Class 12 Hindi MIL Chapter 17 पहलवान की ढोलक

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Class 12 Hindi MIL Chapter 17 पहलवान की ढोलक

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पहलवान की ढोलक

आरोह: गद्य खंड

प्रश्नोत्तर:

1. कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाव-पेंच में क्या तालमेल था। पाठ में आए धवन्यात्म शब्द और ढोल की आवाज आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।

उतर: लुट्टन पहलवान का कोई गुरु नहीं था, वह ढोलक को ही अपना गुरु मानता था। दंगल में उतरकर ढोलक को मानकर उसे प्रणाम कर कुश्ती शुरु करता था। ढोलक की आवाज सदैव उसे उत्साहित तथा जोश देती थी। ढोलक की ढाक-ढिना, ढांक-दिना की आवाज उसे हिम्मत देती थी। ढोलक की चट-गिड़-धा की आवाज मानो न डरने का सदश देती है। ढोलक से निकले धाक-धिना, तिरकट-तिना की आवाज मानो उसे यह कह रही हो कि दाँव काटों बाहर हो जा। चटाक-चट-धा की आवाज उसे उसके प्रतिद्वन्दी की उठाकर पटक देने के लिए कहती है। और धिना-धिना, धिक-धिना की आवाज लुटुन पहलवान को प्रतिद्वन्दी को चित करने को प्रेरित करती है।

इस पाठ में ढोलक से निकले कई ध्वन्यात्मक शब्दों का प्रयोग कई स्थानों पर किया गया है। इन ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा बिम्ब की सृष्टि होती है। इन शब्दों को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता हैं, जैसे यथार्थ में कोई ढोलक बजा रहा हैं।

2. कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उतर: लुट्टन के जीवन में सबसे पहला परिवर्तन नौ वर्ष की अवस्था में आता है, जब उसके माता-पिता उसे अनाथ कर स्वर्गवासी हो जाते है। उस समय लुट्टन की विधवा सास उसका भरण-पोषण करती है।

लुट्टन के जीवन में दुसरी बार परिवर्तन उस समय होता है, जब वह चाँद सिंह नामक पहलवान को हराकर राजा द्वारा पुरस्कृत तो किया ही जाता हैं, साथ ही राजा अपने दरबार में सदा के लिए रख लेते है। और तब से राज पहलवान के रूप उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैलती है।

तीसरा परिवर्तन लुट्टन के जीवन में उस समय आता है, जब राजकुमार उसके दैनिक भोजन व्यय सुनते ही उसका भरण-पोषण करने में असमर्थ बताते हैं। जिससे अपने दो पुत्रों सहित ढोलक कन्धे पर लटकाये मजबूरन उसे गाँव लौटना पड़ता हैं। जहाँ उसे तथा उसके पुत्रो को भरपेट खाना भी नही मिलता था।

चौथी बार परिवर्तन तब आता है, जब उसके दोनों पुत्र हैजे और मलेरिया के शिकार होकर अपने प्राण त्याग देते है। अपने दोनों पुत्रों को वह स्वयं कन्धे पर उठाकर नदी में बहा आता है।

3. लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल हैं?

उतर: लुट्टन पहलवान का कोई गुरु नहीं ता, उसने स्वयं कसरत कर बाँहो को सुडौल तथा मांसल बनाया था। अतः जब भी वह दंगल में उतरता था ढोल को ही अपना गुरु मानकर उसे प्रणामकर खेल शुरु करता था। और ढोल से निकली आवास सदैव उसे गुरु की भाँति हिम्मत बढ़ती थी, उसे जोश देती थी।

4. गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बाबजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?

उतर: लुट्टन के ढोलक की आवाज ही मृत-गाँव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी। पहलवान जीवट ढोल के बोल में अपने आपको न सिर्फ जिलाए रखाए हैं, बल्कि भूख व महामारी से दम तोड़ रहे गाँव को मौत से लड़ने की ताकत भी देते रहता है। यही कारण गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बाबजूद लुट्टन पहलवान ढोल बजाता रहा।

5. ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर होता है?

उतर: ढोलक की आवाज पूरे गाँव में संजीवनी शक्ति भरती थी। सारे गाँव में मलेरिया और हैजे ने अपनी जड़े इस प्रकार फैला चुकी थी कि सारा गाँव निस्तब्धता में डुब चुकी थी। रात्रि की इस भीषणता को केवल लुट्टन पहलवान की ढोलक ही अपने ताल ठोककर ललकारती रहती थी।

6. महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यस्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

उतर: महामरी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय होते ही लोग चेहरे पर कुछ प्रभा दृष्टिगोचर होती थी, वे अपने घरों से कूखते-कराहते बाहर निकलकर अपने पड़ोसियों और आत्मीयों को ढाढ़स देते थे। और सूर्यास्य होते ही जब लोग अपनी-अपनी झोंपड़ियों में घुस जाते तो चूँ भी नहीं करते।

कुश्ती या दंगल पहले लोगो और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानो को राजा एवं लोगो के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था।

7. ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?

(क) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?

(ख) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते है?

उतर: (क) अब कुश्ती या दंगल का स्थान अन्य खेलों ने ले लिया। आज न तो राजा हैं, और न ही लोगों में कुश्ती को लेकर पहले जैसा शौक है।

(ख) अब कुश्ती की जगह क्रिकेट, फुटबाल आदि खेलो ने ले ली है।

(ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए इस खेल के स्तर को ऊँचा उठाना पड़ेगा। इसे अन्तराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाना पड़ेगा। साथ ही जो सम्मान कुश्ती पहलवानों को दिया जाता था, वहीं सम्मान आज भी पहलवानों को मिलना चाहिए।

S.L No.CONTENTS
आरोह: काव्य खंड
Chapter – 1दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
Chapter – 2कविता के बहाने
Chapter – 3कैमरे में बंद अपाहिज
Chapter – 4सहर्ष स्वीकारा है
Chapter – 5उषा
Chapter – 6कवितावली (उत्तर कांड से)
Chapter – 7रुबाईयाँ
Chapter – 8छोटा मेरा खेत
Chapter – 9बादल – राग
Chapter – 10पतंग
आरोह: गद्य खंड
Chapter – 11बाजार दर्शन
Chapter – 12काले मेघा पानी दे
Chapter – 13चार्ली चैप्लिन यानी हम सब
Chapter – 14नमक
Chapter – 15शिरीष के फूल
Chapter – 16भक्तिन
Chapter – 17पहलवान की ढोलक
Chapter – 18श्रम विभाजन और जाति प्रथा
वितान
Chapter – 19सिल्वर वैडिंग
Chapter – 20अतीत में दबे पांव
Chapter – 21डायरी के पन्ने
Chapter – 22जूझ

8. आशय स्पष्ट करो:

आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता हो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।

उतर: यहाँ गाँव में फैली अधंकारमय रात्रि के विषय में कहा गया है। गाँव में मलेरिया और हेजे के कारण गाँव के गाँव उजड़ रहे थे। रात्रि में लोग घरो में जाते तो चू भी नही करते। और रात्रि इतनी अधंकारमय होता कि ऐसा प्रतीत होता जैसे आकाश से प्रकाश का आना बन्द हो चुका हैं। आकाश में तारे तो चमक रहे ते परन्तु पृथ्वी पर कही प्रकाश का नाम नहीं था। आकाश से टूटकर यदि तोई भावुक तारा पृथ्वी पर अपनी रोशनी फैलना भी चाहता तो अंधकार के कारण उसकी ज्योंति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। और उसकी भावुकता और सफलता पर अन्य तारे खिलखिलाकर हंस पड़ते थे।

9. पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः एक स्थान पर वर्णन किया गया है, कि गाँव में फैले अंधकार को देखकर कोई भावुक तारा पृथ्वी पर अपनी रोशनी फैलाना चाहती थी, पर अधंकरा इस तरह से विराजमान थी कि उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। और मानो अन्य तारे उसकी असफलता तथा बाभावुकता पर खिल्ली उड़ाते थे।

अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी – यहाँ मानवीकरण अंलकार का प्रयोग किया हैं। रात्रि मनुष्य की भाँति आँसू बहा रही है।

पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य। अँधेरा और निस्तब्धता।” – यहाँ अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित सम्राज्य स्थापित करने की बात कही गयी हैं। अतः यहाँ मानवीकरण अंलकार हैं।

9. ‘पहलवान की ढोलक’ के लेखक कौन हैं?

उत्तरः फणीश्वर नाथ रेणु।

10. रेणु जी को आंचलिक उपन्यासकार क्यों कहा जाता हैं?

उत्तर: स्वातंन्त्योतर भारत में जब सारा विकास शहर केन्द्रित होता जा रहा था। ऐसे में रेणु ने अपनी रचनाओं से अंचल की समस्याओं की और लोगों का ध्यान खीचां। 

11. रेणु जी के किसी दो उपन्यासों का नाम लिखिए।

उत्तरः मैला आंचल, परती परकथा।

12. रेणुजी की मृत्यु कब हुई?

उत्तरः रेणुजी की मृत्यु ११ अप्रेल सन् १९७७ में पटना में हुआ। 

13. गाँव में कौन सी बिमारीयाँ फैली थी?

उत्तर: हैजा और मलेरिया।

14. पहलवान की ढोलक की क्या काम करती थी?

उत्तर: लोगों में संजीवनी शक्ति भरने का काम करती थी।

15. लुझन पहलवान किसे अपना गुरु मानता था?

उत्तर: लुडून पहलवान ढोलक को अपना गुरु मानता था।

16. लुइन सिंह किसे दर्गल में हराया था?

उत्तरः लुट्टन सिंह ने चाँद सिंह को दर्शल में हराया था।

17. चौद सिंह को क्या टायटल मिला था?

उत्तरः चांद सिंह को ‘शेर के बच्चे’ का टायटिल मिला था।

18. काला खाँ कौन है?

उत्तरः काला खी एक पहलवान है।

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