Class 12 Hindi MIL Chapter 22 जूझ

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Class 12 Hindi MIL Chapter 22 जूझ

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जूझ

वितान

प्रश्नोत्तर:

1. ‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथा नायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?

उत्तर: ‘जूझ’ शीर्षक बिल्कुल ही सार्थक हैं। इसमें एक व्यक्ति के जीवन में, उसकी विषम परिस्थितियों में किये गये जूझ का वर्णन किया गया है। हर मनुष्य के जीवन में विषम परिस्थितियाँ आती हैं। आवश्यकता इस बात की होती हैं, कि वह डटकर, निर्भय होकर उन परिस्थितियों का सामना करें। इस कथा में इसके नायक के ‘जूझारूपन’ जो उसकी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता हैं, दर्शाया गया है। नायक ने अपने आगे आने वाली विषम परिस्थियों से जूझा। पढ़ाई के नाम पर चिढ़ने वाले पिता के सामने घूटने टेके नहीं बल्कि उनका सामना किया। अपनी माँ को दत्ताजी राव के पास ले गये और पिता को समझाने की बात कहीं क्योंकि एकमात्र दत्ताजी राव की बात ही वे नही टाल सकते थे। पिता पर दबाव डलवाने के लिए नायक और उसकी माँ एक झूठ का सहारा लेते है। और उनका यह प्रयास सफल हो जाता है। और वे नायक को पाठशाला भेजने के लिए तैयार हो जाते है। पाठशाला जाने पर पूरी कोशिश से, उसी जूझ के साथ वह पढ़ाई करता है और बहुत ही कम समय में कक्षा में गिना जाने लगा। अतः कथा के नायक में ‘जूझारुपन’ पूरी तरह से देखने को मिलता है।

2. स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ? 

उत्तर: लेखक के मन में स्वयं कविता रचने का आत्मविश्वास उनके मास्टर जी न:वाः सौंदलगेकर जी से पैदा हुआ। मास्टर जी नयी-पुरानी मराठी कविताों के साथ अंग्रेजी कविताओं को गाकर सुनाते थे। मास्टर जी का सुरीला गला, छंद की बढ़िया चाल और उनकी रसिकता लेखक को हमेशा प्रेरित करती थी। मास्टर जी स्वयं कविता भी लिखते थे। मास्टर जी अक्सर मराठी कवियों के चरित्र और उनके संस्मरण बताया करते थे। इसके कारण पहली बार लेखक ये महान कवि लोग अपनी तरह ही आदमी लगने लगे। स्वयं की तरह ये भी हांड मांस तथा क्रोध-लोभ का मनुष्य लगने लगे। जिससे लेखक के मन में यह विश्वास बढ़ने लगा कि वह भी । कविता लिख सकते है। वह भैंस चराते हुए फसलों, जगंली फूलों पर तुकबंदी करने लगे।

3. श्री सौंदलगेकर के अध्यापन की उन विशेषताओं करें रेखांकित को जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई?

उत्तर: श्री सौंदलगेकर के अध्यापन में रसिकता थी। जब भी कविता गाते थे, उसमें पूरी तह रम जाते थे। भाव विभोर होकर कविता पाठ करते थे। नयी-पुरानी मराठी कविताओं के साथ अंग्रेजी की कविता भी वे उस रसिकता के साथ पढ़ाते। मास्टर जी के अध्यापन के इस विशेषता के कारण लेखक अपनी आंखों और कानों में प्राणों की सारी शक्ति लगाकर दम रोककर मास्टर के हाव-भाव, ध्वनि, गति, चाल और रस पीते रहते।

श्री सौंदलगेकर जी का गला बहुत ही सुरीला था। मास्टर जी जब भी सुरीले अंदाज में कविता पाठ करते लेखक मंत्रमुग्ध हो जाते। लेखक जब भैंस चराते, पानी लगाते या अन्य काम करते समय भी मास्टर जी अंदाज में कविताएं पाठ करते।

सौंदलगेकर जी अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते। इसी से प्रेरित होकर लेखक अपने एकाकीपन में अभिनय के साथ कविता पाठ करते। कविता गाते-गाते थुई- थुई करके नाचते भी थे।

सैंदलगेकर जी कविता सुनाते समय उन कवियों के चरित्र और संस्मरण बताया करते। कवि यशवंत, बा.भा. बोरकर, भा.रा. तांबे, गिरीश, केशव कुमार आदि के साथ अपनी मुलाकात के संस्मरण भी सुनाते। जिससे लेखक के मन में स्वयं कविता लिखने का आत्मविश्वास बढ़ा।

4. कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?

उत्तर: कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक को अकेलापन बहुत खटकता था। अकेले ढोर चराना, पानी देना या दूसरे काम करना उन्हें खटकटा था। उन्हें किसी के साथ बोलते हुए, गपशप करते हुए, हंसी-मजाक करते हुए काम करना अच्छा लगता था। हमेशा किसी दूसरे का साथ चाहते थे। परंतु अब उन्हें अकेलापन अच्छा लगता है। वह चाहते है कि वे अकेले रहे। ताकि वह ऊंची आवाज में कविता गा सके। इतना ही अकेलेपन में कविता पाठ के समय अभिनय भी किया जा सकेगा।

5. आपके ख्याल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ताजी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दें।

उत्तर: मेरे ख्याल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ताजी राव का रवैया सही था। शिक्षा हर मनुष्य के लिए आवश्यक है। शिक्षा सही मायने में हमारा मार्गदर्शन करती है। शिक्षा मनुष्य की सोच को नया आयाम देती है। यही कारण है, कि एक शिक्षित मनुष्य और अशिक्षित मनुष्य की सोच में बड़ा अंतर होता हैं। इस पाठ में लेखक ने कहा हैं कि वह इसलिए पढ़ना चाहते थे ताकि वह आर्थिक स्थिति सुधार सके। वह पढ़ लिखकर नौकरी इसलिए करना चाहते थे ताकि उन पैसों से व्यापार कर सके। उन्हें विश्वास था अगर जन्म भर भी खेती करेंगे तो उनका उद्धार नहीं हो पायेंगा। कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य होता हैं। अतः बच्चों का शिक्षित होना नितांत आवश्यक है। इसलिए दत्ताजी राव लेखक को स्कूल भेजने की बात उसके पिता से कहते है।

6. दत्ताजी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी मां को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।

उत्तर: कभी-कभी देखा जाता है, कि किसी अच्छे काम को करवाने के लिए छोटे- मोटे झूठ का सहारा लेना पड़ता है। यहाँ लेखक और उसकी माता भी एक झूठ का सहारा लेते है। लेखक और उसकी माँ दत्ताजी राव से अनुरोध करते है, कि वह यह न बताये कि उन्होंने ही लेखक के पिता से लेखक की पढ़ाई के संबंध में बात करने के लिए कहा है। क्योंकि अगर यह सच लेखक के पिता के सामने आ गया तो वह अपनी पत्नी और बेटे से मार-पीट करते।और कभी स्कूल भेजने के लिए राजी नहीं होते। इससे कहानी के घटनाक्रम प्रभावित होती। यदि झूठ का सहारा न लिया गया होता तो घटनाक्रम का विकास भी नहीं होता।

S.L No.CONTENTS
आरोह: काव्य खंड
Chapter – 1दिन जल्दी-जल्दी ढलता है
Chapter – 2कविता के बहाने
Chapter – 3कैमरे में बंद अपाहिज
Chapter – 4सहर्ष स्वीकारा है
Chapter – 5उषा
Chapter – 6कवितावली (उत्तर कांड से)
Chapter – 7रुबाईयाँ
Chapter – 8छोटा मेरा खेत
Chapter – 9बादल – राग
Chapter – 10पतंग
आरोह: गद्य खंड
Chapter – 11बाजार दर्शन
Chapter – 12काले मेघा पानी दे
Chapter – 13चार्ली चैप्लिन यानी हम सब
Chapter – 14नमक
Chapter – 15शिरीष के फूल
Chapter – 16भक्तिन
Chapter – 17पहलवान की ढोलक
Chapter – 18श्रम विभाजन और जाति प्रथा
वितान
Chapter – 19सिल्वर वैडिंग
Chapter – 20अतीत में दबे पांव
Chapter – 21डायरी के पन्ने
Chapter – 22जूझ

7. ‘जूझ’ कथा के लेखक कौन हैं?

उत्तर: इसके लेखक हैं आनन्द यादव।

8. आनन्द यादव का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: आनन्दं रंजन यादव।

9. आनन्द यादव का जन्म कब और कहां हुआ?

उत्तर: इनका जन्म सन 1935 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ।

10. ‘जूझ’ कथा कहां से लिया गया हैं?

उत्तर: ‘जूझ’ उपन्यास से लिया गया हैं।

11. ‘जूझ’ उपन्यास को कौन सा पुरस्कार मिला था?

उत्तर: ‘जूझ’ उपन्यास को सन 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।

12. लेखक और उनकी मां दत्ता जी राव से मिलने क्यों जाते हैं?

उत्तर: दोनों इसलिए दत्ताजी राव से मिलने जाते है, ताकि वे लेखक के पाठशाला जाने की अनुमति दिला सकें।

13. लेखक के पिता उनके पाठशाला जाने के खिलाफ क्यों थे?

उत्तर: क्योंकि लेखक के पिता शिक्षा को जरूरी नहीं समझते थे।

14. पाठशाला जाने के बाद लेखक को कक्षा के दूसरे बच्चे क्यों चिढ़ाने लगे? 

उत्तर: लेखक पाठशाला गमछा पहनकर जाते थे, अतः दूसरे बच्चे उन्हें चिढ़ाने लगे। 

15. लेखक को अपना स्कूल पराया क्यों लगने लगा?

उत्तर: लेखक के सारे सहपाठी उतीर्ण होकर आगे बढ़ गये। साथ ही कक्षा के बच्चे बहुत ही तंग किया करते थे।

16. लेखक के कक्षा अध्यापक का नाम क्या था? 

उत्तर: लेखक के कक्षा अध्यापक का नाम मंत्री था। 

17. बसंत पाटील कौन है?

उत्तर: लेखक का सहपाठी है।

18. न. वाः सौदलगेकर कौन है?

उत्तर: नः वाः सौंदलगेकर लेखक के मास्टर हैं, जो मराठी पढ़ाते हैं।

19. कविता के प्रति रुचि लेखक को कैसे हुई?

उत्तर: नः वाः सौंदलगेकर जी बहुत ही रसिकता के साथ कविता पढ़ाते थे, जिससे लेखक में कविता के प्रति रुचि बढ़ने लगी।

20. स्वयं कविता रचने की प्रेरणा कहां से मिली?

उत्तर: लेखक को कविता लिखने की प्रेरणा उनके मास्टर जी से मिली।

21. ‘जूझ’ कथा के अनुवादक कौन है?

उत्तर: केशव प्रथम वीर ने अनुवाद किया है।

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