SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत

Join Roy Library Telegram Groups

Hello Viewers Today’s We are going to Share With You, Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत Question Answer in English Medium. SEBA Class 9 Ambar Bhag 1 Textbook Solutions, SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत Solutions Which you can Download PDF Notes SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत Notes for free using direct Download Link Given Below in This Post.

SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत

Today’s We have Shared in This Post, Ambar Bhag 1 Class 9 Textbook Solutions for SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत Solutions for Free with you. SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 15 बरगीत Textbook Notes PDF I Hope, you Liked The information About The Ambar Bhag 1 Class 9 Textbook Question Answer. if you liked Ambar Bhag 1 Class 9 PDF Notes in English Medium Then Please Do Share this Post With your Friends as Well.

बरगीत

पद्य खंड

अभ्यास -माला

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिएः

(क) माँ यशोदा ने शिशु कृष्ण को खाने के लिए क्या दिया था?

(i) नवनीत।

(ii) दही।

(iii) दूध।

(iv) चीनी।

उत्तरः (iii) दूध।

(ख) शिशु कृष्ण किस समय खेल रहे थे?

(i) शाम।

(ii) रात्रि।

(iii) सुबह।

(iv) दोपहर।

उत्तरः (iii) सुबह।

(ग) माँ यशोदा की आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?

(i) क्योंकि कृष्ण को चोट लगी थी।

(ii) क्योंकि बुलाने पर थी कृष्ण नहीं आ रहे थे।

(iii) क्योंकि कृष्ण अपनी माता यशोदा की बात नहीं मानते थे।

(iv) क्योंकि कृष्ण भूख के मारे दुखी थे।

उत्तरः (iv) क्योंकि कृष्ण भूख के मारे दुखी थे।

(घ) पठित बरगीत में कवि ने किस रस का वर्जन किया है?

(i) वात्सल्य।

(ii) वीर।

(iii) करुण।

(iv) शृंगार।

उत्तरः (i) वात्सल्य।

(ङ) मेरा बाप बुलि क्षीर पियावत- इस पंक्ति में प्रयुक्त बाप शब्द का अर्थ है –

(i) पिता।

(ii) पुत्र।

(iii) भाई।

(iv) माता।

उत्तरः (ii) पुत्र।

2. एक वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) यशोदा कौन हैं?

उत्तरः यशोदा श्रीकृष्ण की माँ हैं।

(ख) भूख किसे लगी है?

उत्तरः भूख श्रीकृष्ण को लगी है।

(ग) दोनों हाथ फैलाते हुए अपनी गोद में कृष्ण को किसने बिठाया?

उत्तरः दोनों हाथ फैलाते हुए अपनी गोद में कष्ण ने यशोदा को बिठाया।

(घ) मनुष्य का रूप किसने धारण किया है?

उत्तरः मनुष्य का रूप श्रीकृष्ण ने धारण किया है।

(ङ) माधवदेव किसका गुणगान करते है?

उत्तरः माधवदेव श्रीकृष्ण का गुणगान करते हैं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) शिशु कृष्ण ने माता का दिया हुआ नवनीत क्यों नहीं खाया था?

उत्तरः शिशु कृष्ण ने माता का दिया हुआ नवनीत इसलि नहीं खाया था, क्योंकि वह रुखा-सूखा था।

(ख) श्रीकृष्ण ने माता यशोदा को अपना पेट क्यों दिखाया?

उत्तरः श्रीकृष्ण ने माता यशोदा को अपना पेट इसलिए दिखाया, क्योंकि वह भूखे थे और माँ ने उन्हें खाने के लिए नहीं बुलाया था।

(ग) यशोदा को आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?

उत्तरः अपने पुत्र का दुख देखकर माता यशोदा की आँखों से आँसू बहने लगे।

(घ) बालक कृष्ण को भूखा देख माता यशोदा ने क्या किया?

उत्तरः बालक कृष्ण को भूखा देख माता यशोदा ने उसे दूध पिलाया।

(ङ) माधवदेव ने क्यों कहा है कि हरि मनुष्य का रूप धारण कर लीला कर रहे हैं? अपना विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तरः माधवदेव कहते है कि ईश्वर आत्मलीन आनंद (सुख) से परिपूर्ण है, वे मनुष्य के रूप में अवतीर्ण होकर मातृ-स्तनपान कर तृप्त होने का मानवी भाव प्रकट करने के लिए मानवीय रूप धारण कर वे लीला कर रहे हैं।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद
Chapter – 2भजन
Chapter – 3ब्रज की संध्या
Chapter – 4पथ की पहचान
Chapter – 5शक्ति और क्षमा
Chapter – 6गांधीजी के जन्मदिन
Chapter – 7ओ गंगा बहती हो क्यों
गद्य खंड
Chapter – 8पंच परमेश्वर
Chapter – 9खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक
Chapter – 10गिल्लू
Chapter – 11दुख
Chapter – 12जीवन-संग्राम
Chapter – 13अंधविश्वास की छोटें
Chapter – 14पर्वी का देश भारत
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16मुक्ति की आकांक्षा
गद्य खंड
Chapter – 17वे भूले नहीं जा सकते
Chapter – 18पिंपलांत्रीः एक आदर्श गाँव

(च) बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से क्या शिकायत की?

उत्तरः बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से यह शिकायत की वह सुबह से खेल रहे हैं व भूख से व्याकुल हैं तब भी माँ ने उन्हें खाने के लिए नहीं बुलाया।

(छ) बालक कृष्ण एवं माता यशोदा के वात्सल्य पम को माधवदेव ने किस प्रकार दर्शाया है? वर्णन कीजिए।

उत्तरः माधवदेव ने वात्सल्य के राजा सूरदास की तरह ही अपने राग-माहुर में श्रीकृष्ण एवं माता यशोदा के वात्सल्य प्रेम को बड़े ही मनोरम धंग से प्रस्तुत किया है। जिसमें बालक श्रीकृष्ण माँ यशोदा से कह रहे है कि वह सुबह से खेल रहे हैं, उन्होंने कुछ खाया भी नहीं नहीं। माँ ने उन्हें बुलाया भी नहीं इसलिए उनको जोरो की भूख लगी है। कृष्ण जब खाली पेट पर हाथ रखकर माँ यशोदा से शिकायत करते है, तब कृष्ण की बात सुनते ही माँ यशोदा की आँखें भर आती है और आँसूओं की धारा बहने लगती है और तुरंत अपने पुत्र को गले लगाकर गोद में लेकर स्तनपान कराने लगती हैं।

(ज) बालक कृष्ण को माता यशोदा की गोद में आकर क्यों संतुष्टि मिली?

उत्तरः बालक और माता का प्रेम अनन्य होता है। बालक सुख में हो या किसी दुख में उसे माता की गोद में आकर ही आनन्द की अनुभूति प्राप्त होती है। बालक कृष्ण भूख से व्याकुल थे और वे जब यशोदा के गोद में जाकर स्तन पान किये तब उन्हें संतुष्टि मिली।

(झ) ‘तुमहि हामाकु नाहि डाकल माइ’ – यह कथन किसने किससे और क्यों कहा? लिखिए।

उत्तरः यह कथन श्रीकृष्ण ने माता यशोदा से कहा था, क्योंकि जब वह खेल रहे थे तब माँ ने उन्हें खाने के लिए नहीं बुलाया था।

(ञ) शिशु कृष्ण धूल-धुसरित क्यों हुए थे?

उत्तरः शिशु कृष्ण धूल-धुसरित इसलिए हुए थे, क्योंकि वह बाहर खेल रहे थे।

4. सोचकर बताइए:

(क) बाल्यावस्था में अक्सर बालक अपनी माँ का दूध पीना चाहता है। अन्य चीजें खाने के लिए दिए जाने पर वह बहाने बनाने लगता है? ऐसा क्यों होता है?

उत्तर: बाल्यावस्था में बच्चे अपने माँ पर ही निर्भर रहते हैं, उन्हें खेलने के सिवाय खाना-पिना नहीं सूझता, वे अबोध होते हैं। इस कारण ही बच्चे अपने माँ के दूध को छोड़ अन्य चीजें खाने के लिए दिए जाने पर वह बहाने बनाने लगता हैं।

(ख) पुत्र और माता के बीच अनन्य प्रेम होता है। आपको अपनी माता कैसी लगती है और आपका लगाव उनसे सर्वाधिक क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तरः पुत्र और माता के बीच अनन्य प्रेम होता है। मुझे मेरी माता बहुत अच्छी लगती है और उनसे मेरा लगाव बहुत हैं। ‘माँ’ इस शब्द से ही हमारे जीवन की शुरुआत होती है। माँ के बिना हम इस जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते। जैसे वृक्ष, खुद धूप झेलकर औरों की छाया देते हैं वैसे ही माँ दुख झेलकर हमें ममता की छाँव में रखती हैं।

मेरी माँ बहुत ही प्यारी और दयालु है। मेरी प्रति उनकी प्यार की कोई सीमा ही नहीं है अगर मुझसे कभी कोई गलती हो जाए तो वह मुझे प्यार से समझाती हैं।

वह हमारे परिवार का पूरा ख्याल रखती है। वह सुबह जल्दी उठती है, भगवान की पूजा करती है, खाना पकाती है और विभिन्न प्रकार के कामों में व्यस्त रहती है। दिनभर काम करते हुए भी वह कभी भक्ति नहीं हैं। बचपन में ही उन्होंने हाथ पकड़कर चलना सिखाया और आज भी वह मुझे सही मार्ग पर चलने की सीख देती हैं।

भाषा एवं व्याकारण:

1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-

श्याम, वाणी, नयन, सुख, दीन, शरीर, मनुष्य, हरि

उत्तरः श्यामः कृष्ण, माधव।

वाणीः गिरा, रसज्ञा।

नयनः नेत्र, चक्षु।

सुखः आमाद, प्रसन्नता।

दीनः दरिद्र, निर्धन।

शरीरः देह, तनु।

मनुष्यः आदमी, नर।

हरिः विष्णु, पीताम्बर।

2. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द लिखिए—

जिसे भूख लगी हो। जिसे प्यास लगी हो। जिसका उदर लंबा हो। जो बोलने में पटु हो। जिसके हृदय में दया हो। जिसका कोई शत्रु न हो। जो ईशवर पर विश्वास करें।

उत्तरः जिसे भूख लगी होः भूखा।

जिसे प्यास लगी होः प्यासा।

जिसका उदर लंबा होः लम्बोदर।

जो बोलने में पटु होः वाचल।

जिसके हृदय में दया होः दयावान।

जिसका कोई शत्रु न होः अजातशत्रु।

जो ईश्वर पर विश्वास करेंः आस्तिक।

योगतया-विस्तार:

1. सूरदास और माधवदेव दोनों की रचनाओं में वात्सल्य प्रेम दिखाई पड़ता है। आप इनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए। (शिक्षक की मदद से)

उत्तरः सूरदास का वात्सल्य प्रेम: सूरदास एक ऐसे भक्तसंत है, जिन्होंने श्रीमदभागवत महापुराण के आधार पर अपने सूरसागर के पदों की रचना की। श्रीमद्भागवत में वर्णित श्रीकृष्ण की लीलाओं को उन्होंने काव्यमय विस्तार दिया। श्रीकृष्ण की बाललीलाओं के चित्रण में उनकी मति में व्यापक विस्तार और निरवार आया। उनके विविधता भरे पदों में वात्सल्य-वर्णन के कारण विद्वानों ने वात्सल्यरस की पूर्ण प्रतिष्ठा का श्रेय संत सूरदास जी को ही दिया है।

सूरदास जी उच्च कोटि के संत होने के साथ-साथ उच्च कोटि के कवि भी थे। इन्होंने वात्सल्य और श्रंगार रस प्रवाहिनी ऐसी विस्तृत और गंभीरता भरा भावाभिव्यक्ति की है कि इन्हें वात्सल्य और शृंगार रस का सम्राट कहा जाता है।

सूरदास जी अन्धे थे, परन्तु इन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त थी। ये भगवान के कीर्तनकार थे। जैसा भगवान का स्वरूप होता था, वे अपनी बंद आँखों से वैसा ही वर्णन कर देते थें।

माधवदेव का वात्सल्य प्रेम: माधवदेव के बरगीतों में श्रीकृष्ण के वात्सल्य वर्णन को देख सकते हैं। श्रीकृष्ण की विविध लीलाएँ जो सदेव भक्तों को आनन्दित और अहुलादित करते आ रहे हैं उसका एक मात्र का कवियों का अथक प्रयास ही है। माधवेदव को असमीया साहित्य के वात्सल्य रस कवि के रूप में जाना जाता है।

कवि ने कृष्ण की बाल कृत्यों जैसे वृंदावन के कालिन्दी के किनारे गौ चुराना, बाँसुरी बजाना और नाना प्रकार आनन्द की अनुभूति करना आदि का चित्रण किया है।

बरगीत में बाल गोपाल का रूप वर्णन अति मनमोहक बन पड़ा है। उसका रूप और सौन्दर्य गोकुल वासियों को हमेशा आकर्षित किए रहता हैं।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:

1. असमीया भक्ति-साहित्य की श्रीवृद्धि में श्रीमंत शंकरदेव के योगदान के पश्चात अन्य किसका स्थान हैं?

उत्तरः असमीया भक्ति-साहित्य की श्रीवृद्धि में श्रीमंत शंकरदेव के योगदान के पश्चात ही श्रीमाधवदेव का स्थान हैं।

2. शंकरदेव के प्रियतम शिष्य कौन थे?

उत्तरः शंकरदेव के प्रियतम शिष्य माधव बांधव थे।

3. माधवदेव का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तरः मधवदेव का जन्म सन १४८९ में असम के लखीमपुर जिले के नारायणपुर के निकट लेटेकुपुखुरी नामक गाँव में हुआ था।

4. माधवदेव के माता-पिता का क्या नाम था?

उत्तरः माधवदेव के पिता का नाम गोबिन्द गिरि भूयाँ तथा माता का नाम मनोरमा था।

5. माधवदेव किस धर्म के प्रचारक थे?

उत्तरः मधवदेव नव वौष्णव धर्म के अन्यतम प्रचारक थे।

6. माधवदेव ने किन-किन स्थानों में जाकर धर्म का प्रचार किया था?

उत्तरः माधवदेव ने बारादि, गणककुछि, सुंदरीदिया, भेलाडांगा आदि स्थानों में जाकर धर्म का प्रचार किया था।

7. माधवदेव के सर्वाधिक चर्चित ग्रंथ क्या हैं?

उत्तरः माधवदेव के सर्वाधिक चर्चित ग्रंथ नामघोषा हैं।

8. श्रीमंत शंकरदेव से मिलने से पहले माधवदेव किस पंथी के थे?

उत्तरः श्रीमंत शंकरदेव से मिलने से पहले माधवदेव शाक्त पंथी के थे।

9. शंकर माधव के मिलन को असमीया समाज में क्या कहा जाता हैं?

उत्तरः शंकर माधव के मिलन को असमीया समाज में मणिकांचन संयोग कहा जाता हैं।

10. माधवदेव की प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तरः माधवदेव की प्रमुख रचनाएं:

आष्यानमुलकः राजसूय काव्य, आदिकांड रामायण।

तत्वमूलकः जन्मरहस्य, भक्ति रत्नावली, नाममालिका।

नाटक: अर्जुन-भंजन या दधि-मथन।

झुमुरा: चोरधरा आरु पिम्परा-गुचोवा, भूमि-लेरोवा, भोजन-बिहार।

11. महापुरुष शंकरदेव की भांति उच्चकोटि के कवि, गायक, अभिनेता, दार्शनिक, अध्यात्म के महान पंडित कौन थे?

उत्तरः महापुरुष शंकरदेव की भाँति उच्चकोटि के कवि, गायक, अभिनेता, दार्शनिक, अध्यात्म के महान पंडित माधवदेव थें।

12. माधवदेव का निधन कब हुआ था?

उत्तरः माधवदेव का निधन सन 1596 में लगभग 107 वर्ष की आयु में भेलासत्र, कोचविहार में हुआ था।

भावार्थ:

1. मेरो माइ _______________ सोहि रुखारी।

उत्तरः भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियाँ माधवदेव द्बारा रचित ‘बरगीत’ से ली गी हैं। इस बरगीत में बालक श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से कह रहे हैं कि -ओ मेरी माँ। आज हमें बड़ी भुख लग रही है। आपने जो कुछ भी मुझे खाने को दिया था, मैने उसे नहीं खाया, वह बहुत रूखा-सूखा हैं, जोकि हमसे खाया नहीं जा रहा।

2. हामु बिहानत खेरि __________________ नयने झुरावत पानी।

उत्तरः भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियाँ माधवदेव द्बारा रचित ‘बरगीत’ से ली गई हैं। इस बरगीत में बालक श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से कह रहे हैं कि वह सुबह से खेल रहे हैं, उन्होंने कुछ खाया भी नहीं हैं। माँ ने उन्हें कुछ खाने के लिए भी नहीं बुलाया इसलिए उन्हें बहुत जोरों की भूख लगी हैं। बालक श्रीकृष्ण ने अपने खाली पेट पर हाथ रखकर माँ के पास जाकर जब इस प्रकार शिकायत की, तब अपने बेटे का दुख देखकर माँ यशोदा की आँखों से आँसू बहने लगे।

3. पुत-पुत बुलि आँचोल ________________ दीन माधव रस गावतरि।

उत्तरः भावार्थ: प्रस्तुत पंक्तियाँ मधवदेव द्बारा रचित बरगीत से ली गई हैं। इस बरगीत में माता यशोदा बेटा-बेटा कहकर अपने आँचल से श्रीकृष्ण के शरीर से धूल साफ करने लगती है और मेरा लाल कहती हुई शिशु कृष्ण को गोद में लेकर दूध पिलाने लगती हैं। जो भगवान निजानन्द रुख से परिपूर्ण हैं, वे ही मनुष्य के रूप में अवतार होकर ऐसी लीला दिखाते हैं। वे यशोदा के स्तन से निकले दूध पीकर संतुष्ट होने का मानवी भाव प्रकट करते हैं। दीन माधव भगवान की इस लीला के रस का गुणगान करते हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Scroll to Top