SEBA Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता

Join Roy Library Telegram Groups

Hello Viewers Today’s We are going to Share With You, The Complete Syllabus of Assam SEBA Board Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता with you. Are you a Student of (Secondary Education Board of Assam). SEBA Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता Which you Can Download SEBA Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता for free using direct Download Link Given Below in This Post.

SEBA Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता

Today’s We have Shared in This Post, Class 9 Hindi Chapter 7 Question Answer for Free with you. SEBA Class 9 Hindi Chapter 7 अपराजिता I Hope, you Liked The information About The Class 9 Hindi Question Answer PDF. if you liked NCERT Solutions for Class 9 Hindi Then Please Do Share this Post With your Friends as Well.

अपराजिता

अभ्यासमाला:

बोध एंव विचार

(अ) सही विकल्प का चयन करो:

1. हम अपनी बिपत्ति के लिए हमेसा दोषी ठहराते है —–

(क) परिवार वालो को।

(ख) अपने आप को।

(ग) विधाता को।

(घ) अपने दुश्मन को।

उत्तरः (ग) विधाता को।

2. लेखिका से मुलाकात के समय ड° चन्द्रा किस संस्थान के साथ जुड़ी हुई थी।

(क) भारतीय विज्ञान संस्थान, मुंबई।

(ख) आई. आई. टी मद्रास।

(ग) आई. आई. टी. खड़गपुर।

(घ) भारतीय आयुर्वेद संस्थान, दिल्ली।

उत्तरः (ख) आई. आई. टी मद्रास।

3. अपनी शानदार कोठी में उसे पहली बार कार से उतरते देखा, तो आश्चर्य से देखती ही रह गई – लेखिका कार से उतरती ड° चन्द्रा को आश्चर्य से देखती ही रह गई क्योंकि ——-

(क) लेखिका को वह कुछ जानी – पहचानी – सी लग रही थी।

(ख) ड° चन्द्रा बहुत ही प्रसिद्ध महिला भी और लेखिका ने अखवार में उसकी तस्वीर देखी थी।

(ग) शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद ड° बिना किसी के सहारे कार से उतरकर हुईल चेयर मैं बैठी और कोठी के अन्दर चली गई।

(घ) अपने नयी पड़ोसिन के प्रति उसके मन में स्वाभाविक कौतुहल जन्मी थी।

उत्तरः (ग) शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद ड° बिना किसी के सहारे कार से उतरकर हुईल चेयर में बैठी और कोठी के अन्दर चली गई।

4. ‘मैंने इसी से एक ऐसी कार का नकशा बनाकर दिया है, जिससे मैं अपने पैरों के निर्जीव अस्तित्व को भी सजीव बना दूँगी’ – डॉ. चन्द्रा ने नई कार की नकशा बनायी थी क्योंकि ———

(क) उस समय वे कुछ नया आविष्कार करना चाहती थी जिससे उन्हें विज्ञान जगत में प्रतिस्ठा मिले।

(ख) डाँ चन्द्रा चाहती थी कि कोई उसे सामान्य-सा सहारा भी न दे और इसलिए वे ऐसी कार बनाना चाहती थी जिसे वे स्वयं चला सकती।

(ग) उन्होंने सोचा था कि उस नयी कार चलाने पर उनके पैर धीरे-धीरे ठीक हो जाएँगे।

(घ) उनकी कार माँ को चलानी पड़ती थी और वे माँ को कष्ट देना नहीं चाहती थी।

उत्तरः (ख) डाँ चन्द्रा चाहती थी कि कोई उसे सामान्य-सा सहारा भी न दे और इसलिए वे ऐसी कार बनाना चाहती थी जिसे वे स्वयं चला सकती।

5. डॉ. चन्द्रा के एलबम के अन्तिम पृष्ठ पर एक चित्र था, जिसमे —

(क) वह डाँक्टरेट की उपाधि ले रही थी।

(ख) उनकी माँ जे. सी. बंगलौर द्वारा प्रदत्त ‘वीर जननी’ पुरस्कार ग्रहण कर रही थी।

(ग) उनके परिवार के सभी सदस्य थे।

(घ) वह राष्ट्रपति से ‘गर्ल गाइड’ का पुरस्कार ले रही थी।

उत्तर: (ख) उनकी माँ जे. सी. बंगलौर द्वारा प्रदत्त ‘वीर जननी’ पुरस्कार ग्रहण कर रही थी।

(आ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

1. हमें कब अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है?

उत्तरः हमें जब कभी अचानक ही विधाता ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व से मिला देता है, जिसे देख स्वयं अपने जीवन की रिक्टटा बहुत छोती लगने लगती है।

2. डाँ. चंद्रा के अध्ययन का विषय क्या था?

उत्तर: डाँ. चंद्रा के अध्ययन का विषय माइक्रोबायोलाँजी था।

3. लेखिका से डाँ. चंद्रा ने हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में क्या पूछने का अनुरोध किया था?

उत्तर: लेखिका से डाँ. चंद्रा ने हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर में उसकी अपनी बायोडाता के आधार पर कोई फैलोशिप मिल सकेगा या नहीं यह पूछने का अनुरोध किया था।

4. डाँ. चंद्रा की स्कूली शिक्षा कहाँ तक हुई थी?

उत्तर: डाँ. चंद्रा की स्कूली शिक्षा एम. एस. सी तक हुई थी।

5. डाँ. चंद्रा ने किस संस्थान से डाँक्टरेट की उपाधि हासिल की थी?

उत्तर: डाँ. चंद्रा ने बंगलौर के प्रख्यात ‘इस्टीट्युट आँफ साइंस’ से डाँक्टरेट की उपाधि हासिल की थी।

S.L No.CONTENTS
Chapter – 1हिम्मत और जिंदगी
Chapter – 2परीक्षा
Chapter – 3बिंदु-बिंदु विचार
Chapter – 4चिड़िया की बच्ची
Chapter – 5आप भले तो जग भला
Chapter – 6चिकित्सा का चक्कर
Chapter – 7अपराजिता
Chapter – 8मणि-कांचन संयोग
Chapter – 9कृष्ण महिमा
Chapter – 10दोहा-दशक
Chapter – 11नर हो, न निराश करो मन को
Chapter – 12मुरझाया फूल
Chapter – 13गाँव से शहर की ओर
Chapter – 14साबरमती के संत
Chapter – 15चरैवेति
Chapter – 16टूटा पहिया

(इ) निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दो:

1. लेखिका ने जब डाँ. चंद्रा को पहली बार कार से उतरते देखा तो उनके मन में कैसा भाव उत्पन्न हुआ था? अपने शब्दों में लिखो। 

उत्तरः लेखिका ने जब डाँ. चंद्रा को पहली बार कार से उतरते देखा तो उसके मन आश्चर्य का भाव उतपन्न हुआ था। क्यों कि डाँ. चंद्रा ने अपनी निर्जीव निचले गड़ को दक्षता से नीचे उटार कर बैसाखियो से हुईल चेयर तक पहुँच कर कोठी के भीतर चली गई। मानो कोई मशीन बहन खट खटाती अपनी काम किए चली जा रही हो।

2. लेखिका यह क्यों चाहती है कि ‘लखनऊ का वह मेधावी युवक’ डाँ. चंद्रा संबंध में लिखी उनकी पंक्तियों को पढ़े?

उत्तरः लेखिका यह इसलिए चाहती है कि लखनऊ का वह मेधावी युवक ने एक हाथ खोने के कारण वह मानसिक संतुलन भी खो बैठा। केवल एक हाथ लोकर ही उसने हथियार डाल दिए। इधर संद्रा, जिनका निचला धड़ है निष्प्राण मांसपिंड मात्र सदा उतफुल्ल है, चेहरे पर विवाद की एक रेखा भी नहीं, बुद्धिदोष्ट आँखो में अदम्य उत्साह, प्रति दिन प्रतिक्षण भरपूर उत्कत जिजीविषा और फिर कैसी-कैसी महताकांक्षाएँ।

लेखिका उस मेधावी युवक को मानसिक संतुलन खोने बजाय डाँ. चंद्रा के संबंध में लिखि उनकी पटियों की पढ़ने की पैरणा दिये है। ताकि उस प्रेरणा से प्रेरित होकर वही कुछ कर सके।

3. ‘अभिशप्त काया’ कहकर लेखिका डाँ. चंद्रा की कौनसी विशोषता स्पष्ट करना चाहती है?

उत्तर: ‘अभिशप्त काया’ कहकर लेखिका डाँ. चंद्रा की ज्ञान की लालची आदत की और इशारा किया है। लेखिका कहा है कि डाँ. चंद्रा में ज्ञान का उत्कठ कामना के कारण कहाँ से कहाँ तक पहुँच को गई। लेकिन निर्यात का परिहास के कारण वह अपंग रही। अपनी अपंगता को लात मारकर जीवण की विषम परिस्थितियो का डट कर मुकाबला किया और ज्ञान की शिखर तक पहुँची गई। लेखिका डाँ. चंद्रा को अपंगटा को देखकर डाँ. चंद्रा की अभिशप्ट काया कहा।

4. डाँ. चंद्रा की कविता पड़कर लेखिका की आँखे क्यों भर आई?

उत्तरः डाँ. चंद्रा को कविताएँ पढ़कर लेखिका की आँखें इसलिए भर आई कि वास्तव में चंद्रा के चेहरे पर कभी उदासी दिखाई नहीं पड़ती। वह हमेशा मशीनो सटखट में चलते-रहते हैं। लेकिन जब लेखिका ने उसकी कविता पढ़ी तब उसकी कविता में उदासी का पता चला और आसे भर आई।

5. शिक्षा के क्षेत्र में डाँ. चंद्रा की उपलब्धियों उल्लेख करो।

उत्तरः डाँ. चंद्रा एक मेधावी छात्रा के रूप में हमारे सामने आती है। वह शिक्षा के हर क्षेत्र में अपना छाप छोड़ी। उन्होन प्रत्येक परीक्षा में सर्वोच्य स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होने प्राणी शास्त्र में बी. एस. सी किया, एम. एस. सी. में प्रथम स्थान प्राप्त किया और बंगलौर प्रख्यात इंस्तीत्युत आफ साइंस में अपने लिए स्पेशल सीट अर्जित की थी। उन्होंने माइक्रोबायोलोजी में डाक्टरेट उपाधि प्राप्त की थी।

6. विज्ञान के अतिरिक्त और किन-किन विषयों में डाँ. चंद्रा की रुचि बी?

उत्तर: विज्ञान के अतिरिक्ट डाँ. चंद्रा की कविता लिखना, कढाई-बुनाई, गले गाइड, भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत में रुचि थी।

7. डाँ. चंद्रा को माता कहाँ तक ‘वीर जननी पुरस्कार’ की हकदार है? – अपना बिचार स्पष्ट करो।

उत्तर: डाँ. चंद्रा की सफलता के पीछे अद्रभुत साहसी जननी सारदा सुब्रहमण्यम का काफी योगदान रहा। जिसने अपने सारे सुख त्यागकर नित्य छाया बनी पुत्री की पहिया लगी कुरची के पीछे चक्र-सी घुमती रही। उन्होंने अथक परिश्रम के बावजूद अपनी अपंग पुत्री को पढ़ा लिखाकर विश्व दरवारमें अपनी ख्याति वरकरार रखा। इसलिए चंद्रा की माता सारदा सुब्रहमण्मम वीर जननी पुरस्कार की हकदार है।

8. ‘चिकित्सा ने जो खोया है वह विज्ञान ने पाया’- यह किसने और क्यो कहा था?

उत्तरः यह कथन डाँ. चंद्रा के प्रोफेसर का है। यह इसलिए कहा था कि डाँ. चन्द्रा को डाक्टर बनने को बड़ी इच्छा थी। परीक्षा में सर्वोच्य स्थान प्राप्त करने पर भी डाँ. चंद्रा को मेडिकल में प्रवेश नहीं मिला। क्यों कि वह अपंग है। इसलिए वह सफल चिकित्सक नही बन पावेगी। चिकित्सा ने उसे खोया बाद मे चंद्रा विज्ञान की ओर अग्रसर हुआ। उन्होने प्राणी शास्त्र में एम. एस. सी किया। फिर वंगलौर के ‘इंस्टीटयत आँफ साईस’ से माईक्रोवायोलोजी में पी. एच. डी डिग्री हासिल की और विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिये।

(इ) आश्य स्पष्ट करोः

1. नियति के प्रत्येक कठोर आघात को अति मानवीय धैर्य और साहस से झेलती वह बिते भर की लड़की मुझे किसी देवोगना से कम नही लगी।

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ का आशय डाँ. चंद्रा से है। डाँ. चंद्रा की नियला घड़ सुन्न है, फिर भी बीटी फड़क रही है। लेखिका शिवानी जी डाँ. चंद्रा का वास्तविक सवरूप को देखकर आश्चार्य व्यक्त किया है। वह अपंग होने के बावजूद किसी विषय से हिम्मत न हारी। उत्कट मनोवल के कारण डाँ. चंद्रा नियति के कठोर आघात को मटि मानवीय ‘धैर्य और साहस से झेला। अपने साहस घौर्य पंरिश्रम तंथा इच्छा शंक्ति को वल पर हर क्षेत्र में सफलता हासिल करने में कामयाब हुई। निरंतर साधना पीछे लड़कर वह सबसे आगे निकाला आने में कोई नही रोक पाया। लेखिका को इस छोटी कदवाली अपंग लड़की को असीम स्पीहा, अदमनीय इच्छा शक्ति, तेज बुद्धिवाली लड़की चंद्रा को देवांगन से कम नही मानती।

2. ईश्वर सब द्बवार एक साथ बन्ध नही करता। यदि एक द्बार बंद करता भी, तो दुसरा खोल भी देता है।

उत्तरः यह लेखिका शिवाजी का कथन है। चन्द्रा की माता सारदा सुब्रहमण्यम की मन की बात जो लेखिका की मन मे गुँज रही है उस को यहाँ प्रकाश किये है। भगवान सब द्बार एक साथ बंद न करने की बात कहकर यह कहना चाहती कि चन्द्रा को भगवान ने अपंग बनायी है। लेकिन उसकी इरादे को अपंग नहीं बनायी। जिसके फल स्वरुप चंद्रा ने नियति की बाधा तोड़ कर उन्नति की शिखर तक पहुँची है। चंद्रा हर परीक्षा में सर्वोच्च अंक के साथ आगे आती है। वह स्वर्ण पदक हासिल करने मे सफल रही है। पुत्री की प्रगति में गदगद होकर माता सुब्रहंण्यम कहती ‘ईश्वर सब द्वार एक साथ वंद नही करता। यदि एक द्बार बंद करता भी है, तो दुसरा द्बार खोल भी देता है’। यदि भगवान ने अपनी बेटी को अपंग किया है, सही लेकिन ज्ञान द्बार बंध नहीं की।

We Hope the given SEBA Hindi Class 9 Solutions will help you. If you Have any Regarding, SEBA Class 9 Hindi Notes, drop a comment below and We will get back to you at the earliest.

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Scroll to Top