SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत

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SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत

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बरगीत

काव्य खंड

अम्यास-माला

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए।

(क) पठित बरगीतों में किसकी प्रधानता परिलक्षित है

(i) धर्म।

(ii) भक्ति।

(iii) शौर्य।

(iv) वात्सल्य।

उत्तर: (ii) भक्ति।

(ख) शंकरदेव के अनुसार यह संसार कैसा है?

(i) सुखदायक।

(ii) आनंददायक।

(iii) ज्ञानदायक।

(iv) कष्टदायक।

उत्तर: (iv) कष्टदायक।

(ग) मनुष्य को मुक्ति किससे प्राप्त होती है?

(i) नाम-कीर्तन।

(ii) पूजा-पाठ।

(iii) जप-तप।

(iv) धर्म-कर्म।

उत्तर: (iv) धर्म-कर्म।

(घ) बरगीत में ‘ठाकुर’ किसे कहा गया है?

(i) हरि।

(ii) पंडित।

(iii) भक्त।

(iv) शंकरदेव।

उत्तर: (i) हरि।

(ङ) शंकरदेव के अनुसार वास्तविक भक्ति का पता किसे होता है?

(i) पुजारी।

(ii) भगवान।

(iii) ब्राह्मण।

(iv) भक्त।

उत्तर: (iv) भक्त।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:

(क) शकरदेव ने प्रथम बरगीत में किस बात को वर्णन किया है? 

उत्तरः प्रथम बरगीत में भगवन की नाम महिमा का वर्णन किया गया है।

(ख) शंकरदेव के अनुसार ‘सारतत्व’ क्या है?

उत्तरः महापुरुष शंकरदेव के अनुसार संसार का परम सारतत्व केवल ‘राम’ ही है।

(ग) दूसरे बरगीत में शंकरदेव ने स्वयं को किसका दास बताया है? 

उत्तरः दूसरे बरगीत में शंकरदेव ने स्वयं को श्रीकृष्ण भगवान का दास बताया है।

(घ) भक्तों के लिए सबसे मूल्यवान वस्तु क्या है?

उत्तरः भक्ति जिसकी है, मुक्ति भी उसकी है, भक्तों ने यह तत्वसार जान लिया है। भक्तों की सबसे मुल्यवान वस्तु चिंतामणि भगवान की महिमा से परिचित होकर उनके गुणों का गान करना है।

(ङ) ‘अन्तर जल छुटय कमल मधु मधुर पीयै’ – यहाँ’ मधुर’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तरः यहाँ मधुकर शब्द भक्तों के लिए प्रयुक्त हुआ है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर दीजिए:

(क) शंकरदेव ने ‘राम’ नाम बोलने के लिए क्यों कहा है?

उत्तरः महापुरुष शंकरदेव के अनुसार भगवान का नाम ही मुक्ति का कारण बनता है, इसलिए ‘राम’ बोलो वैतरणी नदी में पापियों को जिस प्रकार कष्ट भोगना पड़ता है, उसी प्रकार यह संसार भी कष्टपूर्ण है। इससे उद्धार पाने के लिए नामव के सदृश्य सुख से पार होने का साधन भगवान के नाम के समान और कुछ भी नहीं है।

(ख) शंकरदेव ने संसार को दुखमय क्यों कहा है?

उत्तरः वैतरणी नदी में पापियों को जिस प्रकार कष्ट भोगना पड़ता है, उसी प्रकार यह संसार भी कष्टपूर्ण एवं दुखमय है अगर इस संसार में अच्छे कर्म नहीं किया जाए तो मृत्य काल लमें यमराज की यातनाएँ भोगना पड़ता है। इससे उद्धार पाने का एकमात्र रास्ता भगवान की नाम और उनकी गुनगान करना है।

(ग) ‘नाम पंचानन नादे पलावनत’ – इस पंक्ति में ‘नाम’ की तुलना ‘पंचानन’ से क्यों की गई है?

उत्तरः इस पंक्ति में ‘नाम’ की तुलना पंचानन से इसलिए की गई है, क्योंकि जिस प्रकार सिंह का गर्जन सुनकर हाथी भय से भाग जाता है, उसी प्रकार भगवान का नाम सुनकर भी पाप, मन का कुसंस्कार भय से भागता है। ईश्वर की नाम में इतनी शक्ति हैं, कि अगर एक व्यक्ति यदि ईश्वर के नाम का उच्चारण करे तो उसे सुनकर सौ व्यक्ति इस संसार के कलेश से मुक्त हो जाते हैं।

(घ) ‘याहे भक्ति ताहे मुक्ति’ – शंकरदेव ने ऐसा क्यों कहा है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तरः भक्ति जिसकी है, मुक्ति भी उसकी है – भक्तों ने यह तत्वसार जान लिया है। जौहरी वणिक जिस प्रकार मूल्यवान जवहिरात को पहचान कर उसका गुण गाते हैं, भवन भी उसी प्रकार चिंतामणि भगवान की महिमा से परिचित होकर उनके गुणों का गान करते हैं। श्रीकृष्ण के सेवक शंकरदेव कहते हैं – गोविन्द के चरणों में भक्ति करो जो हरि के गुण गान हैं, वे ही सचमुच पण्डित ज्ञानी तथा विभूषित यशस्वी कहलाते हैं।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद-युग्म
Chapter – 2वन – मार्ग में
Chapter – 3किरणों का खेल
Chapter – 4तोड़ती पत्थर
Chapter – 5यह दंतुरित मुसकान
Chapter – 6ऐ मेरे वतन के लोगो
Chapter – 7लोहे का स्वाद
गद्य खंड
Chapter – 8आत्म निर्भरता
Chapter – 9नमक का दारोगा
Chapter – 10अफसर
Chapter – 11न्याय
Chapter – 12वन-भ्रमण
Chapter – 13तीर्थ-यात्रा
Chapter – 14इंटरनेट की खट्टे-मीठे अनुभव
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16कदम मिलाकर चलना होगा
गद्य खंड
Chapter – 17अमीर खुसरु की भारत भक्ति
Chapter – 18अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

(ङ) शंकरदेव के अनुसार असली पंडित कौन है? उसकी क्या-क्या विशेषताएँ हैं? 

उत्तरः भगवान कृष्ण के सेवक श्री शंकरदेव के अनुसार असली पण्डित तो कही है, जो भगवान की पहचान कर उनकी नाम कीर्तन, गुणगान करते हैं। संसार का सारतत्व केवल राम ही है। उनकी सेवा करना ही असली पण्डित का काम है। गोविन्द के चरणों में भक्ति करों। जो हरि के गुण गाते हैं, वे ही सचमुच पण्डित, ज्ञानी तथा विभुषित व यशस्वी कहलाते हैं।

4. निम्नलिखित पद्यांशों के भावार्थ लिखिए:

(क) बुलिते एक शुनिते शत नितरे।

उत्तरः उक्त पद्यांशों के भावार्थ इस प्रकार है, – ईश्वरीय नाम का लक्षण विस्मयकर है, क्योंकि एक व्यक्ति यदि ईश्वर के नाम का उच्चारण करे तो उसे सुनकर सौ व्यक्ति इस संसार के क्लेश से मुक्त हो जाते हैं।

(ख) सबकहु परम सुहृद हरिनाम?

उत्तरः इस पंक्ति का आशय यह हैं कि, हरि का नाम ही सबके लिए सुहृद की भांति हितसाधक है। हरि का नाम लेने से मृत्युकाल में यम की यातनाएँ भोगनी नहीं पड़ती हैं। अर्थात जीव मुक्त हो जाता है।

(ग) याहे भक्ति ताहे मुक्ति भकते ए तत्व जाना?

उत्तर: भक्ति के बिना शास्त्रों का सारतत्व समझ में नहीं आता। भक्ति जिसकी है – मुक्ति भी उसकी है – भक्तों ने यह तत्वसार जान लिया है।

(घ) सोहि पण्डित सोहि मण्डित यो हरि गुण गावै?

उत्तरः भक्तगण चिंतामणि भगवान की महिमा से परिचित होकर उनके गुणों का गान करते हैं, गोविन्द के चरणों में भक्ति करते हैं। अर्थात जो हरि के गुण गाते हैं, वे ही सचमुच पंडित ज्ञानी तथा विभूषित व यशस्वी कहलाते हैं।

भाषा एवं व्याकरण

1. निम्नलिखित सामासिक शब्दों का समास- विग्रह करते हुए उसके भेद भी लिखिए:- दशानन, भयबीत, चौराहा, नीलकमल, पीतांबर, आजीवन, दिन-रात,सुहृद

उत्तरः 

समस्त पदसमास-विग्रहसमास
दशननदस है आनन जिसके अर्थात रावमबहुबीहि समास
भयभीतभय से भीततत्पुरुख समास
चौराहाचार राहों का समूहद्विगु समास
नीलकमलनीला है जो कमलकर्मधारय समास
पीतांबरपीत है अंबर जिसके अर्थात श्रीकृष्णबहुवरीहि समास
आजीवनजीवन भरअव्ययी भाव
दिन-रातदिन और रातद्वद्व समास
सुहृदहृदय सहितबहुवरीहि समास

2. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:

भव, तरणी, सार, पंडित, कमल, जल

उत्तरः भव: जगत, संसार।

तरणी: नाव, नौका।

सार: रस, निचोड़।

पण्डित: विद्वान, सुधी।

कमल: सरोज राजीव।

जल: पानी, नीर।

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

प्रकाश, मुक्ति, एक, सुख, पाप, भयभीत।

उत्तरः प्रकाश: अंधकार।

मुक्ति: बंधन।

एक: अनेक।

सुख: दुख।

पाप: पुण्य।

भयभीत: निर्भय।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. सहो विकल्प का चुनाव कीजिए:

(i) किसके नाममात्र गुणगान करने से पाप भयभीत होता है?

(क) ब्राह्मण।

(ख) भगवान।

(ग) पंडित।

(घ) धर्म।

उत्तरः (ख) भगवान।

(ii) शंकरदेव के अनुसार ईश्वर प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग क्या हैं?

(क) पूजा-पाठ।

(ख) अहिंसा।

(ग) खेल-कूद।

(घ) नाम कीर्तन।

उत्तरः (घ) नाम कीर्तन।

(iii) शंकरेदव किसके भक्त थे?

(क) शिव।

(ख) शक्ति।

(ग) हरि।

(घ) भगवान।

उत्तरः (ग) हरि।

(iv) किसका नाम जप करने से संसार से मुक्ति मिलता है?

(क) राम।

(ख) पुजारी।

(ग) भगवान।

(घ) धर्म।

उत्तरः (क) राम।

2. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(i) पंडितो का मुख्य काम क्या होता है?

उत्तरः शास्त्र पाठ करना।

(ii) कौन जानके अपने मणि-अलंकार का गुनगान करता हैं?

उत्तरः वनिक।

(iii) ‘नाम पंचानन नादे पलाबत’- पंचातन शब्द का अर्थ क्या है?

उत्तरः सिंह, शेर।

(iv) एक आदमी का भगवान का नाम लेने से कितने लोग पाप शुण्य हो सकते है?

उत्तरः 100 जन।

3. नीचे दिए प्रश्नों का उत्तर दीजिए:

(क) नारद शुकमणि क्या कह कर गए है?

उत्तरः नारद शुकमणि ने कह कर गए है की राम नाम के बिना इस संसार से मुक्ति का कोई दुसरा पथ नहीं है। राम ही है परम तत्व का सार।

(ख) कमल अपना मधु क्या करती है?

उत्तरः कमल अपना मधु मधुकर के लिए छोड़ देती है। खुसी से वह मधु का दान करती है।

(ग) ‘सबकुछ परम सुहृद हरिनाम घुटे अंतकेरि दाय’ का आशय क्या है?

उत्तरः हरि का नाम सुहृद की तरह सबके लिए हिटकारी है। हरि का नाम लेने से यमराज के दरवाजे से भी बच के निकल के आ सकते हैं।

(घ) बरगीत क्या है?

उत्तरः महापुरुष शंकरदेव ओर माधवदेव द्वारा विरचित विशेष गीतों को बरगीत कहा जाता है। इसकी भाषा ब्रजावली है। बरगीत शास्त्रीय राग-ताल संपन्न उच्चकोटी के गीत है। 

(ङ) ‘नाम पंचानन नादे पलवत’ का अर्थ स्पष्ट करों –

उत्तरः जिस तरह सिंह का गर्जन सुनकर हाथी दरके भागता है उसी तरह हरि का नाम सुनकर पाप भाग जाता है। भगवान का नाम लेने से पाप और कुसंस्कार का भाव दुर भागता है।

4. भावार्थ लिखों:

(क) कृष्ण किंकर कय छोड़हु मायामय

राम परम तत्व सार।

उत्तरः भक्त भगवान की महिमा से संपूर्ण परिचित है इसलिए भगवान का गुण-गान करता फिरता है। शंकरदेव भगवान श्रीकृष्ण की चरणों में प्रणाम करने को कहते है। राम का नाम लेने से ही इस संसार की यातना से मुक्ति मिल सकती है। उनके बिना संसार से मुक्ति का अन्य रास्ता नहीं है। राम ही हैं संसार से मुक्ति का एकमात्र सार।

(ख) बचने बुलि राम धरम अरथ काम मुकुति सुख सुखे पाय।

उत्तरः भगवान राम का नाम मुह में रखने से धर्म, कर्म अर्थ और मौक्ष की सुख आशानी से प्राप्त कर सकते है। हरि का नाम सुहृद की तरह सबके लिए हिटकारी है हरि की नाम से यमलोक के दरवाजे से भी लोग वापस आ सकते है।

(ग) यैसे वणिक चिंतामणिक जानि गुण बखाना।

उत्तरः उक्त पद्यांश का भावार्थ इस प्रकार है की- भक्ति जिसकी मुक्ति भी उसकी। मुक्ति का सहज उपाय है भक्ति । वणिक जानके अपने अलंकारों का ग्राहकों के आगे गुण-गान करता है उसी तरह भक्त भी अपने भगवान का महिमा का बखान करता फिरता है।

(घ) सोइ सोइ ठाकुर मोइ यो हरि परकाशा

नाम धरम रूप स्मरत ताकेरि हामु दासा

उत्तरः भगवान श्रीकृष्ण को सर्वगुण सम्पन्न गुण के अधिकारी मान के शंकरदेव बोल रहे है की वे ही मेरे परम पुजनीय स्वामी है, जिससे भगवान के गुण गरिमा को प्रकट कर दिखाया है। जिसने भगवान का कीर्तन और ध्यान करना न छोड़ा वे उन्हीं का दास हो गए है, वे खुद को भगवान का दास मानते हैं।

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