SEBA Class 9 Hindi Chapter 9 कृष्ण महिमा

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SEBA Class 9 Hindi Chapter 9 कृष्ण महिमा

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कृष्ण महिमा

अभ्यासमाला: 

बोध एंव विचार

1. सही विकल्प का चयन करोः

(क) रसखान कैसे कवि थे?

1. कृष्णभक्त।

2. राम भक्त।

3. सूफी।

4. संत।

उत्तरः 1. कृष्णभक्त।

(ख) कवि रसखान की प्रामाणिक रचनाओं की संख्या है-

1. तीन।

2. दो।

3. चार।

4. पाँच।

उत्तरः 3. चार।

(ग) पत्थर बनकर कवि रसखान कहाँ रहना चाहते हैं?

1. हिमालय पर्वत पर।

2. गोवर्धन पर्वत पर।

3. विंध्य पर्वत पर।

4. नीलगिरि पर।

उत्तरः 2. गोवर्धन पर्वत पर।

(घ) बालक कृष्ण के हाथ कोआ क्या लेकर भागा?

1. सुखी रोटी।

2. दाल-रोटी।

3. पावरोटी। 

4. माखन-रोटी।

उत्तरः 4. माखन-रोटी।

2. एक शब्द में उत्तर दोः

(क) रसखान ने किससे भक्ति की दीक्षा ग्रहण की थी?

उत्तरः गोस्वामी विट्टल नाथ जी से।

(ख) ‘प्रेमवाटिका’ के रचयिता कौन है?

उत्तरः रसखान जी।

(ग) रसखान की काव्य-भाषा क्या हैं?

उत्तरः साहित्यिक ब्रज भाषा है।

(घ) आराध्य कृष्णा का वेष धारण करते हुए कवि अधरों पर क्या धारण करना नहीं चहते?

उत्तरः मुरली।

(ङ) किनकी गाय चराकर कबि रसखान सब प्रकार के सुख भुलाना चाहते हैं। 

उत्तरः नंद की गाई चराकर।

3. पुर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) कवि रसखान कैसे इंसान थे?

उत्तरः कवि रसखान कोमल हृदयवाले, भावुक प्रकृति के इंसान थे।

(ख) कवि रसखान किस स्थिति में गोपियो के कृष्ण-प्रेम से अभिभुत हुए थे?

उत्तरः कवि रसखान श्रीमद्भागवत का फारसी अनुवाद पढ़ कर गोपियों के कृष्णा-प्रेम से अभिभूत हुए थे।

(ग) कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में किन छंदो का अधिक प्रयोग किया हैं?

उत्तरः कबि रसखान ने अपनी रचनाओं में दोहा, कवित्ब और सवैया छन्द्रों का अधिक प्रयोग किया है।

(घ) मनुष्य के रुप में कवि रसखान कहाँ वसना चाहते हैं?

उत्तरः मनुष्य के रुप में कबि रसखान ब्रज-गोकुल गाँव में वसना चाहते हैं।

(ङ) किन वस्तुओं पर कवि रसखान तीनों लोकों का राज्य न्योछावर करने को प्रस्तुत हैं?

उत्तरः छड़ी, कम्बल, कुबेर की नौ निधियाँ, गाय, तालाब आदि बस्तुअओं पर कवि रसखान तिनों लोकों का राज्य न्योछावर करने को प्रस्तुत है।

S.L No.CONTENTS
Chapter – 1हिम्मत और जिंदगी
Chapter – 2परीक्षा
Chapter – 3बिंदु-बिंदु विचार
Chapter – 4चिड़िया की बच्ची
Chapter – 5आप भले तो जग भला
Chapter – 6चिकित्सा का चक्कर
Chapter – 7अपराजिता
Chapter – 8मणि-कांचन संयोग
Chapter – 9कृष्ण महिमा
Chapter – 10दोहा-दशक
Chapter – 11नर हो, न निराश करो मन को
Chapter – 12मुरझाया फूल
Chapter – 13गाँव से शहर की ओर
Chapter – 14साबरमती के संत
Chapter – 15चरैवेति
Chapter – 16टूटा पहिया

4. अति संक्षिप्त उत्तर दो:

(क) कवि का नाम ‘रसखान’ किस प्रकार पूर्णत: सार्थक बन पड़ा?

उत्तरः कवि रसखान की काव्य-भाषा साहित्यिक ब्रज है, जिसमें सहजता, मधुरता और सरसता सर्वत्र विराजमान है। आपने दोहा, कवित्व और सवैया छंदों का ही अधिक प्रयोग किया है, भावुक हृदय से बनी उनकी रचनाओं में भक्ति-रस, प्रेम-रस और काव्य-रस तीनों भरपुर विद्यामान हैं। अतः कवि का नाम ‘रसखान’ पूर्णत: सार्थक बन पड़ा।

(ख) ‘जो खग हौ तो बसेरो करौं, मिलि कालिंदी-कुल-कदंब की डारन’ -का आशय क्या है?

उत्तरः इसका आशय यह है कि कवि रसखानजी दुसरे जन्म में पक्षी का जन्म मिले तो वो यमुना के तट पर स्थित कदम्ब के पेड़ो की डालियों पर अपना घोसला बनाएगा।

(ग) ‘वा छबि को रसखानि बिलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी’ का तात्पर्य बताओ।

उत्तरः इसका तात्पर्य यह है कि रस की शान श्रीकृष्ण की छवि को देशकर कामदेव अपनी करोड़ो कलाओं को श्रीकृष्ण पर न्यौछावर करता है। अर्थात कृष्ण सौन्दर्य के सन्मुख अपने को नृच्छ समझता है।

(घ) “भावतो वोहि मेरे रसखानि’ सौ तेरे कह सब स्वांग भरौगी” भाव स्पष्ट करो।

उत्तरः काव रसखान अपने आराध्य की तरह वेश धारण करने इच्छा व्यक्त हुए कहा कि मैं उन्हें अच्छा लगनेवाला वेश धारण करुंगी।

5. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) कबि रसखान अपने आराध्य का सान्निध्य किन रूपों में प्राप्त करना चाहते हैं?

उत्तरः कवि रसखान अपने आराध्य का सान्निध्य प्राप्त करने के लिए दूसरे जन्म ब्रज में गोकुल गाँव के ग्वालों में लेना चाहते है। अगर पशु रूप में मिले तो उसी गोबर्धन पर्बत के रूप मिले, जिसे इन्द्र कोप से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने छिगुनी उगंली पर धारँ किया और पक्षी का जन्म मिले तो वे यमुना के तट पर स्थित उचे कदंब के पेड़ो की डालियों पर अपना घोसला बनाएगा।

(ख) अपने उपास्य से जुड़े किन उपकरणों पर क्या-क्या न्योछावर करने की बात कवि ने की है?

उत्तरः कबि अपने उपास्य से जुड़े उपकरण लाठी और कम्बल पर तीनों लोक (स्वर्ग, मरत, पाताल), आठों सिद्धियाँ और नवों-निधियो सुख, नंद की गौएँ चराते हुए भुला देना चाहते हैं। कवि वृन्दावन के करोल कुंजो पर अपना स्वर्ग महल भी न्योछावर कर देना चाहते हैं।

(ग) कवि ने श्रीकृष्ण के बाल रुप की माधुरी का वर्णन किस रूप मैं किया है?

उत्तरः कवि रसखान ने श्रीकृष्ण के वाल रूप को माधुरी का वर्णन इस प्रकार किया है कि वालक कृष्ण भूल से लथपथ है, वे जैसे सुन्दर है, वेसी सुन्दर उनके सिर की चोटी है। वे खेलता और खाते हुए नंद के आंगन में धुमते-फिरते है। उनके पैरों में पायेल सज रहे हैं और कमर में पीले रंग का छोटा कच्छा पहने हुए है।

6. कवि ने अपने आराध्य की तरह देश धारण करने की इच्छा व्यक्त करते हुए क्या कहा है?

उत्तरः कवि अपने आराध्य की तरह वेश धारण करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा – ‘मै सिर पर मोर पंख धारण कर लूँगी, गले में लाल मणियों की माला पहन लूँगी, पीताम्बर ओढ़कर हाथ में छड़ी ले लूँगी और बन में गोधन को लेकर उन्हें चराती फिरुँगी परन्तु कृष्णा की तरह अपने हो ठो पर मुरली घारण नहीं करेंगे।’।

7. सम्यक्न उत्तर दोः

(क) कवि रसखान का साहित्यिक परिचय प्रस्तुत करो।

उत्तरः कवि रसखान का साहित्यिक परिचय: हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्ति काव्या धारा के मुसलमान कवियों में रसखान जी का स्थान अन्यतम है। आप कोमल हृदय, भावुक प्रकृति के इंसान थे।

कवि रसखान जी के जन्म समय, शिक्षा-दीक्षा, आजीविका, निधन काल आदि वातों को लेकर विद्दानो में मतभेद बना हुआ है। सन 1698 ई के आस-पास आपकी मृत्यु हुई थी। आपने गोस्वामी विट्टल नाथ जी से गोकुल में भक्ति दीक्षा ग्रहण की थी।

रसखान की कृत्तियाँ: प्रेम भक्ति के कवि रसखान की चार रचनाएँ प्रामाणिक मानी जाती हैं – ‘सुजान रसखान’, ‘प्रेमवाटिका’, ‘दानलीला’, ओर ‘अष्टयाम’।

शैली: रसखान ने अपनी कविता में कवित्ब, सवैया, दोहा आदि छंदी को अपनाया है।

(ख) कवि रसखानीक कृष्ण भक्ति पर प्रकाश डालो।

उत्तरः हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्ति धारा के मुसलमान कवियों में रसखान अन्यतम है। वह कृष्ण के नाम पर पागल हो गये थे। वह अपनी कविता में लिखा है कि वह मर जाने के बाद अगर दुसरा जनम मिले तो ब्रज-गोकुल गाँव में ही जन्म लेगा। क्योंकि ब्रज पवित्र गाँव है। वहाँ भगवान कृष्ण जन्म लिया था। कवि रसखान कृष्ण के प्रेम से मुग्ध होकर कहा है कि कृष्ण की लाठी और कम्बर पर तीनों लोक भी छोड़ सकते हैं, आठो सिद्धियाँ, नव निधियों के सुख, नंद की गौएँ चराते हुए भुला सकते हैं।

रसखान जी दिल्ली के वादशाह वंश में जन्म लेते हुए भी उन्होंने अपने की राज्य लिप्सा और राज वंश के अभिमान से दूर रखा। वह वृन्दावन के करील के कुंजो पर स्वर्ण महल भी न्यौछावर कर दिया।

(ग) पठित छंदो के जरिए कबि रसखान ने क्या-क्या कहना चाहा है?

उत्तरः पठित चारो छन्दो से कृष्ण भक्ति की महिमा ही प्रकट हुई है। भाव की तल्लीनता, मार्मिकता और भाषागत सरसता चारों छन्दो में विद्यामान है। प्रथम छंद में अपने आराध्य कृष्ण के सान्निध्य में रहने की कवि गहरी इच्छा का संकेत मिलता है। दूसरे छंद में अपने उपास्य से जुड़े अलग-अलग उपकरणों पर सर्बस्थ न्योछावर करने की चाहत व्यजित हुई है। तीसरे छंद में कवि ने आराध्य श्रीकृष्ण के बाल-रुप की माधुरी का आकर्षक वर्णन किया है। चौथे छंद में गोपी-भाव से अपने उपास्य कृष्णा की तरह ही वेश धारण करने (मुरली को छोड़कर) की तीब्र चाहत प्रकट हुई है।

8. सप्रसंग व्याख्या करोः

(क) “मनुष्य हौं तो वही …………………..

………………….. नित्या नंद की धनु मंद्यारन।”

उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पंक्यियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक आलोक के अतंर्गत कृष्ण भक्त कवि रसखान द्बवारा रचित ‘कृष्णा-महिमा’ शीर्षक कविता सेलिया गया है।

यहाँ कवि रसखान जी अपने आराध्य कृष्ण के सान्निध्य में रहने की गहरी इच्छा प्रकट किया है।

व्याख्या: कवि रसखान अपने आराध्य के सान्निध्य में रहनी की इच्छा प्रकट हुए कहा कि उसका दुसरा जन्म मनुष्य रुप में मिले तो वह ब्रज के गोकुल गाँव में ग्वालों में जन्म मिले। क्योकि वह पवित्र गाँव है। जिसमें कृष्ण गौए चराए थे। अगर पशु के रुप में जन्म मिले तो कहा बचाना? इस स्थिति में कवि स्पष्ट है कि नंद की गायों के बीज में जन्म मिले, ताकि कृष्ण का पवित्र जन्म भूमि में विचरण कर सकें।

विशेष: इस रवैया से कृष्ण भक्त कवि रसखान की कृष्ण के प्रति आगाद श्रद्धा प्रकट हुई हौ।

(ख) “रसखान कवौं इन आँखिन ………………..

………………….. करील के कुंजन ऊपर वारौं।।”

उत्तरः प्रस्तुत अवतरण हमारी पाथ्य पुस्तक ‘आलोक’ के अन्तर्गत कृष्ण भक्त कवि रसखान द्बारा रचित ‘कृष्ण-महिमा’ शीर्षक कविता से लिया गया है। यहाँ कवि रसखान ने कृष्ण के प्रति अगाध्य प्रेम प्रकट किया है।

व्याख्या: कवि रसखान ब्रज की दर्शन के लिए व्याकुल हो गये है। उसके मन में यह लगा रहाँ कि कब ब्रज की दर्शन होगा, उसके नयन ब्रज के जंगली वाटिकाओ और तालाबों की दर्शन करने का कब सौभाग्य प्राप्त होगा? कवि वृन्दावन के करील के कूंजी पर। करोड़ सीसे चांदी के महल भी न्योछावर करना चाहता है।

विशेष: यहाँ कवि रसखान का कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम प्रकत हुआ हैं।

(ग) धुरि भरे अति सोभित स्यामजु, …………………..

…………………….. पग पैंजनीं बाजती पीरी कछोटी।

उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत छंद हमारी पाठ्य पुस्तुक ‘आलोक’ के अंतगर्त कृष्ण भक्त कवि रसखान द्वारा लिखित ‘कृष्ण महिमा’ शीर्षक पाठ (कविता) से लिया गया है।

यहाँ कवि ने वालक कृष्ण का सौन्दर्य वर्णन कर रहे हैं।

व्याख्या: कवि रसखान जी, धुल से लथपथ वालक कृष्ण का सौन्दर्य वर्णन कहते हुए कहा है कि वे जैसी सुन्दर है, वैसी सुन्दर उनके सिर पर वालों की चोटी गुंथी हुई है। वे नंद के आँगन खेलते खाते और घुमते-फिरते हैं। उनके पैरों में पायेल सजे हुए है और कमर में पीले रंग का धोती पहने हुए है।

विशेष: यहाँ कवि रसखान जी ने अपने आराध्य श्री कृष्ण के बाल-रूप की आकर्षक वर्णन किया है।

(घ) मोर पँख सिर ऊपर राखिइौं ……………………..

……………………. गाधन ग्वारनि संग फिरौगी।

उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत पछांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आलोक’ के अंतर्गत कवि रसखान द्बारा रचित ‘कृष्णा महिमा’ शीर्षक कविता से लिया गया है।

यहाँ कवि गोपी-भाव से अपने उपास्य कृष्ण की तरह ही वेश धारण करने की तीब्र चाहत प्रकट हुई है।

व्याख्या: कवि रसखान जी कृष्ण का वेश धारण करने की व्याकुल गोपी की माध्यम कह रही है। मैं सिर पर मोर पंख धारण कर लुंगी, गले में लाल मजियों की माला पहन लुंगी, पीताम्बर ओढ़कर हाथ में छड़ी ले लुंगी और वन में गायों को जाकर उन्हे चराती-फिरूंगी।

विशेष: यहाँ कवि रसखान जी गोपी भाव से अपने को कृष्ण भक्ति पर पुरी समर्पित किया हैं।

भाषा एंव व्याकरण ज्ञानः

(क) निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखो:

मानुष  = नर

पसु  = पशु

पाहन  = पासान

आँख  = नेत्र / लोचन

छबि  = चित्र

भाग  = खंड

(ख) निम्नलिखित शब्दों के तीन पर्यायवाची शब्द लिखो:

कृष्णा = नारायन, केशव, माधव।

कालिंदी = दुगी, यमुना, एक रागिनी। 

खग = बिहंग, पक्षी, चिड़िया।

गिरि  = पर्वत, नग, पहार।

पुरंदर = इन्द्र, सुरेन्द्र, शशीपति।

(ग) संधि बिच्छेद करो:

पीताम्बर = पीत + अम्बर।

अनेकानेक = अनेक + अनेक।

इत्यादि = इति + आदि।

परमेश्वर = परम + इश्वर।

नीरस = नीहः + रस।

(घ) निम्नलिखित शब्दों के खड़ीबोली (मानक हिन्दी) में प्रयुक्त होने वाले रूप बताओ:

मेरोे  = मेरा।

बसेरो = बसेरा, निवास। 

अरु = और। 

कामरिया = कंबल। 

धूर = धूल। 

सोभित = शोभित।

माल = माला। 

सों = से।

(ङ) निम्नलिखित शब्दों के साथ भावबाचक प्रत्यय ‘ता’ जुड़ा हुआ है-

सहजता, मधुरता, सरसता, तल्लीनता, मार्मिकता ऐसे ही ‘ता’ प्रत्यय वाले पाँच भाववाचक संज्ञा शब्द लिखो।

उत्तरः कोमलता, विलासिता, मलिनता, सहायता, कठोरता।

शब्दार्थ एंव टिप्पणी:

(1)

मानुष – मनुष्य।

हौ – बनूँ।

बसौ – निवास करूँगा।

ग्यारन – गवाल लोग।

पसु – पशु।

बस – वश।

मेरो – मेरा।

धेनु – गाय।

मझरन – बीच, मध्य।

पाहन – पथ्तर।

धरयौ – धारण किया।

कर – हाथ।

पुरंदर – इंद्र, विष्णु।

जो – यदि, अगर।

खग – पक्षी, चिड़िया।

बसेरो – बसेरा, निवास।

डारन – डालियाँ।

(2)

या – इस।

लकुटी – छड़ी।

अरु – और।

कामरिया – कंबल।

तिहुँ पुर – तीनों लोक।

गाइ – गाय।

बिसारी – भुला दूँ।

कबौं – कब।

सों – से।

तड़ाग – तालाब।

निहारौ – देखेँ।

कोटिक – करोड़।

करील – एक प्रकार का कंटिला पौधा।

कुंजन – झाड़ियाँ।

वारौ – न्योछावर करुँ।

आठहु – योग द्वारा प्राप्त।

सिद्धि – अणिमा, लखिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकम्य, ईशित्व, वशित्व और कामावसयित्य – ये आठ प्रकार की सिद्धियाँ।

नवों निधि – कुबेर की नौ निधियाँ।

(3)

सोभित – शोभित।

स्यामजु – कृष्णजी।

धुरि – धूल।

तैसी –  वैसी ही।

चोटी – बंधे/गुँथे हुए बाल, शिखा।

अँगना – आँगन।

पग – पाँव।

पीरी – पीली।

बिलोकत – देखकर।

वारत – न्योछावर कर देना है।

काम – कामदेव।

कालनिधि – चन्द्रमा।

कोटी – करोड़।

काग – कौआ।

भाग – भाग्य।

हरि – कृष्णाजी।

पैंजनी – झन-झन बजनेवाला एक प्रकार का गहवा, जो पैर में पहना जाता है।

कछोटी – कछानी, धोटी, पहनने का वह ढंग जिसमें पीछे लाँग खोंसी जाती है।

(4)

पखा – पंख।

माल-माला।

गर – गले में।

पहिरौंगी – पहनूगी।

पितम्बर – पीताम्बर, पीला वस्त्र।

बन – वन।

ग्वारनि – ग्वालिनों।

गोधन – गायें।

भावतो वही – उन्हे अच्छा लगनेवाला।

स्वाग भरौंगी – रूप/वेष बनाऊँगी।

मुरली – बाँसुरी।

मुरलीधर – मुरली धारण करने वाले कृष्णा।

अधरान धरी – अधरों पर रखी हुई।

अधरा – होंठ।

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