SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 16 कदम मिलाकर चलना होगा

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SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 16 कदम मिलाकर चलना होगा

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कदम मिलाकर चलना होगा

काव्य खंड

अम्यास-माला

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) कवि ने किनके आने को परवाह नहीं की है?

(i) बाधाओं के।

(ii) पीड़ाओं के।

(iii) तूफान के।

(iv) वर्षा के।

उत्तर: (i) बाधाओं के।

(ख) कवि ने हमें कैसे चलने का आह्वान किया है?

(i) हाथ मिलाकर।

(ii) कदम मिलाकर।

(iii) कतार बनाकर।

(iv) समूह बनाकर।

उत्तर: (ii) कदम मिलाकर।

(ग) कवि के अनुसार जीत कैसी होती है?

(i) दीर्घ।

(ii) शुन्य।

(iii) स्थायी।

(iv) क्षणिक।

उत्तर: (iv) क्षणिक।

(घ) मानव जीवन किससे सज्जित है?

(i) काँटों से।

(ii) प्यार से।

(iii) घृणा से।

(iv) जंजीरों से।

उत्तर: (i) काँटों से।

(ङ) जीवन के लक्ष्य से क्या अपेक्षा की जाती है?

(i) प्रगिति।

(ii) कष्ट।

(iii) अपमान।

(iv) प्यार।

उत्तर: (i) प्रगिति।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) कवि ने किस प्रकार की विपत्तियों में हसते-हँसते आगे बढ़ने की बात कही है? 

उत्तरः कवि कहते हैं कि अगर हमारे समस्त संसार की नाश करनेवाले डरवान बादल भी आकाश में छा जाएँ या दहकता कोयला या फिर सिर पर अगर ज्वलाए भी आ टपके तो भी हमें दोनों हाथों में आग का गेला लेने हुए हसते-हसते आगे बढ़ाना है।

(ख) उन्नत मस्तक रखने के लिए हमें किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है? कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तरः हमारे जीवन में कोई बार अनेक बाधाओं, विपत्तियाँ या हास्य रुदन के समय आते है और कभी-कभी तो हमारे जीवन में ऐसे आंधी तूफान आती है जो हमारे संसार के सारे सुख ले जाती, रह जाते है तो सिर्फ उजड़ा हुआ मन। हमे अपनी जिन्दगी में अनेक सारे बलिदान देना पड़ता है। बहुत सारा अपमान सहन करना पड़ता है और कभी तो सम्मान भी पाते है। इन सभी परिस्थितियों में हमें अपना सिर ऊँचा करके और सीना चौरा करके चलना होगा।

(ग) कवि ने मनुष्य के दिल में अरमानों को संजोएँ रखने को बात क्यों की है?

उत्तरः कवि कहते है कि हमें अपने जीवन के उजाला में अंधकार में भी शांत कगार में व्याख्या सुखद अनुभूति में, अत्यन्त घृणा के पात्र होने के बावजूद भी हमें बचना होगा। एक क्षण के जीव में भी और लंबे समय तक जिन्दगी से हार के उपरांत हमें अपने पुत्र प्रेम हेतु अपने अरमानों को संजोएँ रखना होगा।

(घ) कवि ने परहित अर्पित अपना तन-मन क्यों कहा है? विचार प्रकट कीजिए। 

उत्तरः अगर आप जिन्दगी में कुछ अच्छे कर्म करना चाहते हो तो दूसरों की हित में चिंता करना ही सबसे बड़ा कर्म-धर्म होता है। कवि कहते है कि खुद का जीवन यानी अपना तन-मन सब दूसरों के उपकार के लिए ही दान कर देना चाहिए। जिससे मन को सुख और शांति प्राप्त होती है।

(ङ) जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा का आशय क्या है?

उत्तरः जीवन में कुछ अच्छे करने के लिए या फिर लोगों की भलाई करने के लिए अपने आरमानों को डूबाकर अपने जीवन को लोगों के लिए आहूति देना पड़ेगा।

(च) कदम मिलाकर चलना होगा कविता का केंद्रीय भाव लिखिए।

उत्तरः इस कविता के माध्यम से कवि ने मनुष्य जीवन के मार्ग में आनेवाले विभिन्न बाधाओं एवं कठिनाइओं को मुकाबला करते हुए निरंतर आगे बढ़ने का सन्देश दिया है। कवि कहता है कि हमारे जीवन में कोई बार सफलाएँ, असफलाताएँ आती है, हास्य के रुदन के समय आते है, सुख और दुख के क्षण आते है, लेकिन इन क्षणों में हमें कभी हार मानकर के बैठना नहीं है। बल्की इनका डरकर सामना करना है। मुसीबतों को दूर करना है। इसलिए कवि कहते हैं कि हमें हर परिस्थिति में कदम मिलाकर चलना होगा। क्योंकि यह क्षण तो जीवन में बार-बार आते है, और इनकों दूर करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। भले ही इसके लिए हमें हमारी जीवन की आहूति ही देना क्यों न पड़े। इससे हमें पीछे हटना नहीं चाहिए।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद-युग्म
Chapter – 2वन – मार्ग में
Chapter – 3किरणों का खेल
Chapter – 4तोड़ती पत्थर
Chapter – 5यह दंतुरित मुसकान
Chapter – 6ऐ मेरे वतन के लोगो
Chapter – 7लोहे का स्वाद
गद्य खंड
Chapter – 8आत्म निर्भरता
Chapter – 9नमक का दारोगा
Chapter – 10अफसर
Chapter – 11न्याय
Chapter – 12वन-भ्रमण
Chapter – 13तीर्थ-यात्रा
Chapter – 14इंटरनेट की खट्टे-मीठे अनुभव
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16कदम मिलाकर चलना होगा
गद्य खंड
Chapter – 17अमीर खुसरु की भारत भक्ति
Chapter – 18अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

भाषा एवं व्याकरण

1. निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए:

बाधा, अंगार, सीना, घटा, पीड़ा, काला, लड़का, धारा, दरवाजा, सफलता, पुरदा, ज्वाला।

उत्तर: बाधा – बाधाएँ।

अंगार – अंगारे।

सीना – सीने।

घटा – घटाएं।

पीड़ा – पीड़ाओं।

काला – किले।

लड़का – लड़के।

धारा – धाराओं।

दरवाजा – दरवाजे।

सफलता – सफलताएँ/सपलताओं।

पुरदा – पुरदे।

ज्वाला – ज्वलाओं।

2. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

सृष्टि, सम्मान, प्रकाश, जीत, हर्ष, हित।

उत्तरः सृष्टि – विनाश।

सम्मान – अपमान।

प्रकाश – अन्धकार।

हर्ष – विषाद।

हित – अहित।

जीत – हार।

3. निम्नलिखित संज्ञा शब्दों के विशेष रूप लिखिए:

क्षण, हर्ष, मुखर, अर्पण, नीरवता, आकर्षण, सम्मान, बाधा, बीड़ा, वंचना, घृणा, श्रम।

उत्तरः क्षण – क्षणिक।

मुखर – मुखरित।

नीरवता – नीरव।

सम्मान – सम्मानित।

बीड़ा – पीड़ित।

घृणा – घृणित।

हर्ष – हर्षित।

अर्पण – अर्पित।

आकर्षण – आकर्षक।

बाधा – विधिनि।

वंचना – वंचित।

श्रम – श्रमिक।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. सही विकल्प का चुनाव कीजिए:

(i) दूसरों की हित में चिंता करना सबसे बड़ा ___________________ है।

(क) शुध्य।

(ख) धर्म-कर्म।

(ग) अपमान।

(घ) प्यार।

उत्तर: (ख) धर्म-कर्म।

(ii) हमें अपना सिर _________ और सीना चौरा करके चलना चाहिए।

(क) ऊँचा।

(ख) नीचा।

(ग) अकड़।

(घ) झूका।

उत्तरः (क) ऊँचा।

(iii) दूसरों के उपकार के लिए क्या दान करना चाहिए?

(क) अपना तन-मन।

(ख) खुदकी।

(ग) अरमान।

(घ) प्रगति।

उत्तरः (क) अपना तन-मन।

(iv) कवि ने किस का सामना डटकर करने को कहा है?

(क) सुख का।

(ख) अपमान का।

(ग) प्यार का।

(घ) मुसीवतों का।

उत्तरः (घ) मुसीबतों का।

(v) किसके बाद भी हमें बचना होगा?

(क) प्यार के।

(ख) कष्ट के

(ग) घृणा के।

(घ) पीड़ाओं के।

उत्तरः (ग) घृणा के।

2. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) कवि के अनुसार जीत कैसी होती है?

उत्तरः कवि के अनुसार जीत क्षणिक होती है।

(ख) किसके हेतु हमें अपने अरमानों का दिया जलाए रखना चाहिए? 

उत्तरः जिन्दगी से हार के उपरांत हमें अपने पुत्र प्रेम हेतु अरमानों की दिया जलाए रखना चाहिए।

(ग) सबसे बड़ा कर्म-धर्म क्या है?

उत्तरः दूसरों की हित में चिंता करना ही सबसे बड़ा कर्म-धर्म है।

(घ) जीवन के कठिन से कठिन क्षण में हमें क्या करना चाहिए?

उत्तरः कठिन क्षण का डटकर सामना करना चाहिए। इस क्षणों में हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।

(ङ) कवि ने क्या संदेश दिया है?

उत्तरः कवि ने निरंतर कठिनाइयों का सामना कर कदम से कदम मिलाकर चलने का संदेश दिया है।

3. भावार्थ लिखिए:

(क) पीड़ाओं को होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

उत्तरः हमें अपने जीवन में अनेकों बलिदान देने पड़ते है। खुद सारा अपमान सहना पड़ता है और कभी तो सम्मान की हानी भी हो सकती है तो कभी सम्मान मिलता भी है। इन पीड़ाओं में हमें पीछे नहीं हटना है, कदम से कदम मिलकार चलना होगा तभी मुस्किल आसान होगी।

(ख) कुछ काँटों से सज्जित जीवन,

प्रखर प्यार से वंचित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुबन

उत्तर: जीवन के हर मोर पर हमें काटें ही काटें मिलेगी, कभी-कभी यह सब काँटें साफ करते यौवन भी चला जाएगा। लोगों की भलाई के लिए अपने अरमानों को दुबाके उनके सपनों को पूरा करना चाहिए। दूसरों के उपकार हेतु दान करना चाहिए। मुश्किल को दूर करना ही हमरा लक्ष्य होना चाहिए।

4. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) कवि ने हमें कैसे चलने का चलाह दिया?

उत्तरः कवि हमें हर परिस्थिति में कदम से कलम मिलाकर चलने की चलाह दी। क्योंकि मुसीबत, हार-जीत, दुख-सुख का क्षण तो जीवन में बार-बार आते हैं और इनकों दूर करना ही हम लोगों का मूल लक्ष्य होना चाहिए। इससे हमें पीछे हटना नहीं चाहिए चाहें इसके लिए हमें अपनी जान की भी आहूति क्यों न देनी पड़े।

(ख) हमें कैसे आगे बढ़ना है?

उत्तरः अगर हमारे समस्त संसार को नाश करने वाले डरावना काला बादल भी आकाश में दिखाई दे तो हमें दोनों हाथों में आग का गोला लेते हुए हसते आगे बढ़ना है।

(ग) ‘क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानों को दलना होगा।’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करों।

उत्तरः कुछ अच्छे काम के लिए अगर थोड़े बलिदान भी देना पड़े तो मंजूर है। लोगों की भलाई के लिए अपने अरमानों की डूबाना होगा। क्षण मात्र की जीत और लंबी हार को हटाने के लिए अपने अरमानों का गला घूटना होगा। बाधा एंव कठिनाइयों का डट के सामना करना होगा।

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