुसलमान रहमान को अपना बताते हैं। ये हिंदू और मुसलमान राम और रहमान की कट्टरता के समर्थक हैं और धर्म के नाम पर आपस में लड़ते रहते हैं। इनमें से कोई भी ईश्वर के रहस्य को नहीं जानता। कबीर जी कहना चाहते हैं कि मुझे इस संसार में अनेक लोग ऐसे मिले जो नियमों का पालन करने वाले थे, धार्मिक अनुष्ठान भी करते थे तथा प्रातः शीघ्र स्नान भी करते थे। पर इन लोगों का जान थोथा ही निकला। ये लोग केवल मूर्ति (पत्थर) की ही पूजा करते थे। इन लोगों ने तीर्थ और व्रतों का व्याग कर दिया और पीपल की पूजा तथा मूर्ति पूजा कार्यों में व्यस्त हो गए। हिंदू लोग अपने गले में माला पहनते हैं तिलक लगाते हैं। साखी और शब्द का गायन भूला दिया है और अपनी आत्मा के रहस्य को नहीं जानते हैं। इन लोगों को सांसारिक माया का अभिमान है और घर-घर जाकर मंत्र-यंत्र देते फिरते हैं। ये लोग अज्ञान से भरे हुए हैं। इन्हें अंत समय में पछताना पड़ेगा। इसी प्रकार इस्लाम धर्म के अनुयायी अनेक पीर, औलिया, फकीर भी इसी आत्मतत्व के ज्ञान से रहित पाए गए, जो नियमपूर्वक पवित्र कुरान का पाठ करते हैं, वे भी अल्लाह को सिर झुकाते हैं। अपने शिष्यों को कब्र पर दीया जलाने की बात बतलाते हैं। वे भी खुदा के बारे में कुछ नहीं जानते। कबीर के अनुसार हिंदू और मुसलमान दोनों ही धार्मिक आडम्बरों में लिप्त है और ईश्वर की परम सत्ता से अपरिचिति हैं। इन्हें कितना ही कह लो पवित्र मन से की जाने वाली निर्मल भक्ति के बल पर सहतापूर्वक आत्मा-परमात्मा का मिलन होता है।

(ग) बहुतक देखा ………………. उनमें उन्हें जो ज्ञान।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग – २’ में से कबीरदास द्वारा लिखि गई पद-युग्म से लिया गया है।

व्याख्या: लोगों को सत्य असत्य का ज्ञान नहीं है। हिन्दु समाज के लोग राम की पूजा करते है और उन्हें अपना बताते है उसी तरह मुसलमान रहमान को अपना बताते है। हिन्दु मुसलमान दोनों के समर्थक आपस में लड़ते रहते है। इनमें से कोई नहीं जानता की भगवान एक ही है। अंत में सभी को आत्मतत्व का सामना करना ही पड़ेगा।

(घ) हिंदु कहै मोहि …………….. सहेजे सहज समाना।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग -2’ में से कबीरदास द्वारा लिखि गई पद-युग्म से लिया गया है।

व्याख्या: मनुष्य को सत्य असत्य की भेद अच्छे से नहीं है। हिन्दु समाज के लोग राम का पूजा करते है तथा उन्हें अपना बताते है। इसी प्रकार मुसलमान रहमन की। दोनों पक्ष आपस में लड़ते झगड़ते रहेगें। हिन्दु लोग गले में माला पहन तिलक लगाके पूजा पाठ करेंगे। इसी प्रकार इस्लाम धर्म के अनुयायी अनेक पीर, औलिया, फकोर भी इसी आत्मतत्व के ज्ञान से रहित पाए गए है जो कुरान का पाठ करते हैं। इन्हें कितना ही कह लौ पवित्र मन से की जाने वाली निर्मल भक्ति के बल पर ही आत्मा परमात्मा का मिलन संभव है।

भाषा एवं व्याकारण:

(क) निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए:

जोग, आतम, पखान, तीरथ, असनान, डिंभ, मंतर, सख्यि, भर्म

उत्तरः जोग – जोगी।

आतम – आत्मा।

पखान – पखारना।

तीरथ – तीर्थ।

असनान – स्नान।

डिंभ – अहंकार।

मंतर – मंत्र।

सिख्य – शिष्य।

धर्म – भ्रम।

(ख) कारक -रूप स्पष्ट कीजिए:

मोको, बन्दे, नेमी, पखानहि, मोहिं, संतो।

उत्तरः मोको – कर्म।

बन्दे – कर्ता।

नेमी – कर्ता।

पखानहि – कर्म।

मोहिं – कर्ता।

संतो – (कर्ता) संबोधन।

(ग) आधिक्य, सामीप्य, ओर, इच्छा प्रकट करना इत्यादि अर्थों में ‘अभि’ उपसर्ग का प्रयोग होता है।

जैसे-अभिमान, ‘अभि’ उपसर्ग वाले पाँच शब्द लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तरः अभि-अभिमान, अभिकेंद्र, अभिसाप, अभिकर्ता, अभिकथन, अभिक्रिया।

(घ) निन्मलिखित शब्दों से ‘इमा’ प्रत्यय को अलग कीजिए:

महिमा, लघिमा, रक्तिमा, जड़िमा, नीलिमा।

उत्तरः महिमा – मह + इमा।

लघिमा – लघि + इमा।

रक्तिमा – रक्त + इमा।

जड़िमा – जड़ + इमा।

नीलिमा – नील + इमा।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. सही विकल्प का चयन कीजिए-

(क) ‘ना मैं घुरी गैड़ास में ‘- यहाँ ‘गड़ाँस’ शब्द का क्या अर्थ है?

(i) घास आदि काटने का हथियार।

(ii) दोस्त।

(iii) भगवान।

(iv) सेवक।

उत्तर: (i) घास आदि काटने का हथियार।

(ख) कबीरदास ने किसको भ्रम कहा है?

(i) खुदको।

(ii) धार्मिक भेदभाव को।

(iii) भगवान की।

(iv) पुजारी को।

उत्तर : (ii) धार्मिक भेदभाव को।

(ग) मुसलमान पीर औलिया क्या पढ़ते है?

(i) गीता।

(ii) रामायण।

(iii) भागवत।

(iv) कुरान शरीफ।

उत्तर: (iv) कुरान शरीफ।

2. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) भगवान कहा होते है?

उत्तरः भगवान अपने सासों में होते है।

(ख) कौन हिन्दुओं के प्यारे होते हैं?

उत्तरः राम हिन्दुओं के प्यारे होते है।

(ग) ‘मेरी पुरी मवास में’ -यहाँ मवास शब्द का अर्थ क्या है?

उत्तर: मवास का अर्थ है – गढ़, शरण लेने का स्थान।

(घ) क्या भगवान देवल, मसजिद या काबे कैलास में रहते है?

उत्तरः नहीं।

(ङ) कवि ने किस परम सत्य का खुलासा किया है?

उत्तरः आंरतिक पवित्रता से ही भगवान को जल्दी पा सकते है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए:

(क) कबीरदास के अनुसार मुसलमान लोग अपने उल्लाह को पाने के लिए क्या करते है?

उत्तरः इसलाम धर्म के अनेक पीर, औलिया, फकीर अज्ञान से पवित्र कुरान पाठ करते है, वे भी उल्लाह के सामने सिर झुकाते है। अपने शिष्यों को कब्र पर दीया जलाने की बात सिखाते है।

(ख) आसन मारि डिंभ धरि बैठे, मन में बहुत गुमाना-का क्या अर्थ है?

उत्तरः मन में धेर सारा अहंकार लिए हुए भगवान के सामने बहुत लोग बैठे रहते है। इस प्रकार की भक्ति का कोई मोल नहीं। भगवान के सामने जाने से लोभ, मोह अहंकार का दमन करके जाना होगा तभी इश्वर की प्राप्ति हो सकती है।

(ग) नेमी देखा धरमी देखा, प्राप्त करै असनाना-आशय स्पष्ट करो?

उत्तरः ईश्वर का रहस्य कोई नहीं जान सका। परंतु हिन्दु लोग प्रातः शीघ्र स्नान कर नियमों का पालन करते है, धार्मिक अनुष्ठान भी करते है। इन लोगों ने तीर्थ और व्रतों का त्याग कर दिया पीपल की पूजा तथा मूर्ति-पूजा में व्यस्त हो गए, गले में माला पहनते है और तिलक लगाते है। उनका मानना है कि एसे करने से ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।

(घ) कबीरदास की प्रसिद्ध लिखनी को किस नाम से जाता है?

उत्तरः कबीरदास की प्रसिद्ध लिखनी को ‘बीजक’ कहते है। इसके तीन भेद है- साखी, सबद और रमैनी।

(ङ) कबीरदास किस विषय पर दृष्टि आकर्षित करते है?

उत्तरः संत कबीरदास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से धार्मिक बाह्याडंबर, जाति-भेद, अस्पृश्यता, अहंकार आदि बुराइयों का विरोध किया है। साथ ही अपने आंतरिक पवित्रता, निर्मल ईश्वर-भक्ति और सच्चे मानव-प्रेम पर बल दिया है।

4. सप्रसंग व्याख्या करिए:

(क) मोको कहाँ ……………… साँस में॥

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘अंबर भाग -२’ में से कबीरदास के पद युग्म में से लिया गया है।

व्याख्या: इस पद युग्म में कबीरदास जी ने भगवान अल्लाह के निर्गुण और निराकार रूप के बारे में कहा है। संत कबीरदास एक सूफी थे तथा भगवान के रोम-रोम में होने को ही सत्य मानते थे। इस पद के अनुसार ईश्वर कहते हैं कि हे मानव तू मुझे कहाँ ढूँढ़ रहा है मैं तो तेरे अंदर ही विराजमान हूँ न ही मैं किसी बकरी या भेड़ के अंदर हूँ ना किसी चाकू या गँड़ाल में हूँ। मैं किसी की खाल (चमड़ा) था पूँछ में नहीं हूँ न ही हड्डी मांस में हूँ। मैं न ही किसी मंदिर या मस्जिद में भी नहीं हूँ ना ही काबा या कैलाश में हूँ। मैं न ही किसी प्रकार ली क्रिया या कर्म धर्म में हूँ न ही जोग या बैराग्य में हूँ। अगर तू मुझे मनिःस्वार्थ भाव से खोज रहा है तो मैं तुझे तरंत ही मिल जाऊँगा। मेरा कोई आकार या रूप नहीं है मैं हर मनुष्य के अंदर हूँ तथा उनका हृदय ही मेरा गढ़ है। कबीर जी कहते हैं कि मैं तो ईश्वर तो हर मनुष्य की साँसों में बसे हैं।

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