SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 6 ऐ मेरे वतन के लोगो

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SEBA Class 10 Hindi MIL Chapter 6 ऐ मेरे वतन के लोगो

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ऐ मेरे वतन के लोगो

अम्यास-माला

काव्य खंड

बोध एवं विचार

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) हम किन अवसरों पर तिरंगा ध्वज फहराते हैं?

उत्तर: हम गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस, पर झंडा फहराते हैं।

(ख) ‘तुम खूब लगा लो नारा’ के द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?

उत्तरः कवि भारतवासियों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि मेरे वतन के सभी लोगों तुम सब आज नारा लगाओ क्योंकि आज तिरंगा फहराने का शुभ दिन है।

(ग) कवि ने शहीदों को याद करने की सलाह क्यों दी है?

उत्तरः कवि ने शहीदों को याद करने के लिए कहा है, क्योंकि वतन पर बहुत से वीर शहीद हुए उन्होंने अपनी जान भारत माता की आन बचाने के लिए न्यौछावर कर दी और अपने पीछे अपने परिवार को छोड़ गए तथा हँसते-हँसते देश के लिए कुर्बान हो गए।

(घ) विगत युद्धों में हमारे वीर सैनिकों ने दुश्मनों का सामना किस प्रकार किया?

उत्तरः विगत युद्धों में हमारे वीर सैनिकों ने बड़ी वीरता से दुश्मनों का सामना किया।

(ङ) ‘जब देश में थी दिवाली, वो खेल रहे थे होली’ – हमारे सैनिक किस प्रकार की होली खेल रहे थे?

उत्तरः जब देश में थी दिवाली, वो खेल रहे थे होली इस पंक्ति का अर्थ है कि जब देश में दिवाली मनाई जा रही थी. उस समय वे दुश्मनों के साथ खून की होली खेल रहे थे अर्थात हर तरफ खून बिखरा हुआ था।

(च) प्रस्तुत गीत की रचना किस युद्ध के समय हुई थी?

उत्तरः प्रस्तुत गीत की रचना भारत-चीन युद्ध के समय हुई थी।

(छ) इस गीत में राष्ट्रीय एकता और अखंडता का कौन-सा संदेश निहित है?

उत्तरः युद्धभूमि में कोई गोरखा था, कोई मराठी, कोई सिख था। हर किसी का रंग-रूप अलग प्रथा पर युद्धभूमि वे सब एक-जुट होकर भारतवासी की तरह लड़ रहे थे तथा एक साथ मिलकर दुश्मनों से लोहा लिया। हमें उन वीरों की कुर्बानी का हमेशा याद रखना चाहिए।

(ज) प्रस्तुत गीत के आधार पर भारतीय सैनिकों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तरः इस गीत में कवि ने बताया है कि भारतीय सैनिक एकजुट होकर लड़े तथा उस समय एक-एक हिंदुस्तानी ने, दस-दस सैनिकों को मारा। वे खून में लथपथ थे पर फिर भी लड़ रहे थे। वे अपने जीवन के आखिरी दम तक लड़ते रहे और देश के लिए कुर्बान हो गए।

2. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पड़ी आजादी।

जब तक थी साँस लड़े वो, फिर अपनी लाश बिछा दी।।

उत्तरः इस पंक्ति से कवि का आशय यह है कि जब भारत-चीन युद्ध शुरू हुआ तब हमारे देश पर फिर से गुलामी के काले बादल मंडराने लगे। उस समय हमारे देश के सैनिकों ने हिमालय पर कड़कती ठंडे पर भी अपने जीवन की आखिरी साँस तक लड़ते रहे तथा उसके बाद लाश बन कर धरती माँ की गोद में सो गए।

(ख) जब अंत समय आया तो, कह गए कि अब मरते हैं।

खुश रहना देश के प्यारो. अब हम तो सफर करते हैं।।

उत्तरः इन पंक्तियों से कवि का आशय है कि जब सैनिकों का अंतिम समय आया तो वे कहते हैं हे मेरे देश के वासियों। तुम सब खुश रहना और देश को माला की तरह एक धागे में पिरोए रहना, क्योंकि ये अब हमारी बिदाई का समय है और अब हम भारतमाता की गोद में विलीन हो रहे हैं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर दीजिए:

(क) पठित गीत का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा है और क्यों? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तरः पठित गीत के चतुर्थ भाग हमको पसंद है। इसमें उल्लेख किया गया है कि देश के लिए शत्रुओं के साथ लोहा लेने वाले जवान सिर्फ भारतीय थे। तब न कोई शिख, न कोई पंजाबी, न कोई गोरखा, मद्रासी थे। तब वे सिर्फ और सिर्फ भारतीय थे। जिसने युद्धभूमि में हमारे बीर सैनिकों ने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए थे। युद्ध में लड़ते समय जो खून धरती पर गिरे थे वे सिर्फ एक भारतीय के खून के लपते थे। तब सभी अपने जात-पात भूलकर देश की सेवा में ब्रती थे। ऐसे वीर जवानों की हमें सदैव याद रखना चाहिए। उन्हें हमेशा याद कर उनके गुनगान करनी चाहिए।

(ख) प्रस्तुत गीत का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तरः ऐ मेरे वतन के लोगों एक हिन्दी देशभक्ति गीत है जिसे कवि प्रदीप ने लिखा था। ये गीत १९६२ के चीनी आक्रमण के समय मारे गए भारतीय सैनिकों को समर्पित था। यह गीत तब मशहूर हुआ था। जब लता मंगेशकर ने इसे नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर रामलीला मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की उपस्थिति में गाया था। देश के विभिन्न भागों के सैनिकों ने एक साथ मिलकर दुश्मनों से लोहा लिया था। उन्हें रंग रूप का या खून को लेकर कोई भेदभाव न था। हमें उन वीर जवान शहीदों की कुर्बानी को हमेशा याद रखना चाहिए। उनके शौर्य-गीतों को गुनगुनाते रहना चाहिए।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद-युग्म
Chapter – 2वन – मार्ग में
Chapter – 3किरणों का खेल
Chapter – 4तोड़ती पत्थर
Chapter – 5यह दंतुरित मुसकान
Chapter – 6ऐ मेरे वतन के लोगो
Chapter – 7लोहे का स्वाद
गद्य खंड
Chapter – 8आत्म निर्भरता
Chapter – 9नमक का दारोगा
Chapter – 10अफसर
Chapter – 11न्याय
Chapter – 12वन-भ्रमण
Chapter – 13तीर्थ-यात्रा
Chapter – 14इंटरनेट की खट्टे-मीठे अनुभव
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16कदम मिलाकर चलना होगा
गद्य खंड
Chapter – 17अमीर खुसरु की भारत भक्ति
Chapter – 18अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

भाषा एवं व्याकरण

1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए:

वतन, कुर्बानी, सरहद, पर्वत, आजादी, काया, कहानी, सफर, लाश, जवान

उत्तरः वतन: देश, स्वराज्य।

कुर्बानी: बलिदान, न्यौछावर।

सरहद: सीमा, परिधि।

पर्वत: पहाड़, गिरि।

आजादी: स्वतंत्रता, मुक्ति।

काया: देह, शरीर।

कहानी: वर्णन, पठन।

सफर: यात्रा, दौरा।

लाश: मृतक, शव।

जवान: नौजवान, युवा।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

(क) हमें किसकी कुर्बानी याद रखनी चाहिए?

उत्तरः हमें शहीदों की कुर्बानी याद रखनी चाहिए।

(ख) सरहद पर मरने वाला कवि के अनुसार कौन थे?

उत्तरः सरहद पर हर वीर कवि के अनुसार भारतवासी थे।

(ग) ऐ मेरे वतन के लोगों शीर्षक गीत किसको अर्पित है?

उत्तरः ऐ मेरे वतन के लोगों शीर्षक गीत अमर वीर जवानों के प्रति अर्पित है।

(घ) इस गीत के लिए संत ज्ञानेश्वर पुरस्कार किसे मिले थे?

उत्तरः प्रदीप जी को मिले थे।

(ङ) प्रदीप जी को 1961 में कौन से पुरस्कार मिले थे?

उत्तरः संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिले थे।

(च) प्रदीप जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तरः प्रदीप जी का जन्म 6 फरवरी 1915 के मध्य प्रदेश में हुआ था।

(छ) प्रदीप जी का प्रकृत नाम क्या था?

उत्तरः रामचंद्र द्विवेदी।

(ज) प्रदीप जी ने कहा से और कब स्नातक उपाधि प्राप्त की थी?

उत्तरः सन 1939 में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की थी।

2. ऐ मेरे वतन के लोगों गीत का सारंश लिखो।

उत्तरः ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ – शीर्षक गीत एक देशभक्ति का गाना है। इसमें देश के युद्ध में शहीद हुए वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया है। हमारे देश के सैनिक सरहद पर देश की सेवा करते है, दुश्मनों को देश को बचाते है। चीन की लड़ाई में भी हमारे वीर सैनिकों ने खुब युद्ध किया, जिसमें लाशों का देर जमा। लेकिन उसमें कोई न डरा न सहमा। जिस समय पुरा देश दिवाली मना रहा था तभी वे भी खून की होली खेल रहे थे, जब हम लोग घर पर आराम से बैठे हुए थे तब वे खा रहे थे गोली। उनकी जवानी धन्य, वे जवान धन्य जिन्होंने अपनी जान बलिदान दी। तब कोई सिख कोई मराठा, कोई मद्रासी या गोरखा नहीं था। सरहद पर मरनेवाले सभी भारतवासी थे। उन्हें याद करने को कहा गया है। देह खून से लथपथ होते हुए भी एक ने ही दस-दस को मार गिराया फिर बोले अब हमें भी चलना है खुश रहना मेरे प्यारे देशवासी ऐसे वीरों को शतः शतः नमन। ऐसे महान वीरों को हमें कभी भी भूलना नहीं चाहिए। उनके वीरगाठाएँ हमें सदा स्मरण रहेंगीं। जय हिन्द।

3. सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

(क) जब घायल हुआ हिमालय ………………… बिछा दी।

उत्तरः प्रसंग: उक्त पंक्ति प्रदीप जी द्वारा रचित ऐ मेरे वतन के लोगों नामक गीत से लिया गया है।

व्याख्या: चीन ने जब आक्रमण किया तब हिमालय खतरे में पड़ गई तब हमारे देश के वीर जवानों ने इसकी आजादी के लिए युद्ध की। जब तक साँस थी तब तक लड़ते रहे। दुश्मनों के छक्के छुडाए। सभी ने एक साथ मिलके दुश्मनों से लोहा लिया फिर अपनी आखरी साँस ली। उनके ये कुर्बानी सदैब स्मरणीय है। धरती माँ की सेवा करते करते धरती माँ की गोद में वे लीन हो गए। हमें उनके वीर गाँठा का गुन-गान करना ही चाहिए।

(ख) जब देश ………………. जवानी।

उत्तरः प्रसंग: उक्त पंक्ति प्रदीप जी द्वारा रचित ऐ मेरे वतन के लोगों नामक गीत से लिया गया है।

व्याख्या: जिस समय हमारा पूरा देश दिवाली मना रहे थे उस समय सरहद पर हमारे देश के जवान अपने खून से होली खेल रहे थे। देश के लिए अपना जीवन बलिदान देने वाले हे वीर पुरुष तुम धन्य हो। धन्य है तुम्हारा जवानी जिसने अकाल मृत्यु को प्राप्त की जिसने पूरी-जिन्दगी का त्याग कर दिया। आज हम इनके बदोलत ही घर पर आराम से बैठे हुए है।

(ग) यी खून की ………………. मरने हैं।

उत्तरः प्रसंग: उक्त पंक्ति प्रदीप जी द्वारा रचित ऐ मेरे वतन के लोगों नामक गीत से लिया गया है।

व्याख्या: युद्ध में आहट होकर उनके शरीर खून से लथपथ थे फिर भी बंदूक उठाके रखा था। एक ने ही दस-दस को मारा फिर बोहोश होकर गिर गए। अंत समय आने का भाव होने पर वाले इस बार मरते हैं। मेरे देश के प्यारे निवासी खुश रहना । अपनी जिन्दगी का बलिदान कर दुसरों को जीवन दे जाने वाले ऐसे वीर महारथीयों पर हमें गर्व होना चाहिए। उनकी कुर्बानी हमें सदैब स्मरण रखनी चाहिए।

4. इस गीत के लिए प्रसाद जी को कैसी सफलता मिली?

उत्तरः 1962 के भारत चीन युद्ध के दौरान रचित प्रस्तुत गीत ने सफलता की सभी हदें पार कर दीं। इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की आखों में आँसू आ गए थे। उक्त गीत के लिए भारत सरकार ने प्रदीप को ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि से विभूषित किया। सन 1961 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1993 में नेशनल इंटीग्रेशन अवार्ड, 1998 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड, इम्पा अवार्ड, महान कलाकार का पुरस्कार, राजीव गांधी अवार्ड तथा संत ज्ञानेश्वर जैसे अनेक पुरस्कार भी इन्हें प्रदान किए गए।

5. क्या लोग थे वे दिवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी इसका आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हारे देश के वीर जवान दयालु थे। देशभक्ति की जझवा उनमें इतनी भरी हुई थी की देश के लिए अपना प्राण बलिदान देते हुए भी न कटराए। हँसी खुशी अपनी जीवन, यौवन देशभक्ति को अर्पित किया। देश के लिए उनमें एक अलग सा दिवानापन था। उनके यहीं दिवानेपन पर हम लोग अभिमानी है। उनके कुर्बानी सदैव याद रखें जाएँगे।

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