Class 12 Hindi MIL Chapter 16 भक्तिन

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Class 12 Hindi MIL Chapter 16 भक्तिन

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भक्तिन

आरोह: गद्य खंड

प्रश्नोत्तर:

1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?

उत्तरः भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। भक्तिन का यह नाम समृद्धि सूचक है। लेकिन लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। अतः भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगो से छुपाती थी।

भक्तिन को यह नाम महादेवी वर्मा ने दिया था । भक्तिन जब पहली बार महादेवी वर्मा के पास आई थी। उसके गले में कंठी माला देखकर महादेवी वर्मा ने भक्तिन को यह नाम दिया।

2. दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से अकसर यह धारणा चलती है कि यह स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?

उतर: कन्या रत्न पैदा करने के कारण भक्तिन पुत्र महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा की पात्र बनी। पुत्र पैदा करने के कारण जिठानि ने अपना स्थान ऊँचा मानती थी। जिठानियाँ जहाँ बैठकर लोक-चर्चा करती थी वही भक्तिन मट्ठा पेरती, कूटती पीसती थी। जहाँ जिठानियों के बेटे धूल उड़ाते थे वही भक्तिनि की बेटियाँ गोबर उठाती, कंड़े पाथती। जिठानियाँ अपने बेटो को जहाँ औंटते हुए दूध पर से मलाई उतारकर खिलाती वही भक्तिन की बेटियो को चने बाजरे की घूघरी चबानी पड़ती।

जी हाँ इससे बहुत हद तक में सहमत हूँ। समाज में घटित इसप्रकार की घटनाएँ अक्सर हमें यह सोचने को बाध्य कर देता है, एक स्त्री ही दूसरी स्त्री की शत्रु होती हैं। कन्या रत्न पैदा करने पर जहाँ महिला को समाज तथा घर में उनके ही घर के अन्य महिला सदस्य से घृणा या उपेक्षा सहना पड़ता हैं। वही ऐसे उदाहरण थी बहुत मिलते हैं, जहाँ कन्या रत्न की गर्भ में ही हत्या कर जाती हैं।

3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतन्त्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है? कैसे?

उत्तरः विवाह के क्षेत्र में यह सामाजिक परम्परा सदियों से चली आ रही है, कि घर के बड़े सदस्य ही वर पसन्द कर लड़की का विवाह करा देते हैं। इसमें लड़की मर्जी पसन्द नायसन्द को नहीं पुछा जाता हैं। जहाँ तक विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार की बात आती है वहाँ उसे पूरी स्वतन्त्रता मिलनी चाहिए। विवाह जैसे महतवपूर्ण संदर्भ में उनकी राय लेना आवश्यक हैं। भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना नही कहा जा सकता बल्कि स्त्री के मनवाधिकार के कुचलने का क्रम हैं। भक्तिन की बेटी निर्दोष होकर भी अपना निर्दोष होने का प्रमाण नहीं दे पाई। जिससे उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका विवाह करा दिया जाता है।

4. ” भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं” लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर: लेखिका कहती हैं, भक्तिन अच्छी हैं, यह कहना कठिन है क्योंकि अच्छे होने के लिए दोषमुक्त होना जरूरी है, जबकि भक्तिन में दुर्गुणों का अभाव नही हैं। भक्तिन महादेवी जी के इधर-उधर पड़े पैसो को मटके में संभाल कर रखती हैं, और अगर कोई इसे चोरी नाम देने की कोशीश करता तो वह तर्क देती कि यह उसका अपना घर हैं, और घर के पैसे को संभालकर रखना चोरी नही कहलाता है। महादेवी जी को खुश करना भक्तिन का कतर्व्य ना वह ऐसी बात जिससे उनको क्रोध आ सकता था उसे बदलकर इधर-उधर करके बताती थी।

5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न के सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?

उत्तरः महादेवी वर्मा को स्त्रियों का सिर घुटाना अच्छा नहीं लगता था। और भक्तिन हर बृहस्पतिवार को एक दरिद्र नापित द्वारा अपना चूड़ाकर्म करवाती थी। महादेवी ने भक्तिन को ऐसा करने से रोका परन्तु भक्तिन कहती है, कि शास्त्रों में लिखा हैं। जब महादेवी जी कुतूहलवश पूछती हैं, कि क्या लिखा हैं, तव वह बताती हैं तीरथ गए मुँडाएँ सिद्ध। यह किस शास्त्र में लिखा हैं, महादेवी जी के लिए यह जानना संभव नही था। महादेवी जी कहती हैं, कि शक्तिन शास्त्र के प्रश्न को भी अपनी सुविधा से सुलझा लेती है।

6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?

उत्तरः भक्तिन हमेशा दूसरो को अपने मन के अनुसार बना लेना चाहती हैं, परन्तु अपने लिए किसी भी प्रकार का परिवर्तन की कल्पना संभव नहीं हैं। भक्तिन के साथ रहकर महादेवी अधिक देहाती हो गयी हैं, परन्तु भक्तिन को शहर की हवा भी नही छु सकी। भक्तिन महादेवी को क्रियात्मक रूप से सिखानी कि ज्वार के भुने हुए भुट्टे के हरे दानों की खिचड़ी अधिक स्वादिष्ट होती है, सफेद महुए की लपसी संसार भर के हल को भी लजा सकती है। महादेवी के नाराज होने के बावजूद भी उसने साफ धोती पहन्ना नही सीखा। यहाँ तक की आँय के स्थान पर जी कहने का शिष्टाचार भी नही सीख सकी।

7. ‘भक्तिन’ किस प्रकार की विद्या हैं?

उत्तर: ‘भक्तिन’ संस्मरणात्मक रेखाचित्र हैं।

8. ‘भक्तिन’ नामक रेखाचित्र की लेखिका कौन हैं?

उत्तर: ‘भक्तिन’ नामक रेखाचित्र की लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।

9. भक्तिन कौन है?

उत्तरः भक्तिन महादेवी वर्मा की सेविका है।

10. भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था? 

उत्तरः भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था।

11. भक्तिन नाम किसने तथा क्यों दिया?

उत्तरः भक्तिन के गले माला देखकर महादेवी वर्मा ने शक्तिन को यह नाम दिया।

12. सोना कौन है?

उत्तरः सोना महादेवी जी की हिटली का नाम है।

13. बंसत और गोधूलि कौन हैं ?

उत्तरः महादेव वर्मा के कुत्ते का नाम बंसत तथा उनकी बिल्ली का नाम गोधूली हैं। 

14. भक्तिन के व्यक्तित्व की दो विशेषगएँ लिखिए?

उत्तरः अनन्य सेविका, कर्मठ महिला।

15. रेखाचित्र किसे कहते है?

उत्तरः रेखाचित्र किसी व्यक्ति, वस्तु, घटना या भाव का कम से कम शब्दों में भर्भस्पर्शी भावपूर्ण एंव सजीव अंकन है।

16. महादेवी वर्मा को किस रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था?

उत्तरः महादेवी वर्मा को यामा संग्रह के लिए सन् १९८३ ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था । 

17. महादेवी वर्मा की मृत्यु कब हुई थी?

उत्तरः महादेवी वर्मा की मृत्यु सन् १९८७ ई० में इलाहाबाद में हुई थी।

S.L No.CONTENTS
आरोह: काव्य खंड
Chapter – 1दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
Chapter – 2कविता के बहाने
Chapter – 3कैमरे में बंद अपाहिज
Chapter – 4सहर्ष स्वीकारा है
Chapter – 5उषा
Chapter – 6कवितावली (उत्तर कांड से)
Chapter – 7रुबाईयाँ
Chapter – 8छोटा मेरा खेत
Chapter – 9बादल – राग
Chapter – 10पतंग
आरोह: गद्य खंड
Chapter – 11बाजार दर्शन
Chapter – 12काले मेघा पानी दे
Chapter – 13चार्ली चैप्लिन यानी हम सब
Chapter – 14नमक
Chapter – 15शिरीष के फूल
Chapter – 16भक्तिन
Chapter – 17पहलवान की ढोलक
Chapter – 18श्रम विभाजन और जाति प्रथा
वितान
Chapter – 19सिल्वर वैडिंग
Chapter – 20अतीत में दबे पांव
Chapter – 21डायरी के पन्ने
Chapter – 22जूझ

व्याख्या कीजिए:

(क) इसी से आज मैं अधिक देहाती हूँ, पर उसे शहर की हवा नही लग पाई। 

उत्तरः प्रस्तुत पक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ के ‘गद्य खण्ड’ के ‘भक्तिन’ नामक संस्मरमात्मक रेखाचित्र से लीया गया है। इसके रेखाचित्रकार है, महादेवी वर्मा।

प्रस्तुत पंक्तियों महादेवी वर्मा ने अपनी सेविकै भक्तिन के विषय में कहा हैं। भक्तिन के व्यक्तित्य के कुछ जरूरी पहलू को अंकित किया है।

लेखिका कहती हैं, कि भक्तिन का यह स्वभाव था कि वह सदैव दूसरो को अपने मन के अनुसार बना लेती थी। यही कारण हे कि भक्तिन के साथ रहकर महादेवी वर्मा अधिक देहाती बन गयी थी परन्तु स्वय भक्तिन पर शहर की हवा नहीं लग पाई थी। भक्तिन हमेशा महादेवी वर्मा को बताती कि मकई का रात को बता दलिया, सवेरे मट्ठे से सोधा लगख हैं। बाजरे के तिल लगाकर बनाए हुए पुए गरम कम अच्छे लगते है। सफेद महुए की लपसी संसार भर के हलवे को लजा सकती है। परन्तु स्वंय रसगुल्ले को अपने मुँह में ही डाला। उसने कभी साफ धोती पहनाना नही सीखा परन्तु महादेवी जी के धोकर फैलाए हुए कपड़ो को भी वह तह करने के बहाने मिलवटों से भर देती है। भक्तिन ने महादेवी वर्मा को अपनी भाषा के अनेक तंदकथाएँ तो कंठस्थ करा दी परन्तु स्वंय ‘आँय’ के स्थान पर ‘जी’ कहने का शिष्टाचार नही सीख सकी।

(ख) भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं।”

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक आरोह के भक्तिन नामक संस्मरणात्मक रेखाचित्र से ली गई हैं।

इसमें महादेवी वर्मा ने अपनी सेविका भक्तिन के व्यक्तित्य का बहुत दी दिलचस्प खाका खीचा हैं।

महादेवी वर्मा कहती हैं कि भक्तिन में दुगुणों का अभाव नहीं है, अंत वह अच्छी है यह कहना कठिन होगा। महादेवी जी के बिखरे पैसे किसी प्रकार भंडार घर की मटकी में चले जाते है, यह रहस्य हैं, परन्तु इस सम्भन्ध में अगर कोई संकेत भी करें तो वह भक्तिन के सामने जीतना संभव नहीं हैं। भक्तिन महादेवी वर्मा केस्वभाव को अच्छी तरह से जानती थी, अतः जो बात महादेवी को क्रोधित कर सकती थी उसे हमेशा भक्तिन घुमा-फिराकर कहती थी। भक्तिन का मानना था कि इतना झूठ और इतनी चोटी तो धर्मराज महाराज में भी होगा। अतः भक्तिन महादेवी जी को खुश करने के लिए इतना झूठ और इतनी चोरी करें बी तो कोई हर्ज नहीं हैं।

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