Class 11 Hindi MIL Chapter 20 आओ, मिलकर बचाएँ

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Class 11 Hindi MIL Chapter 20 आओ, मिलकर बचाएँ

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आओ, मिलकर बचाएँ

आरोह: काव्य खंड

प्रश्नोत्तर:

1. माटी का रंग प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया हैं?

उत्तर: ‘माटी का रंग’ प्रयोग कर यह संकेत किया गया है कि संथाली समाज के लोग अपने समाज तथा परिवेश के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं।

2. भाषा में झारखंड़ीपन से क्या अभिप्राय हैं?

उत्तर: यहाँ कवयित्री ने संथाली समाज का वर्णन किया हैं, जिनका निवास स्थान झारखंड था। अतः उन संथाली लोगों की भाषा में झारखंडीपन देखने को मिलता हैं।

3. दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारुपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है? 

उत्तर: कवयित्री कहती है, दिल का भोलपन के साथ अक्खड़पन और जुझारुपन इनकी विशेषताएँ है, जो कही नष्ट न हो जाए अतः उसे बचाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

4. प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती हैं?

उत्तर: कवयित्री आदिवासी समाज की अशिक्षा, कुरीतियाँ तथा शराब की ओर बढ़ता झुकाव आदि बुराइयों की ओर संकेत करती है।

5. इस दौर में बचाने को बहुत बचा है- से क्या आशय हैं?

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री ने संथाली समाज को बचाने की बात कही हैं। कवयित्री कहती है, इस अविश्वास भरे दौर में भी आज आदिवासी समाज में जो थोड़ा सा विश्वास उम्मीद तथा सपने बचे हुए है, उन्हें आज मिलकर बचाना चाहिए। इस कृत्रिम समाज में भी हमारे पास बचाने के लिए बहुत कुछ हैं। आज अगर आदिवासी समाज को नहीं बचाया गया तो यह कहीं खो जायेंगी।

6. निम्नलिखि पंक्तियों के काव्य सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए।

(क) ठंडी होती दिनचर्या में

जीवन की गर्माहट

उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने आदिवासी समाज के लोगों के भोलपन को वर्णन किया हैं।

कवयित्री कहती है, कि भले ही अनके दिनचर्या ठंडा हैं अर्थात् भले ही कड़ी मेहनत के बावजूद भी इनकी खराब दशा है, फिर भी इनके जीवन में उत्साह भरा हुआ है। उनके स्वभाव में भले ही भोलापन हैं, पर मन में जोश हैं। उनमें अक्खड़पन है, और उनके स्वभाव में जुझारुपन भी देखने को मिलता है।

S.L No.CONTENTS
गद्य खंड
Chapter – 1नमक का दारोगा
Chapter – 2मियाँ नसीरुद्दीन
Chapter – 3अपू के साथ ढाई साल
Chapter – 4विदाई-संभाषण
Chapter – 5गलता लोहा
Chapter – 6स्पीति में बारिस
Chapter – 7रजनी
Chapter – 8जामुन का पेड़
Chapter – 9भारत – माता
Chapter – 10आत्मा का ताप
काव्य खंड
Chapter – 11हम तौ एक एक करि जाना
Chapter – 12मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
Chapter – 13पथिक
Chapter – 14वे आँखें
Chapter – 15घर की याद
Chapter – 16चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
Chapter – 17गज़ल
Chapter – 18हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
Chapter – 19सबसे खतरनाक
Chapter – 20आओ, मिलकर बचाएँ
वितान
Chapter – 21भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ – लता मंगेशकर
Chapter – 22राजस्थान की रजत बूँदें
Chapter – 23आलो-आंधारि

(ख) थोड़ा-सा विश्वास

थोड़ी-सी उम्मीद

थोड़े-से सपने

आओ, मिलकर बचाएँ।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री ने संथाली समाज को बचाने की बात कही हैं। कवयित्री कहती है, इस अविश्वास भरे दौर में भी आज आदिवासी समाज में जो थोड़ा सा विश्वास उम्मीद तथा सपने बचे हुए है, उन्हें आज मिलकर बचाना चाहिए। इस कृत्रिम समाज में भी हमारे पास बचाने के लिए बहुत कुछ हैं। आज अगर आदिवासी समाज को नहीं बचाया गया तो यह कहीं खो जायेंगी। 

7. बस्तियों को शहर की किस आवो-हवा से बचाने की आवश्यकता हैं? 

उत्तर: कवयित्री ने शहर की कृत्रिमता से, स्वार्थ आदि आवो-हवा से बस्तियों को बचाने की आश्यकता पर बल दिया हैं।

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