SEBA Class 9 Hindi Chapter 4 चिड़िया की बच्ची

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SEBA Class 9 Hindi Chapter 4 चिड़िया की बच्ची

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चिड़िया की बच्ची

अभ्यास-माला:

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन करो:

(क) सेठ माधवदास ने संगमरमर की क्या बनवाई है?

1. कोठी।

2. मूर्ति।

3. मंदिर।

4. स्मारक।

उत्तरः कोठी।

(ख) किसकी डाली पर एक चिड़िया आन बैठी?

1. जूही।

2. गुलाब।

3. बेला।

4. चमेली।

उत्तरः गुलाब।

(ग) चिड़िया के पंख ऊपर से चमकदार और ……….. थे।

1. सफेद।

2. स्याह।

3. लाल। 

4. पीला।

उत्तरः स्याह।

(घ) चिड़िया से बात करते-करते सेठ ने एकाएक दबा दिया–

1. हाथ।

2. पाँव।

3. बटन।

4. हुक्का।

उत्तरः बदन।

2. संक्षेप में उत्तर दो:

(क) सेठ माधव दास की अभिरुचियों के बारे में बताओ।

उत्तरः सेठ माधव दास सुन्दर अभिरुचि के आदमी है। फूल-पौधे, रकाबियो से हौजों में लगे फव्वारों में उछलता हुआ पानी उन्हें बहुत अच्छा लगता है। उनको कला से भी बहुत प्रेम है। इसलिए वह संगमरमर की नई कोठी बनवाई। सामने बहुत सुहावना बगीचा भी लगवाया है।

(ख) शाम के समय सेठ माधवदास क्या-क्या करते हैं? 

उत्तरः शाम के समय, जब दिन की गरमी ढल जाती है और आसमान कई रंग का हो जाता है तब कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे वह गलीचे पर बैठती हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं। 

(ग) चिड़िया के रंग-रुप के बारेमें क्या जानते हो?

उत्तरः चिड़िया के रंग-रुप के बारे में मै यह जानती हूँ कि वह बहुत सुन्दर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पर गई थी। पंख ऊपर से चमत्कार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारी लगती थी और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी।

(घ) चिड़िया किस बात से डरी रही थी?

उत्तरः माधव दास ने चिडिया की बच्ची को अपने महल के भीतर बुला रहे है। वह कहता है कि उसका दिल वीयन है। उसके पास बहुत सोना-मोती है। पर वहाँ हँसी सुनाने वाली कोई नही है। वह चिड़िया बच्ची को एक बहुत सुन्दर घर बनवा देकर उसमें मोतियों की झालर लटका देने की बात कहकर बच्ची को अपनी माँ अलग रखना चाहती है। इसी बात से चिड़िया डरी रही थी।

(ङ) “तू सोना नही जानती, सोना? उसी की जगत को तृष्णा है।” – आशय स्पष्ट करो।

उत्तरः इसका आशय यह कि माधवदास ने चिड़िया की बच्ची को सोने का लालच दे खाकर पकड़ना चाहता हैं। लेकिन बच्ची सोना क्या है, उसे मालूम नहीं है। वह माँ की प्यार के सिवा कुछ भी नही जानती। इसलिए माधव दास ने चिड़िया से कहा कि तुझे बुद्धि नहीं है। तू सोना नही जानती जो दुनिया के लोगों को तृष्णा है।

S.L No.CONTENTS
Chapter – 1हिम्मत और जिंदगी
Chapter – 2परीक्षा
Chapter – 3बिंदु-बिंदु विचार
Chapter – 4चिड़िया की बच्ची
Chapter – 5आप भले तो जग भला
Chapter – 6चिकित्सा का चक्कर
Chapter – 7अपराजिता
Chapter – 8मणि-कांचन संयोग
Chapter – 9कृष्ण महिमा
Chapter – 10दोहा-दशक
Chapter – 11नर हो, न निराश करो मन को
Chapter – 12मुरझाया फूल
Chapter – 13गाँव से शहर की ओर
Chapter – 14साबरमती के संत
Chapter – 15चरैवेति
Chapter – 16टूटा पहिया

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो:

(क) किन बातों से ज्ञात होता है कि माधव दास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है वह मुर्ख नहीं था?

उत्तरः माधव दास के पास संगमरमर की कोठी है। कोठी के सामने बहुत सुहावना बगीचा है। फूल-पौधे, रकाबियों से हौजों में लगे फव्वरों में उछलता हुआ पानी का इनजाम है। सोना-मोटी से महल भरा हुआ है। इन सब से यह पता चला कि माधव दास संपन्नता से भरपूर है।

माधव दास को कोई व्यसन छू नही गया है। वह गरमी ढलते ही शाम को बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर बैठते है और प्रकृति का छटा निहारते हैं। मित्र के साथ विनोद-चर्चा करते हैं। चिड़िया की बच्ची से प्यार भरी बातें और लालित्य पूर्ण शब्दों के साथ – ‘मेरा महल भी सूना है’ और ‘मेरा दिल वीरान है’। इन सब बातों से यह ज्ञात होता है कि माधव दास मूर्ख व्यक्ति नहीं है।

(ख) सेठ माधव दास चिड़िया को क्या-क्या प्रलोभन दे रहा था?

उत्तरः सेठ माधव दास ने चिड़िया को कहा कि मेरा दिल वीरान है। मेरे पास बहुत सा सोना-मोती है। सोने का एक सुन्दर घर मैं तुम्हें बना दूंगा, मोतियों की झालर उसमें लटकेगी। तुझे मालामाल कर दूंगा। सोना मेरे पास ढेर का ढेर है। तेरा घर समूचा सोने का होगा, ऐसा पिंजरा बनावाऊँगा कि कही दुनिया में न होगा, ऐसा तू देखती रह जाए। तू उसके भीतर थिरक-फुदक्कर मुझे खुश करियो। तेरा भाग्य खुल जाएगा। तेरे पानी पीने की कटोरी भी सोने की होगी। ये प्रलोभ दे रहा था।

(ग) माधव दास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधव दास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था?

उत्तरः माधव दास बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारी ही है। वैसे कहने में माधव दास का स्वार्थ निहित था। क्योंकि जब चिड़िया गुलाब की डाली पर आन बैठी तब चिड़िया बहुत सुन्दर थी। चिडिया की सुन्दरता से उसका प्रेम हुई थी। उन्होंने चिडिया को अपने घर पर मिलना चाहता था। वह चिडिया को प्रलोभन देकर पकड़ना चाहता था।

4. सम्यक् उत्तर दो:

(क) सेठ माधव दास और चिड़िया के मनोभावों में क्या अंतर है? कहानी के आधार पर स्पष्ट करो।

उत्तरः भोली चिड़िया तुम्हें देखकर मेरा चित्त प्रफुल्लित हुआ है। मेरा महल सूना है। मेरा दिल वीरान है। इस प्रकार मिठी बाते करके वह आपना स्वार्थ जरित मनोभाव प्रकाश किया है। दूसरी ओर चिड़िया का मनोभाव लोभ मुक्ट था। वह सेठ माधव दास द्वारा दिखाया गया प्रलोभन इनकार किया। उनको मातृ प्रेम से बढ़कर इस दुनिया में कोई दूसरी चीज दिखाई नही दिया। वह नादान है, पर मातृस्नेह को भली-भाँति समझते हैं।

जहाँ माधव दास के मनोभावों में स्वार्थ जरित है, वहाँ चिड़िया के मनोभावो मे स्वार्थ रहित, मातृप्रेम से भरपूर हैं।

(ख) कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? अपने विचार लिखो।

उत्तर: कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे अच्छा लगा। क्यों कि जिस दिन चिड़िया की बच्ची सेठ के बगीचे पर आ बैठी उस दिन सेठ जी चिड़िया को प्रलोभन दे कर रख रहा था। परन्तु शाम से पहले जब सेठ जी का नौकर उसे पकड़ने के लिए पंजे फैले हैं, वह पंजे में आकर भी नहीं आ सकी। तब वह उड़ती हुई माँ के पास गयी और माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगे।

मेरे विचार में चिड़िया भागकर माँ के पास आकर अच्छा ही किया है। क्योंकि कैद की जिन्दगी बड़ी समस्या की जिन्दगी है। अगर चिडिया को पकड़ लेटा तो सारा जीवन पिजरा में आवद्ध रहना पड़ती थी। दूसरी ओर मातृप्रेम से दूर रहना पड़ती थी। इसलिए चिड़िया बच्ची भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे अच्छा लगा।

(ग) ‘मा मेरी बाट देखती होगी’ – नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। अपने अनुभव के आधार पर बताओ कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्व है?

उत्तरः ‘माँ मेरी बाट देखती होगी’ नन्ही चिडिया बार बार इसी बात को कहती है। यह कहने का आशय यह है कि चिडिया नन्ही थी। जिन्दगी की पहली सफर के लिए वह सेठ के बगिचे की गुलाब की डाली पर आन बैठी।

सेठ जी वह नन्ही चिडिया की सौन्दर्य को देखते ही उसका मन अभिभूत हो उठा। उन्होंने चिड़िया को पिंजराबद्ध करने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दिखाने लगा। लेकिन सेठ जी का प्रलोभन नाकाम रहा। चिड़िया सेठ से बार-बार कह रही है कि मुझे देर हो रही है, माँ मेरी बाट देखती होगी, मुझे जाने दो। चिड़िया के दिल में माँ की याद सताती रही। क्योंकि माँ से बढ़कर इस दुनिया में कोई दूसरी नहीं है। माँ सिर्फ माँ ही है।

(घ) क्या माधव दास के बनाए सोने के पिंजरे में चिड़िया सुख से रह सकती थी? एक पक्षी के लिए पिंजरा का क्या महत्व है?

उत्तरः माधव दास के बनाए सोने के पिंजरे में चिड़िया को सुख से नहीं रह सकती थी। क्योंकि हर पशु-पक्षी अपने हाथो से बना हुआ घर या घोसला मे रहते हैं। चिड़िया प्रकृति गोद में पाल-पोछ कर बड़ा होता है। प्रकृति के उपकरण से अपना घोसला बना लेटे हैं। वे मनुष्य निर्मित पिंजरा को ना पसंद करती है।

इसलिए एक पक्षी के लिए पिंजरा का कोई महत्व नहीं है।

5. किसने, किससे और कब कहा?

(क) यह बगीचा मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया है।

उत्तरः यह माधव दास ने चिडिया से कहा है। जब चिड़िया गुलाब की डाल पर आन बैठी, तब माधव दास ने चिड़िया से कहा था।

(ख) मैं अभी चली जाऊँगी। बगीचा आपका है। मुझे माफ करें।

उत्तरः यह चिड़िया ने माधवदास से कहा है। चिड़िया माधवदास की बातें सुनकर बहुत-कुछ सकुचा गई। उसका थिरकना रुक गया। तब वह डरकर माधवदास से कहा।

(ग) सोने का एक बहुत सुन्दर घर में तुम्हें बना दूँगा। 

उत्तरः यह माधवदास ने चिडिया से कहा है। जब चिड़िया माधवदास के पास से अपनी माँ के पास जा रही थी, तब माधवदास ने कहा।

(घ) क्या है मेरी बच्ची, क्या है?

उत्तरः यह चिड़िया की माँ ने अपनी बच्ची से कहा।

चिड़िया बच्ची माधव दास की बगीचे से भाग कर अपनी माँ के पास गयी। वह माँ माँ कह कर माँ की छाती से चिपक गई और सुबकती रही, तब माँ ने कहा।

भाषा एवं व्याकरण ज्ञान:

1. पाठ में ‘पर’ शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं –

(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।

(ख) कभी पर हिलाती थी।

(ग) पर बच्ची कॉप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।

तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्य से हुए है। इन वाक्यों का आधार लेकर तुम भी ‘पर’ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाओ, जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों।

उत्तरः (क) पेड़ पर एक कौआ काऔ-काऔ कर रहा है।

(ख) कोयल काली है पर इसकी बोली मीठी है।

(ग) पर के साथ मिलता कभी संभव नहीं है।

2. पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं, जो खड़ीबोली हिन्दी के वर्तमान रुप में तने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज करो।

शब्दार्थ एवं टिप्पणी:

संध्या – शाम।

प्रफुल्लित – आनंदित।

चित्त – मन।

स्वप्न – सपना।

थिरकना – नाचना।

बेखटके – बे हिचक।

व्यसन – आदत।

तृप्ति – संतुष्टि।

स्याह – काले रंग का।

तनिक – थोड़ा।

साँझ – शाम।

वीरान – खाली, उजाड़।

निरी – बिलकुल।

जगत – संसार।

तृष्णा – चाह, इच्छा।

किस्मत – भाग्य।

जतन – प्रयत्न, प्रयास।

सुबकना – रोना।

ढाँढ़स – साहस।

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