SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 18 अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

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SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 18 अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

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अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

गद्य खंड

अम्यास-माला

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) रेल-दुर्घटना में अरुणिमा घायल हुई थी –

(i) 11 जुलाई, 2011 को।

(ii) 11 अप्रैल, 2011 को।

(iii) 15 अप्रैल, 2011 को।

(iv) 20 अगस्त, 2011 को।

उत्तर: (ii) 11 अप्रैल, 2011 को।

(ख) रेल-दुर्घटना में घायल अरुणिमा का इलाज पहले हुआ था –

(i) बरेली के अस्पताल में।

(ii) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में।

(iii) लखनऊ के अस्पताल में।

(iv) उत्तर प्रदेश आयुविज्ञान संस्थान में।

उत्तर: (i) बरेली के अस्पताल में।

(ग) अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी-पड़ी अरुणिमा – 

(i) रेल में सफर करने के कारण पछताने लगी।

(ii) घरवालों की याद करके रोने लगी।

(iii) दिन-रात अपने दुर्भाग्य पर रोने लगी।

(iv) हिमालय के शिक्षरों पर चढ़ने का सपना देखने लगी।

उत्तर: (iv) हिमालय के शिक्षरों पर चढ़ने का सपना देखने लगी।

(घ) चार महीनों के बाद जब अरुणिमा अस्पताल से निकली तो-

(i) सीधे बछेन्द्री पाल के पास पहुँच गई।

(ii) सीधे टेनजिंग नरगे के पास पहुँच गई।

(iii) सीधे माँ से मिलने घर पहुँच गई।

(iv) सीधे पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने चली गई।

उत्तरः (i) सीधे बछेन्द्री पाल के पास पहुंच गई।

(ङ) अरुणिमा एवरेस्ट के शिखर पर पहुंची

(i) 21 मई, 2013 को।

(ii) 31 मई, 2013 को।

(iii) 21 जून, 2013 को।

(iv) 21 मई, 2015 को।

उत्तर: (i) 21 मई, 2013 को।

2. उपयुक्त शब्दों का चयन कर वाक्यों को फिर से लिखिए:

(क) अरुणिमा सिन्हा _________ कुछ भी देने से इनकार कर रही थी। (शिखारियों को, लुटेरों को, भक्तों को, गरीबों को)

उत्तरः लुटेरों को।

(ख) अरुणिमा लगभग _________ रेल की पटरियों के पास पड़ी रही। (सात घंटे, नौ घंटे, छह घंटे, चौबीस घंटे)

उत्तरः सात घंटे।

(ग) अरुणिमा लद्दाख में स्थित माउण्ट शमशेर कांगरि की __________ फीट की ऊँचाई तक चढ़ने में सफल हुई। (29,108 फीट/ 26,108 फोट/ 21,108 फीट/ 21,108 फीट)

उत्तरः 21,108 फीट।

(घ) काठमाण्डु से यात्रा आरंभ करने के 52 दिनों के बाद अरुणिमा __________ ऊँचाई पर स्थित माउण्ट के शिखर पर आरोहण किया। (8848 मीटर की/ 8548 मीटर की/ 8948 मीटर की/ 8148 मीटर की)

उत्तरः 8848 मीटर की।

(ङ) भारत सरकार ने अरुणिमा को सन 2015 में _________ सम्मानित किया। (पद्मश्री सम्मान से, पदमभूषण सम्मान से, टेनजिंग नरगे सम्मान से, अमेजिंग इंडियन अवार्ड से)

उत्तरः टेनजिंग नरगे सम्मान से।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) किस खेल में अरुणिमा सिन्हा ने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में राज्य की टीम में खेलकर काफी नाम कमाया था?

उत्तरः अरुणिमा सिन्हा एक अच्छी वालीबॉल खिलाड़ी थे। कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उसने राज्य की टीम में खेलकर काफी नाम कमाया था। वह उत्तर प्रदेश की थी।

(ख) चलती रेलगाड़ी में लुटेरे अरुणिमा से क्या मांगते हुए धमकी दे रहे थे? 

उत्तरः चलती रेलगाड़ी में लुटेरे अरुणिमा से गले का हार निकालकर देने की धमकी दे रहे थे।

(ग) अरुणिमा ने किसकी देखरेख में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था? 

उत्तरः अरुणिमा ने एवरेस्ट विजयी बछेन्द्री पाल की देखरेख में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था।

(घ) डॉ.ए.पी.जे अब्दुल कलाम से अरुणिमा को कौन सा पुरस्कार मिला था? 

उत्तरः 2014 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलम से अरुणिमा को अमेजिंग इंडियन अवार्ड . पुरस्कार मिला था।

(ङ) अरुणिमा की तरह शारीरिक रूप से अक्षम अन्य एक विरल व्यक्तित्व का उदाहरण दीजिए।

उत्तरः अरुणिमा सिन्हा की तरह शारीरिक रूप से अक्षम स्टिफन हॉकिंग भी अपनी विरल प्रतिभा के कारण सम्पूर्ण विश्व को एक वरेण्य व्यक्ति बन चुके हैं।

4. संक्षिप्त उलट दीजिए:

(क) अरुणिमा को रेल-दुर्घटना के बारे में संक्षेप में लिखिए।

उत्तरः लखनऊ से दिल्ली जा रही रेलगाड़ी में लुटरों ने यात्रियों को बेपरवाह लूट रहे थे। वे अरुणिमा से कई बार उसके गले के हार मांगकर धमकी दे चुके थे। पर अरुणिमा उनके सामने हार नहीं मानी। इसका अंजाम क्या होगा तुझे नहीं मालूम ? अरुणिमा के सामने एक लुटेरा गरज उठा। पलक झपकने न पाई कि दो लुटोरों ने आकर अरुणिमा को उठा लिया और कोई कुछ समझ पाए इससे पहले वे उसे खुले दरवाजे से रेलगाड़ी से बाहर अंधेरे में फेंक दिया। उसी समय पास की पटरी से भी एक रेलगाड़ी गुजर रही थी। अरुणिमा का शरीर उस रेलगाड़ी से टकराया और नीचे गिर गया। दर्द के मारे वह चीखती-चिलाती रही और इस तरह लगभग सात घंटे वह रेल की पटरियों के पास पड़ी रही और उस दौरान उसके पास से उनचालीस रेलगाड़ियों गुजर गई।

(ख) रेल-दुर्घटना के बाद अरुणिमा के संबंध में किस तरह की अफवाहें फैली थीं? 

उत्तरः रेल-दुर्घटना के बाद अरुणिमा के बारे में लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ लोग कहते थे कि अरुणिमा बिना टिकट भ्रमण कर रही थी और जब टीटी ने उससे टिकट मांगा तो वह रेलगाड़ी से कूद पड़ी थी। कोई कहता था कि अरुणिमा आत्महत्या करने के लिए चलती गाड़ी से कूद पड़ी थी।

(ग) अस्पताल में रहते समय अरणिमा के मन में कैसे ख्याल आए थे?

उत्तरः रेल-दुर्घटना के बाद अरुणिमा एक नई जिन्दगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प कर लिया था। अस्पताल के विस्तर पर पड़ी-पड़ी अरुणिमा हिमालय के शिखरों पर चढ़ने का सपना देखने लगी। उसके मन में एवरेष्ट विजय की इच्छा इस प्रकार बलवती हो गई कि वह अपने पैरों का दर्द और बिकलांग दशा को भी बून गई। वह कहाँ कैसे इस कार्य के लिए प्रशिक्षण ले सकेगी यहाँ सोचने लगी।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद-युग्म
Chapter – 2वन – मार्ग में
Chapter – 3किरणों का खेल
Chapter – 4तोड़ती पत्थर
Chapter – 5यह दंतुरित मुसकान
Chapter – 6ऐ मेरे वतन के लोगो
Chapter – 7लोहे का स्वाद
गद्य खंड
Chapter – 8आत्म निर्भरता
Chapter – 9नमक का दारोगा
Chapter – 10अफसर
Chapter – 11न्याय
Chapter – 12वन-भ्रमण
Chapter – 13तीर्थ-यात्रा
Chapter – 14इंटरनेट की खट्टे-मीठे अनुभव
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16कदम मिलाकर चलना होगा
गद्य खंड
Chapter – 17अमीर खुसरु की भारत भक्ति
Chapter – 18अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

(घ) पर्वतारोहण के क्षेत्र में अरुणिमा को प्रेरणा और प्रशिक्षण किसने और कैसे दिया?

उत्तरः अरुणिमा की आंखों में तैरते सपने, अपनी चुनौतियों के सामने सिर न झुकाने का अदम्य मनोबल और प्रबल आत्मविश्वास को अनुभव करने के बाद बछेन्द्री पाल के मन में थे। यह विश्वास जगा कि अगर इस युवती को सहारा और साहस मिले, सही तरीके से प्रशिक्षण मिले तो जरूर यह एक दिन अपने लक्ष्य पर पहुँचकर दिखाएगी। आखिरकार वह दिन भी आ गई, जब टाटा स्टोन एडवेन्सर फाउंडेशन द्वारा चलाए गए प्रशिक्षण कैंप में एवरेस्ट बिजयी बछेन्द्री पाल की देखरेख में प्रशिक्षण कार्य आरंभ हुआ।

जब अरुणिमा के मन में माउंट एवरेस्ट विजयी की कामना प्रबल हो उठा, उसी समय अरुणिमा को अपने लक्ष्य-प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह ने भी प्रेरणा दी थी।

(ङ) विकलांग होने पर भी अरुणिमा एवरेस्ट विजय प्राप्त करने में सफल हुई, क्यों?

उत्तरः अरुणिमा ने विकलांगता को एक चुनौती मानकर एक नई जिन्दगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प कर लिया था। उस समय उसकी आखों में एक ही सपना था, एवरेस्ट विजयी होना। अरुणिमा की आंखों में तैरते सपने अपनी चुनौतियों के सामने सिर न झुकने का अदम्य मनोबल और प्रण आत्मविश्वास, शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से सबल थी, तथा उसमें मन की दढ़ता और अध्यावसाय की कमी नहीं थी। एक पैर को सोने के दुभाग्य को अपने सौभाग्य के रूप में परिवर्तित करने के रूप में संकल्प पूरा करने के लिए उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लगभग एक वर्ष तक उसने अद्भुत उत्साह, उद्यम एवं पूरी समर्पण भावना से पर्वतारोहण प्रक्रिया के अभ्यास में आत्मनियोजित किया था। कोई भी बाधा उसे रोक नहीं पाई। अंत में उक्के अथक परिश्रम, अदम्य मनोबल और अध्यवसाय का सुफल प्राप्त हुआ।

5. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) परंतु इस अभियान की विफलता के कारण निराशा के स्थान पर अरुणिमा का संकल्प और भी दृढ़ हो गया।

उत्तर: अरुणिमा लद्दाख में स्थित माउण्ट शमशेर कांगरि की 21,108 फीट की ऊंचाई तक चढ़ने में सफल हुई। परंतु माउण्ट कांगरि की कुल ऊँचाई थी 21,798 फुट। उस समय मौसम भी बहुत खराब था। ऐसे मौसम में अभियान की जारी रखना असंभव होने के कारण शिखर तक केवल 690 फीट रहते अभियात्री दल को अभियान समाप्त करके नीचे उतरना पड़ा। परंतु इस अभियान की विफलता के कारण निराशा के स्थान पर अरुणिमा का संकल्प और भी दृढ़ हो गया। उनके मन में माउण्ट एवरेष्ट विजय की कामना प्रबल हो उठी। इस समय अरुणिमा को अपने लक्ष्य-प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह ने भी प्रेरणा दी थी। अरुणिमा ने देखा था कि अपनी अदम्य मानसिक शक्ति के कारण कैंसर रोग से पीड़ित युवराज सिंह रोगमुक्त होकर कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हुआ था। युवराज से अरुणिमा को प्रेरणा मिली थी कि जो अपने हौसला और आत्मविश्वास कायम रख सके उसके लिए शारीरिक विकलांगता कोई लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में प्राचीर बनकर खड़ी नहीं हो सकती और न जीवन में आगे बढ़ने में भी कोई बाधा बन सकती है।

(ख) इस प्रकार अनेक व्यक्ति अपनी प्रतिभा के कारण विभिन्न परिवेश में राष्ट्रीय पटल पर सितारों के समान चमकते हुए सहस्त्र जनों के लिए आशा और प्रेरणा के स्रोत बन जाते है।

उत्तरः इसका आशय यह है कि, अनुकरणीय व्यक्तित्व अपने अभूतपूर्व कार्यों से सबके समक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर अनेक दुःखी लोगों को आनन्द प्रदान करते है, उन्हें निराशा तथा हताशा से मुक्ति दिलाते हैं और नए उद्यम के साथ जीवन में आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए साहस और दृढ़ता प्रदान करते हैं। ऐसे वक्त में हमें महाभारत का एक अनन्य चरित्र एकलब्य का स्मरण ही आता है, जिससे अपनी साधना और एकनिष्ठता से सिद्धि प्राप्त की थी। हमें अर्जुन की भी याद आती है जो गहरी अंधेरी रात को घने जंगल में शब्द भी दी बाण का अभ्यास करके सफलता हासिल की थी। वर्तमान काल में हम देखते हैं स्टिफेन हॉकिंग जैसा एक शारीरिक रूप से अक्षम वैज्ञानिक अपनी बिरल प्रतिभा के कारण सम्पूर्ण विश्व का एक वरेण्य व्यक्ति बन चुके हैं। हमारे बीच अरुणिमा सिन्हा की तरह और भी लाखों ऐसे प्रतिभावान व्यक्ति हैं जिन्हें आगे बढ़ने के लिए थोड़ा-सा आश्वासन और सहायता की जरूरत है।

6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) परंतु अरुणिमा ने इन सबकों एक चुनौती मानकर एक नई जिन्दगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प कर लिया था।

उत्तर: संदर्भ व प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक अंबर में संकलित अरुणिमा सिन्हा साहस की मिसाल से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका डॉ. जयश्री गोस्वामी महंत है। रेल-दुघर्टना के तुरंत बाद लोगों की तरह-तरह की बाते सुनकर वे बहुत दुखी हुआ और मन ही मन कुछ कर दिखाने की संकल्प कर लिया। इसी प्रसंग में यह बाते कहीं गई थी।

व्याख्या: लेखिका ने इस गद्यांश में अरुणीमा की रेल-दुर्घटना के बाद की उनकी मनस्थिति को प्रकाश किया है। इस घटना के बाद अरुणिमा के बारे में लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ लोग कहते थे कि अरुणिमा बिना टिकट भ्रमण कर रही थी और जब टी.टी ने उससे टिकत मांगा तो वह रेलगाड़ी से कुद पड़ी थी। कोई कदता था कि अरुणिमा आत्महत्या करने के लिए चलती गाड़ी से कूद पड़ी थी। धीरे-धीरे ये सब बाते अरुणिमा के कानों में भी पड़ी थी और उसे बहुत दुःख हुआ था। परंतु अरुणिमा ने इन सबको एक चुनौती मानकर एक नई जिन्दगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प कर लिया था। उस घटना के बाद अरुणिमा को अपना बायाँ पैर हमेशा के लिए खोना पड़ा। इसके बावजूद अरुणिमा के मन में ऐसा गजब का साहस और आत्मविश्वास था कि वह अपनी शारीरिक विकलांगता को भूलकर एवरेस्ट विजय का सपना देखने लगी थी। एवरेस्ट विजय करने वाली बछेन्द्री पाल की सहायता परंपरा और प्रशिक्षण के बल पर अरुणिमा ने पर्वतारोहण के लिए अपने को तैयार कर लिया और आखिर सन 2013 की 21 मई के दिन उसने एवरेस्ट के शिखर पर आरोहण करके अपना सपना वास्तव में परिणत कर दिखाया था।

(ख) यवराज से अरुणिमा को प्रेरणा मिली थी कि जो अपने हौसला और आत्मविश्वास कायम रख सके उसके लिए शारीरिक विकलांगता कोई लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में प्राचीर बनकर खड़ी नहीं हो सकती और न जीवन में आगे बढ़ने में भी कोई बाधा बन सकती है। 

उत्तरः सदर्भ व प्रसंग: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक अंबर से संकलित अरुणिमा सिन्हा साहस की मिसाल पाठ से लिया गया है। इस पाठ की लेखिका डॉ. जयश्री गोस्वामी महंत है। इस गद्यांश में लेखिका ने अरुणिमा को युवराज द्वारा अनुप्राणित हुआ दिखाई है।

व्याख्या: अरुणिमा की आंखों में तैरते सपने अपनी चुनौतियों के सामने सिर न झुकने का अदम्य मनोबल और प्रबल आत्मविश्वास उसके मन में एवरेस्ट विजय की इच्छा इस प्रकार बलवती हो गई कि वह अपने पैरों का दर्द और विकलांग दशा को भी भूल गई। ठिक उसी समय अरुणिमा को अपने लक्ष्य-प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह ने भी प्रेरणा दी थी। अरुणिमा ने देखा था कि अपनी अदम्य मानसिक शक्ति के कारण कैंसर रोग से पीड़ित युवराज सिंह रोगमुक्त होकर कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हुआ था। युवराज से अरुणिमा को प्रेरणा मिली थी कि जो अपने हौसला और आत्मविश्वास कायम रख सके उसके लिए शारीरिक विकलांगता कोई लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में प्राचीर दानकर खड़ी, नहीं हो सकती और न जीवन में आगे बढ़ने में भी कोई बाधा बन सकती है।

7. सम्यक उत्तर दीजिए:

(क) अरुणिमा सिन्हा के जीवन में जो विपत्ति आई उसकी चुनौती उसने किस प्रकार ग्रहण की?

उत्तरः अरुणिमा सिन्हा के जीवन में जो विपत्ति आई इन सबको एक चुनौती मानकर एक नई, जिन्दगी जीने लिए मन ही मन संकल्प कर लिया था। अरुणिमा की आखों में तैरते सपने अपनी चुनौतियों के सामने सिर न झुकाने का अदम्य साहस मनोबल और प्रबल आत्मविश्वास था कि वह अपनी शारीरिक विकलांगता को भूलकर एवरेस्ट विजय का सपना देखने लगी थी।

(ख) माउण्ट शमशेर कांगरि के शिखर पर पहुँच न सकने के दुःख को अरुणिमा ने किस प्रकार ग्रहण किया?

उत्तरः माउण्ट शमशेर कांगरि के शिखर पर पहुंच न सकने का दुःख अरुणिमा की मानसिक दृढ़ता को तोड़ न सका। बल्कि उसकी ऐसी हालत में 21,108 फीट की ऊँचाई तक चढ़ने में सफल हुई। इसी बात ने उसके विश्वास को और भी दृढ़ कि वह माउण्ट एवरेस्ट की चढ़ाई भी पूरी कर सकेगी।

(ग) अरुणिमा ने अपने जीवन के दुर्भाग्य को कैसे सौभाग्य में बदल दिया?

उत्तरः जिस समय हजारों लोग शारीरिक विकलांगता को दुर्भाग्य समझते रहे हैं ऐसे समय में अपनी दृढ़ता और आत्मविश्वास के बल पर अरुणिमा ने एवरेस्ट विजय कर अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलकर पूरे संसार में एक मिसाल बन गई है।

(घ) पर्वतारोहण के क्षेत्र में अरुणिमा की उपलब्धि क्या है?

उत्तरः रेल दुर्घटना के बाद जब अरुणिमा ने पहली बार एवरेस्ट फतह करने की अपने दिल की इच्छा जताई थी तो लोगों ने बहुत मजाक उड़ाया था। लेकिन अरुणिमा ने किसी की बातों पर ध्यान न देते हुए सिर्फ अपनी मन की बात सुनी उसके मन में एवरेस्ट विजय की इच्छा प्रकार बलवती हो गई कि वह अपने पैरों का दर्द और विकलांग दशा को भी भूल गई। अरुणिमा शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से सबल थी तथा उसमें मन की दृढ़ता और अध्यवसाय की कमी नहीं थी। एवरेस्ट विजयी बछेन्द्री पाल की सहायता, परामर्श और प्रशिक्षण के बल पर अरुणिमा ने पर्वतारोहण के लिए अपने को तैयार कर लिया। एक पैर को खोने के दुर्भाग्य को अपने सौभाग्य के रूप में परिवर्तित करने के रूप में संकल्प पूरा करने के लिए उसने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लगभग एक वर्ष तक उसने अद्भुत उत्साह, उद्यम एवं पूरी समर्पण भावना से पर्वतारोहण प्रक्रिया के अभ्यास में आत्मनियोजित किया था। अंत में उसके अथक परिश्रम अदम्य मनोबल और अध्यवसाय का सुफल प्राप्त हुआ। आखिर सन 2013 की 21 मई के दिन उसने एवरेस्ट के शिखर पर आरोहण करके अपना सपना वास्तव में परिणत कर दिखाया था। जिस समय हजारों लोग शारीरिक विकलांगता को दुर्भाग्य समझते रहे हैं- ऐसे समय में अपनी दृढ़ता और आत्मविश्वास के बल पर अरुणिमा अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलकर पूरे संसार में एक मिसाल बन गई है।

(ङ) ‘अपनी जिन्दगी को जोखिम में डालकर ऐसे कामों के लिए आगे बढ़ने के सिवाय एक सामान्य जीवन जीना ही तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा।’ लोग अरुणिमा को ऐसा परामर्श क्यों देते थे?

उत्तरः रेल-दुर्घटना के बाद अरुणिमा को अपना बायाँ पैर हमेशा के लिए खोना पड़ा। उस पैर की जगह एक कृत्रिम पैर लगा दिया गया और दाहिनी पैर में लोहे की चिक डालकर उसे चलने-फिरने लायक बना दिया गया। दूसरा चैर लगभग बेकार, ऐसी हालत में हिमालय की चढ़ाई करने के लिए आवश्यक जटिल कौशलों को आत्मसात कर पाना तथा पर्वतारोहण के कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास कर पाना अरुणिमा के लिए संभव नहीं होगा। अपनी जिन्दगी को जोखिम में डालकर ऐसे कामों के लिए आगे बढ़ने के सिवाय एक सामान्य जीवन जीना ही उनके लिए अच्छा रहेगा। इस कारण से लोग उन्हें ऐसा परामर्श देते थे।

भाषा एवं व्याकरण

1. निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन रूप:

रोलगाड़ी, लुटेरा, पटरी, पहिया, जरूरत, बाधा, सितारा, सफलता।

उत्तरः रोलगाड़ी – रोलगाड़ियाँ।

लुटेरा – लुटेरों।

पटरी – पटरियों।

पहिया – पहियों।

जरूरत – जरूरतें।

बाधा – बाधाएँ-बाधाओं।

सितारा – सितारे।

सफलता – सफलताएँ।

2. निम्नलिखित उर्दू के उपसर्गों से दो-दो शब्द बनाइए:

बे = __________ __________

हम = ________ __________

हर = ________ __________

बद =________ __________

ला = ________ __________

गैर = ________ __________

सुख = ________ __________

ता = ________ _________

उत्तरः बे = बेईमान, बेरहम।

हम = हमउम्र, हमदर्दों।

हर = हरदिन, हरएक।

बद = बदकिस्मत, बदमिजाज।

ला = लापरवाह, लाजवाब।

गैर = गैरकानूनी, गैरसरकारी।

सुख = खुशहाल, खुशखबरी।

ता = सफलता, नीरवता।

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

लड़की, अंधेरा, दायाँ, दुखमय, अक्षम, सुफल

उत्तरः लड़की – लड़का।

अंधेरा – उजाला।

दायाँ – बायाँ।

दुखमय – सुखमय।

अक्षम – सक्षम।

सुफल – कुफल।

4. पठित पाठ में कई मुहावरों का प्रयोग हुआ है। इन्हें छाँटिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए:

उत्तरः गुस्से से लाल होना (बहुत क्रोधित होना): जुआ खेलते देखकर मेरे पिताजी मुझ पर गुस्से से लाल हो गए।

पलक-झपकते (पल भर में): पलक झपकते ही चोर गायब हो गया।

भुख पीला पड़ना (भयभीत होना): हाथी को देखकर डर के मारे सबके मुख पीले पड़ गए।

आखों के इशारे (मन ही मन मान लेना): बहुत यात्रियों ने आखों के इशरों से ही लुटेरों की बात मान ली।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. सही विकल्प का चुनाव कीजिए:

(i) माउण्ट कांगरि की कुल ऊँचाई कितने फुट की थी?

(क) 21,798 फुट।

(ख) 19,789 फुट।

(ग) 12,978 फुट।

(घ) 87,912 फुट।

उत्तरः (क) 21,798 फुट।

(ii) कौन से साल में अरुणिमा को भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया?

(क) 2013

(ख) 2015

(ग) 2014

(घ) 2012

उत्तरः (ख) 2015

(iii) डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम से अरुणिमा को कौन सा पुरस्कार मिला था?

(क) ‘देनजिंग नरगे सम्मान’।

(ख) अमेजिंग इण्डियन अवार्ड।

(ग) एवरेस्ट बिजेता।

उत्तरः (ख) अमेजिंग इण्डियन अवार्ड।

(iv) रल-दुर्घटना में अरुणिमा ने क्या खोया?

(क) दायाँ हाथ।

(ख) बायाँ हाथ।

(ग) बायाँ पैर।

(घ) दायाँ पैर।

उत्तरः (ग) बायाँ पैर।

(v) काठमाण्डु से यात्रा पुरी करने में उनकी कितने समय लगा?

(क) 4 दिन।

(ख) 80 दिन।

(ग) 70 दिन।

(घ) 52 दिन।

उत्तरः (घ) 52 दिन।

2. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) अरुणिमा को लक्ष्य-प्राप्ति के लिए किसका प्रेरणा दिया जाता था?

उत्तरः भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह की।

(ख) युवराज सिंह किस रोग से आक्रांत थे?

उत्तरः कैंसर रोग से।

(ग) अपने दुः समय में हौसला बुलन्द रखने का अदम्य साहस उनको बछेन्द्री पाल के साथ और किसने दिया था?

उत्तरः अपने भाई ने।

(घ) ऑक्सीजन की कमी और पैरों से खून कौन से कैंप में निकलने लगा था?

उत्तरः चौथे कैंप में।

(ङ) उनके यात्रा के समय उनके साथ कौन थे?

उत्तरः शेरपा थे।

3. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) अरुणिमा सिन्हा कौन सी खिलाड़ी रह चुकी थी?

उत्तरः अरुणिमा सिन्हा अच्छी वालीबॉल खिलाड़ी थी। कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उसने राज्य की टीम में खेलकर काफी नाम कमाया था।

(ख) अरुणिमा लुटेरों का शिकार क्यों वनी थी?

उत्तरः अरुणिमा अपनी माँ का दिया हुआ हार लुटेरों को नहीं दे रही थी, क्योंकि इसके साथ उनका प्यार और आशीर्वाद है। हार न देने के कारण लुटेरों का शिकार हो गई।

(ग) माउण्ट शमशेर कांगरि की 21,108 फीट ऊँचाई तक पहुँचने के बाद क्यों उतरना पड़ा था? सिन्हा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तरः 21,798 फुट ऊँचाई का 21,108 फीट ऊँचाई चढ़ने के बाद खराब मौसम के वजह से अभियात्री दल को अभियान समाप्त करना पड़ा। परंतु सिन्हा में इसका विपरीत प्रभाव पड़ा। उनका मनोबल दुगना बड़ा और एवरेस्ट विजय का कामना प्रबल हो उठा।

(घ) कृत्रिम पैर लगाने के बाद एवरेस्ट विजय के लिए अरुणिमा ने क्या किया? 

उत्तरः कृत्रिम पैर लगाने के बाद चलते-फिरने लगी तभी आँखों में सपना लिए उत्तर काशी में इको एवरेस्ट एक्सपेडिशन ग्रुप में शामिल हुई। टाटा स्टील एडवेन्सर फाउण्डेशन द्वारा चलाए गए प्रशिक्षण कैम्प में एवरेस्ट विजय करने बछेन्द्री पाल के पास प्रशिक्षण कार्य आरंभ किया।

(ङ) अरुणिमा जैसे और कौन-कौन से व्यक्तिओं के नाम याद आते है, जिन्होंने अदम्य बल, साहस और मनोबल से जगत में नया मिशाल कायम किया है? 

उत्तरः नए उद्यम, अपनी साधना और एकनिष्ठता का बात करें तो महाभारत का एकलव्य चरित्र, अर्जुन जिसने शब्दभेदी बाण चलाने का अभ्यास कर सफलता प्राप्त की थी। वर्तमान काल में स्टिफेन हॉकिंग जैसा शारीरिक विकलांग वैज्ञानिक अपनी विरल प्रतिभा के कारण विश्व में विख्यात व्यक्ति बन चुके हैं।

4. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) ‘शारीरिक विकलांगता कोई लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में प्राचीर बनकर खड़ी न हो सकती।’

उत्तरः उक्त गद्यांश का अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति की शारीरिक दुर्बलता उनके मनोबल उनके लक्ष्य के आरे नहीं आ सकती। अगर व्यक्ति का मनोबल पाने की चाह प्रबल हो तो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। उन्हें बच प्रेरणा की जरूरत होती है। अदम्य साहस और उत्साह के साथ वह आगे बढ़ती है। अथक परिश्रम, अदम्य मनोबल और अध्यावसाय से वह सफल होते ही है। अनेक व्यक्ति अपनी प्रतिभा के कारण विभिन्न परिवेश में राष्ट्रीय पटल पर सितारों के समान चमकते हुए सहस्र जनों के लिए आशा और प्रेरणा के स्रोत बन जाते है। दृढ़ता और प्रबल इच्छाशक्ति की गुणों के कारण व्यक्ति अपने लक्ष्य पर पहुँचने के मार्ग में आनेवाली अनेक चुनौतियों को आसानी से अतिक्रम करने में सफल होते हैं।

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