SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 17 वे भूले नहीं जा सकते

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SEBA Class 9 Hindi MIL Chapter 17 वे भूले नहीं जा सकते

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वे भूले नहीं जा सकते

गद्य खंड

अभ्यास -माला

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) किस वर्ष के आम चुनाव के बाद लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै का नाम चारों ओर फैल गया?

(i) सन 1933

(ii) सन 1934

(iii) सन 1935

(iv) सन 1939

उत्तरः सन 1933

(ख) लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै किस खेल के अच्छे खिलाड़ी थे?

(i) पुटबॉल।

(ii) हॉकी।

(iii) क्रिकेट।

(iv) बैडमिंटन।

उत्तरः क्रिकेट।

(ग) लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै ने विधान परिषद में किसके लिए विशेष स्थान सुरक्षित करवाया?

(i) असम राज्य के किसानों के लिए।

(ii) असम राज्य के शिक्षित वर्ग के लिए।

(iii) असम राज्य के मैदानी भागों में रहनेवाले भूमिपतियों के लिए।

(iv) असम राज्य के आदिवासियों के लिए।

उत्तरः असम राज्य के आदिवासियों के लिए।

(घ) आजादी मिलने के बाद असम को पूर्वी पाकिस्तान के साथ मिला देने की साजिश किसने रची?

(i) कांग्रेसी नेताओं ने।

(ii) किसानों ने।

(iii) मुस्लिम लीग के नेताओं ने।

(iv) अंग्रेजों ने।

उत्तरः मुस्लिम लीग के नेताओं ने।

2. एक वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) अचल हिमालय कहाँ और किस प्रकार खड़ा है?

उत्तरः अचल हिमालय वर्फ से धका हुआ, अत्यंत ऊंचे शिखरों से सजा हुआ, उत्तराखंड में खड़ा हैं।

(ख) हिमालय के बाएँ पार्श्व में क्या है?

उत्तरः हिमालय के बाएँ पार्श्व में भारत की पूर्वोत्तरी सीमा असम की रमणीक पहाड़ियाँ और घाटियाँ हैं।

(ग) ‘प्रकृति का नयनाभिराम क्रीड़ास्थल’ किसे कहा गया है?

उत्तर: ‘प्रकृत का नयनाभिराम क्रीड़ास्थल’ असम को कहा गया है।

(घ) वर्तमान असम का निर्माता किसे कह सकते हैं?

उत्तरः वर्तमान असम का निर्माता गोपीनाथ बरदलै को कह सकते हैं।

(ङ) गोपीनाथ बरदलै को किस प्रकार के संगीत बेहद प्रिय थे?

उत्तर: गोपीनाथ बरदलै को धार्मिक बरगीत, भजन और क्वींद्र के संगीत बड़े प्रिय थे।

(च) गोपीनाथ बरदलै को किस कार्य में सबसे ज्यादा रुचि थी?

उत्तर: गोपीनाथ बरदलै को क्रिकेट खेलने में सबसे ज्यादा रुचि थी।

(छ) महात्मा गांधी सांप्रदायिक एकता में क्या देखते थे?

उत्तरः महात्मा गांधी सांप्रदायिक एकता में ही राष्ट्र की स्वतंत्रता देखते थे।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) नवीन चंद्र बरदलै का जनता-जनार्दन के विषय में क्या दृष्टिकोण था?

उत्तरः नवीन चंद्र बरदलै का जनता-जनार्दन के विषय में यह दृष्टिकोण था कि निःस्वार्थ सेवा कर असम के अज्ञान अंधकार में नवीन ज्ञान चंद्र का प्रकाश फैलाना।

(ख) असहयोग आंदोलन में स्व. तरुण राम फुकन की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

उत्तरः स्व. तरुण राम फुकन ने असहयोग के क्रांतिकारी आंदोलन में अखिल भारतीय नेताओं में अपना यशस्वी स्थान प्राप्त किया और उनकी अलकिक प्रतिभा और विशाल व्यक्तित्व ने जनता के हृदय को जीत लिया। परिणामस्वरूप जनता में साहस और आस्था का संचार हुआ, जिससे समूचे सम में एक बिजली की लहर दौड़ गई, और जो लोग उनके संपर्क में आए, वे आज भी उनको याद करते हैं।

(ग) गांधी जी के संपर्क में आने से बरदलै जी के व्यक्तित्व में क्या बदलाव आया?

उत्तरः महात्मा जो के संपर्क में आने पर उक्त गुण स्वाभाविक न्यायाप्रियता और कराहती मानवता के प्रति आंतरिक संवेदन में बदल गए। वे बड़े दुर्वल मन से फलाफल की चिंता न कर कार्य करने लगे इसलिए उनका व्यक्तित्व प्यापक बनने लगा, हृदय की दुर्बलता मिटने लगी और अनिश्चित ध्येय निश्चित और निकटस्थ दिखाई पड़ने लगे अंत में उनका शांत स्वभाव, मस्ता और दृढ़ता में परिवर्ति हो गया। मानव जीवन का उतार-चढ़ाव, हर्ष-विषाद और हार-जीत उनके लिए बराबर हो गया।

(घ) राजनीति के अतिरिक्त बरदलै जी किन क्षेत्रों में आगे थे?

उत्तरः राजनीति के अतिरिक्त बरदलै जी विभिन्न क्षेत्रों में आगे थे वे बड़े अच्छे खिलाड़ी थे, साथ ही अच्छे क्रिकेटर भी थे। वे स्वत: अच्छे गायक भी थे। उन्हें धार्मिक बरगीत, भजन और कवींद्र-रवींद्र के संगीत बड़े प्रिय थे।

(ङ) गोपीनाथ बरदलै पर गांधीवाद का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तरः गोपीनाथ बरदलै पर गांधीवाद का बहुत बड़ा प्रबाव पड़ा था। महात्मा जी सांप्रदायिक एकता में ही राष्ट्र की स्वतंत्रता सन्निहित देखते थे और इस भावना के स्वर्गीय गोपीनाथ जी बड़े ही समर्थक थे। इनकी दृष्टि में सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग पहले भारतीय और पीछे और कुछ थे। स्व: बरदलै जी ने अपने जीवन में देखा था कि हिंदुओं और मुसलमानों को परस्पर लड़ाके ब्रिटिश शासन भारत में दूध और बताशा पी रहा था।

(च) गोपीनाथ बरदलै ने सम की पिछड़ी जातियों और जनजातियों के लिए क्या किया?

उत्तरः गोपीनाथ बरदलै ने असम की पिछड़ी जातियों और जनजातियों के लिए विधान में असम राज्य के आदिवासियों के लिए विशेष स्थान सुरक्षित किया।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर दीजिए:

(क) असम के विकास में गोपीनाथ बरदलै के योगदान का उल्लेख कीजिए।

उत्तरः गोपीनाथ बरदलै जी का योगदान असम के विकास में अतुल्य रहा है। राष्ट्र के स्वतंत्र होने के पश्चात नवविदान बनने के समय उन्होंने असम राज्य का प्रतिनिधित्व कर सम की पिछड़ी जातियों एवं आदिवासियों के लिए विशेष स्थान तो दिलाया ही साथ ही 1948 के विभाजन के दौरान में असम को पूर्वी-पश्चिमी पाकिस्तान के हिस्से से भी दूर रखने की मुद्दे पर भी अहम भूमिका निभाई।

(ख) असम में हिंदी के विकास के लिए बरदलै जी ने क्या किया?

उत्तरः आजादी के दौरान बरदलै जी कई बार जेल गए और वहाँ जाकर उन्होंने राष्ट्रभाषा हिन्दी सिखी। वे इस भाषा से इतना प्रेरित हुए कि गीता पर महात्मा गांधी की विचारधारा को जो हिन्दी में प्रकाशित थी उसका अनुवाद किया। जिससे उस समय के और युवा साहित्यकार हिन्दी सीखने के लिए प्रेरित हुए। साथ ही आजादी के पश्चात जब वे असम के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने असम में बुनियादी शिक्षा और हिन्दी प्रचार की नींव दी।

S.L No.CONTENTS
(GROUP – A) काव्य खंड
Chapter – 1पद
Chapter – 2भजन
Chapter – 3ब्रज की संध्या
Chapter – 4पथ की पहचान
Chapter – 5शक्ति और क्षमा
Chapter – 6गांधीजी के जन्मदिन
Chapter – 7ओ गंगा बहती हो क्यों
गद्य खंड
Chapter – 8पंच परमेश्वर
Chapter – 9खाने-खिलाने का राष्ट्रीय शाोक
Chapter – 10गिल्लू
Chapter – 11दुख
Chapter – 12जीवन-संग्राम
Chapter – 13अंधविश्वास की छोटें
Chapter – 14पर्वी का देश भारत
(GROUP – B) काव्य खंड
Chapter – 15बरगीत
Chapter – 16मुक्ति की आकांक्षा
गद्य खंड
Chapter – 17वे भूले नहीं जा सकते
Chapter – 18पिंपलांत्रीः एक आदर्श गाँव

(ग) लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तरः बरदलै जी सादा जीवन एवं उच्च विचार के परिचारक थे। रचनात्मक एवं विकास कार्यों में विशेष अभिरुचि रखने के कारण उन्हें वर्तमान असम का निर्माता भी कहा जा सकता है। उनका व्यक्तित्व महान और व्यापक था। देशभक्ति, त्याग और तपस्या की तो वे प्रतिमूर्ति थे। राजनीति में उन्होंने जिस कठोर सत्य और ईमानदारी का परिचय दिया उससे वे जनसाधारण के हृदय में बस गए। यहाँ तक कि उनके विरोधी भी उनकी सत्यनिष्ठा, परोपकारिता, देशभक्ति, शुद्ध सरल जीवन आदि गुणों पर मुग्ध थे।

(घ) गोपीनाथ बरदलै जनसाधारण से कैसा व्यवहार करते थे?

उत्तरः गोपीनाथ बरदलै जनसाधारण से बहुत ही अच्छा व्यवहार करते थे। गोपीनाथ जी खालों और निम्नवर्ग के अनपढ़ लोगों से स्वच्छंदतापूर्वक बिना किसी भेदभाव के मिलते थे और वे जो देते थे, वह प्रसन्नतापूर्वक खाते-पीते, साथ साथ डोलते-फिरते और रहते थे।

(ङ) मुस्लिम लीग के नेताओं ने असम के प्रति क्या साजिश की?

उत्तरः स्वतंत्रता के पश्चात देश के विभाजन के समय एक प्रस्ताव हुआ कि असम को पूर्वी पाकिस्तान के साथ मिला दिया जाए। जिसकों सफल बनाने के लिए मुस्लिम लीग के नेताओं ने ऐड़ी-चोटी का जोड़ लगाया उनका असम के प्रति ऐसी साजिश बरदलै जी के कारण असफल हो गया।

5. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) उत्तराखंड का प्रत्येक यात्री देशी हो या विदेशी, हिमालय की विशालता और अपूर्व शोभा देखकर आनंद-विभोर हो जाता है।

उत्तरः लेखक हिमालय के बाएं पार्श्व-स्थित भारत की पूर्वोत्तरी सीमा पर असम की मनोमुग्धकर रमणीक पहाड़ियों और घाटियों की प्राकृतिक घटाओं की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए तथा असम के कुछ ऐसे महापुरुषों की तपस्ता-त्याग, निष्ठा, देरा-भक्ति और जन-सेवा से समूचे देश पर अपने अस्तित्व और व्यकित्व की छाप छोड़ गए है। उनकी प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए ही प्रस्तुत पंक्ति का प्रयोग किया है।

(ख) बरदलै जी के जीवन का दूसरा पहलू भी अतीव उज्जवल है। इसमें हम उनके सांस्कृतिक, साहित्यक और सादे जीवन की एक उत्कृष्ट झलक पाते हैं।

उत्तरः प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक कामाख्या जी बरदलै जी के राजनैतिक जीवन-शैली से हटकर उनके दूसरे जीवन पहलू को उभारते हुए यह दिखाया है। वे एक महान राजनेता के साथ एक अच्छे क्रिकेटर, गायक और लेखक भी है अर्थात वे अपने जीवन के हर पहलू में अति उज्जवल है। यहाँ तक कि वे कोमल हृदय वाले सादे व्यक्ति है, तभी तो वे बिना भेद-भाव किए सामान्य रूप से जी रहे लोगों के साथ रहने में तनिक भी झिझक नहीं करते हैं।

6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) मनुष्य जीवन में ऐसी घड़ियाँ भी आती है, जब समय उसने देशभक्ति, सेवा, सहिष्णुता, सौजन्यता, दृड़ता और साहस को परीक्षा की कसौटी पर रख देता है।

उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत उक्ति लेखक की है जिसमें बरदलै जी के जीवन से घटित घटना का जिक्र है।

व्याख्या: लेखक कहना चाहते है कि कभी-कभी हमारे जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती है जब हम अपनी देशभक्ति, सेवा, सहिष्णुता, दृढ़ता, साहस आदि को परीक्षा की कसौटी पर रख देते है। कुछ ऐसा ही बरदलै जी के जीवन में हुआ। हमारी आजादी का साल भी पूरा न हुआ था उसी दौरान देश बटवारा हो रहा था। जिसमें असम को पूर्वी पाकिस्तान के साथ जोड़ने के लिए मुस्लिम लीग के नेता साजिश कर रहे थे। वही दूसरी ओर बरदलै जी गाँधी जी से मिलने के पश्चात गोवधनि की भांति असम की रक्षा के लिए अचल और अटल खड़े हो गए। वास्तविक रूप से बरदलै के विचार और धैर्य में दृढ़ता न होती हो आज समूचा असम पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की तरह कराहता होता।

(ख) महंता एक मकड़ी का जाल है। यद्यपि जाल के बारीक तागे अवश्य है, फिर भी दृढ़, सुंदर और शांति -विधायक है, नश्वर होते हुए भी स्मरणीय है।

उत्तरः कते है कि लोग मकड़ी की जाल के समान होती है, क्योंकि लालसा का अंत नहीं और इसके चक्कर में पड़ने से मनुष्य जीवन में उलझते चले जाता है। फिर भी आज भी कई ऐसे लोग है जो कुर्सी पर विराजमान होने के बावजूद, खददर पहनने के बावजूद महत्ता को दर किनार रख जनकल्याण में लगे है। इन्हीं महापुरुषों में से एक लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै जी भी है। जिस प्रकार से वे अपनी सुन्दर सोच एवं दृढ़ता का उदाहरण लोगों के सामने प्रस्तुत किया है। उसी से लोग प्रभावित होकर उनके जीवित न रहने के कारण भी आज उनके स्मृतियों को कहीं न कही जरूर अपने दिल में जलाएँ बैठे हैं।

(ग) यदि स्वर्गीय बरदलै के विचार और ध्येर्य में दृढ़ता न होते तो आज समूचा असम पाकिस्तान के बूटों के नीचे पूर्वी पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की तरह कराहता रहता।

उत्तरः प्रसंग: प्रस्तुत कथन लेखक की है जिसमें बरदलै की देशभक्ति और लोक कल्याण की बात को दर्शाया गया है।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लेखक ने बरदलै के साहस और देशभक्ति के साथ-साथ उनके विचार और उद्देश्य में दृढ़ता को भी हमारे सामने प्रस्तुत किया है। लेखक कहते है कि मनुष्य अपने विचार के साथ-साथ अपने उद्देश्य में भी यदि दृढ़ संकलप करें तो वह कभी पीछे नहीं मुड़ेगा। जिस प्रकार से उन्होंने स्वतंत्रता के पश्चात देश बटवारा के समय अपने देश एवं राज्य के नेताओं द्बारा षडयंत्र को धैर्य और दृढ़ संकल्प से असम को पूर्वी पाकिस्तान के साथ नहीं जुड़ने दिया दृढ़ता इसका जीता जागता उदाहरण है। नहीं तो यदि आज असम पाकिस्तान के साथ जुड़ा होता तो इस राज्य के लोगों का जीवन शायद बद से बत्तर होती।

भाषा एवं व्याकारण:

1. निम्नलिखित शब्दों के संधी-विच्छेद करके संधि के भेदों के नाम भी लिखिए:

उज्जवल, उत्तराखंड, हिमालय, नयनाभिराम, निःस्वार्थ, अत्युक्ति, ईश्वेरच्छा, सम्बल, मनोयोग, तुषाराच्छादित, यद्यपि, पूर्वोतत्री, मनोवैज्ञानिक, सदुपदेशक, महात्मा।

उत्तर: 

शब्दसंधि-विच्छेदभेद
उज्जवलअत + ज्वलव्यंजन संधि
उत्तराखंडउत्तर + आकंडस्वर संधि
हिमालयहिम + आलयस्वर संधि
नयनाभिरामनयन + अभिरामस्वर संधि
निःस्वार्थनिः + स्वार्थविसर्ग संधि
अत्युक्तिअति + उक्तिस्वर संधि
ईश्वरेच्छाईश्वर + इच्छास्वर संधि
सम्बलसम + बलस्वर संधि
मनोयोगमनः + योगविसर्ग संधि
तुषाराच्छादिततुषार + आच्छादितस्वर संधि
यद्यपियदि + आपिस्वर संधि
पूर्वोत्तरपूर्व + उत्तरीस्वर संधि
मनोवैज्ञानिकमनः + वैज्ञानिकस्वर संधि
सदुपदेशकसत + उपदेशकस्वर संधि
महात्मामहान + आत्मास्वर संधि

2. निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग एवं प्रत्यय अलग-अलग कीजिए:

प्रतिनिधि, अनुवाद, साहित्यिक, अवकाश, भारतीय, सहिष्णुता, प्रसन्नता, मानसिक, आर्थिक, मानवता, प्रशासक, अहिंसा, स्वाभाविक, व्यक्तित्व

उत्तरः 

शब्दउपसर्गप्रत्यय
प्रतिनिधिप्रति
अनुवादअनु
साहित्यिकइक
अवकाशअव
भारतीयइय
सहिष्णुताता
प्रसन्नताप्रता
मानसिकइक
आर्थिकइक
मानवताता
प्रशासकप्रअक
अहिंसाआं
स्वाभाविकसुइक
व्यक्तित्ववित्व

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

आवश्यक, प्राकृतिक, देशी, बाएँ, सुंदर, प्रकाश, निर्माणक, नवीन, उत्कृष्ट, विषय, जीवन, मानव, शांत, उतार, हर्ष, हार, दुर्बल, कर्तव्य, धर्म, पिछड़ी, अपना, सत्य, प्रेम, अहिंसा, पूर्ण, आस्था, स्वतंत्रता

उत्तरः आवश्यक — अनावश्यक

देशी — विदेशी

सुन्दर — कुरूप

निर्माणक — विध्वंसक

उत्कृष्ट — निकृष्ट

जीवन — मृत्यु

शांत — अशांत

हर्ष — विषाद

दुर्बल — सबल

धर्म — अधर्म

अपना — पराया

प्रेम — घृणा

पूर्ण — अपूर्ण

स्वतंत्रता — परतंत्रता

प्राकृतिक — कृत्रिम

बाएँ — दाएँ

प्रकाश — अंधकार

नवीन — प्राचन

विषय — सम

मानव — दानव

उतार — चढ़ाव

हार — जीत

कर्तव्य — अकर्तव्य

पिछड़ी — विकसित

सत्य — असत्य

अहिंसा — हिंसा

आस्था — अनास्था

योग्यता-विस्तार:

1. प्रस्तुत पाठ में आपने लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै के व्यक्तित्व के बारे में पढ़ा। यह निबंध आपको कैसा लगा। इस पर अपना विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तरः प्रस्तुत पाठ में हमने लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै के व्यक्तित्व के बारे में पढ़ा। यह निबंध हमें बहुत ही अच्छा लगा। इस निबंध को पढ़ने के बाद हमें बरदलै जी के कुछ चारित्रिक विशेषताएँ देखने को मिलता है जो अन्य लोगों से बहुत ही भिन्न है और यही भिन्नता उन्हें महापुरुषों की श्रेणी में रखती है। बरदलै जी सादा जीवन एवं उच विचार के परिचारक थे। रचनात्मक एवं विकास कायों में विशेष अभिरुचि रखने के कारण उन्हें वर्तमान-असम का निर्माता भी कहा जा सकता हैं। उनका व्यक्तित्व महान और प्यापक था। देशभक्ति, त्याग और तपस्या के तो वे प्रतिमूर्ति थे। राजनीति में उन्होंने जिस कठोर सत्य और ईमानदारी का परिचय दिया उससे ने जनसाधारण के हृदय में बस गए। यहाँ तक कि उनके विरोधी बी उनकी सत्यनिष्ठा, परोपकारिता, देशभक्ति, शुद्ध सरल जीवन आदि गुणों पर मुग्ध थे। आज के जमाने में गोपीनाथ बरदलै जैसे लोग मिलना दुर्बल हैं। जिस प्रकार से वे सामान्य लोग के साथ व्यवहार करते थे और एक राजनेता के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने चरित्र पर दाँग तक न आने दिया और उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थे कि उनके जो विरोधी दल के लोग थे वे भी उनके इस चारित्रिक गुण के कायल थे।

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर:

1. कामाख्या प्रसाद त्रिपाठी जी किस कारण लोकप्रिय बन गए थे?

उत्तरः कामाख्या प्रसाद त्रिपाठी जी असम की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका से लोकप्रिय बन गए थे।

2. कामाख्या प्रसाद त्रिपाठी जी क्या थे?

उत्तरः कामाख्या प्रसाद त्रिपाठी जी असम सरकार में मंत्री थे।

3. त्रिपाठी जी की गणना किसमें की जाती थी?

उत्तरः त्रिपाठी जी की गणना सफल तथा योग्य मंत्रियों में की जाती थी।

4. त्रिपाठी जी ने अपनी अपूर्व दक्षता का परिचय किस रूप में दिया?

उत्तरः असम के वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने अपनी अपूर्व दक्षता का परिचय दिया।

5. त्रिपाठी जी एक सकल राजनीतिज्ञ के अलावा और क्या थे?

उत्तरः त्रिपाठी जी एक सफल राजनीतिज्ञ के अलावा एक साहित्यानुरागी भी थे।

6. त्रिपाठी जी किस विषयों पर लिखा करते थे?

उत्तरः त्रिपाठी जी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हमेशा प्रासंगिक विषयों पर लिखा करते थे।

7. त्रिपाठी जी की प्रमुख कृतियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तरः त्रिपाठी जी की प्रमुख कृतियाँ है – एशिया के बागानों में श्रम-पूंजीगत संबंध में संकट, राष्ट्रीय नीति में मजदूर आदि।

8. बरदलै जी ने जेल में क्या सीखी?

उत्तरः बरदलै जी ने जेल में राष्ट्रभाषा हिंदी सीखी।

9. बरदलै जी किस शाखा के अध्यक्ष रहे?

उत्तरः बरदलै जी अखिल भारतीय मजदूर सेवक संघ की असम शाखा के अध्यक्ष रहे।

10. बरदलै जी किसके संपर्क में आए थे?

उत्तरः बरदलै जी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संपर्क में आए थे।

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