Class 11 Hindi MIL Chapter 22 राजस्थान की रजत बूँदें

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Class 11 Hindi MIL Chapter 22 राजस्थान की रजत बूँदें

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राजस्थान की रजत बूँदें

वितान खंड

प्रश्नोत्तर:

1. राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

उत्तर: बहुत ही छोटा सा कुआँ को राजस्थान में कुंई कहते हैं। कुंई वर्षा के जल को बड़े विचित्र ढंग से समेटती है, तब भी जब वर्षा ही नहीं होती।

कुआँ की तुलना में कुई का व्यास, घेरा बड़ा संकरा होता है। कुंई व्यास में भले ही छोटा होता है, परन्तु अगर गहराई की दृष्टि से देखा जाए तो यह समान्य कुआँ से कम नहीं हैं।

2. दिनोंदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने को यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है, तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जाने और लिखें?

उत्तर: पानी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। पानी की समस्याइतनी बढ़ गई हैं कि आज पानी खरीदाना पड़ रहा हैं। इस पाठ के द्वारा पानी की समस्या से निपटने में काफी मदद मिलेगी। कुंई बनाकर हम पानी का संरक्षण कर सकते हैं।

आज देश के कई राज्यों में पानी की समस्या से निपटने के लिए वर्षा के पानी का संरक्षण किया जा रहा है।

3. चेजारो के साथ गाँव समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फर्क आया हैं। पाठ के आधार पर बताइए?

उत्तर: चेजारों के साथ गाँव समाज क व्यवहार में पहले की तुलना में आज बहुत फ़र्क आया है। पहले चेजारों का विशेष ध्यान रखा जाता था। चेजारों के वर्ष के तीज त्योहारों में, विवाह जैसे मगंल अवसरों पर नेग, भेंट दी जाती है, और फ़सल आने पर खलियान में उनके नाम से अनाज का एक अलग ढ़ेर भी रखा जाता है। परन्तु वर्तमान समय में चेजारों को सिर्फ मज़दूरी देकर भी काम करवाने का रिवाज आ गया हैं।

4. निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयो पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर: कंई निजी होती हैं, उससे पानी लेने का हक उसका अपना होता हैं। लेकिन कुंई जिस क्षेत्र में बनती हैं, वह गाँव समाज की सार्वनिक जमीन है। और वहाँ बरसने वाला पानी ही बाद में वर्षभर नमी की तरह सुरक्षित रहेगा। वहीं नमी से साल भर कुंइयों में पानी भरेगा। चूंकि कुंई का पानी वर्षा पर निर्भरशील हैं, अतः उस जगह नया कुंई बनानेपर जल में बँटवारा होने की सम्भावना होती है। इसी कारणवश निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में बनी कुंइयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है।

S.L No.CONTENTS
गद्य खंड
Chapter – 1नमक का दारोगा
Chapter – 2मियाँ नसीरुद्दीन
Chapter – 3अपू के साथ ढाई साल
Chapter – 4विदाई-संभाषण
Chapter – 5गलता लोहा
Chapter – 6स्पीति में बारिस
Chapter – 7रजनी
Chapter – 8जामुन का पेड़
Chapter – 9भारत – माता
Chapter – 10आत्मा का ताप
काव्य खंड
Chapter – 11हम तौ एक एक करि जाना
Chapter – 12मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
Chapter – 13पथिक
Chapter – 14वे आँखें
Chapter – 15घर की याद
Chapter – 16चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
Chapter – 17गज़ल
Chapter – 18हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
Chapter – 19सबसे खतरनाक
Chapter – 20आओ, मिलकर बचाएँ
वितान
Chapter – 21भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ – लता मंगेशकर
Chapter – 22राजस्थान की रजत बूँदें
Chapter – 23आलो-आंधारि

5. कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणी पानी।

उत्तर: समाज के लिए उपलब्ध पानी को तीन रूपों में बाँटा हैं- 

(क) पातालपानी: पाताल पानी अर्थात् वह भूजल जो कुओ में से निकाला जाता हैं। 

(ख) पालरपानी: पालरपानी यानी सीधे बरसात से मिलने वाला पानी। यह धरातल पर बहता है और इसे नदी, तलाब आदि में रोका जाता है।

(ग) रेजाणीपानी: पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप हैं- रेजाणीपानी। धरातल से नीचे पानी लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी हैं।

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